दिसंबर व फरवरी माह के पहले सप्ताह में स्वच्छता सर्वेक्षण टीम ने किया था सर्वे

शौचालयों में खामियां मिलने पर निगम हुआ था फेल, नगरायुक्त की डिमांड पर मिला आखिरी मौका

ओडीएफ डबल प्लस का टैग, दो शौचालय बेस्ट, एक शौचालय एक्सीलेंट घोषित

Meerut। पिछले महीने ओडीएफ प्लस प्लस में हार के बाद नगर निगम की टीम ने मार्च माह में अपना भरपूर प्रयास कर ओडीएफ डबल प्लस का टैग हासिल कर लिया। दरअसल, क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया की टीम ने स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 में नगर निगम को ओडीएफ प्लस प्लस घोषित कर दिया। ओडीएफ प्लस प्लस में निगम के दो शौचालयों को बेस्ट और एक शौचालय को एक्सीलेंट की कैटगरी में रखा गया है।

तीसरे मौके पर जीत

स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 में इस बार नगर निगम ने ओडीएफ प्लस प्लस के लिए दावा किया था। इसके तहत क्यूसीआई की टीम ने सबसे पहले शहर में संचालित सभी सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालयों का दिसंबर माह में सर्वे किया था। इसके बाद फरवरी माह के पहले सप्ताह में टीम ने सर्वे किया था लेकिन दोनों ही बार टीम को शहर के शौचालयों में काफी खामियां मिलने पर इस दावे को खारिज करते हुए फेल कर दिया था। इसके बाद नगरायुक्त की डिमांड पर मार्च माह में नगर निगम को एक ओर मौका दिया गया था।

एक्सपर्ट ने तलाशी खामियां

तीसरा अवसर मिलने के बाद नगरायुक्त मनीष बंसल ने गाजियाबाद से एक्सपर्ट की टीम बुलाकर शहर में बने सार्वजनिक शौचालयों की जांच कराई और उनकी खामियों को दूरा कराया। इसके बाद क्यूसीआई टीम ने मार्च माह के पहले सप्ताह से शहर में अपना सर्वे शुरू कर दिया। इस बार टीम के निरीक्षण में ओडीएफ डबल प्लस के सभी मानक पूरे मिलने के बाद मेरठ नगर निगम को ओडीएफ डबल प्लस घोषित कर दिया गया। ओडीएफ डबल प्लस मिलने से इस बार स्वच्छता सर्वेक्षण में भी शहर की रैंक सुधरने की उम्मीद बढ़ गई है।

ओडीएफ डबल प्लस के लिए इन व्यवस्थाओं की हुई जांच

महिला और पुरुष समेत विकलांगों के लिए सुविधा हो।

विकलांगों के लिए रैंप बना हुआ हो।

दीवार पर स्वच्छता का संदेश देती पेंटिंग होनी चाहिए।

सामुदायिक व सार्वजनिक शौचालय की सफाई बेहतर हो।

हैंडवॉश के लिए साबुन और तौलिए की व्यवस्था हो।

शौचालयों में सेनेटरी वेंडिग मशीन, हैंड ड्रायर और इंसीनरेटर की व्यवस्था हो।

शौचालय परिसर में गमले रखे हों।

शौचालय पर 24 घंटे कर्मचारी की मौजूदगी हो।

शहर के सभी घरों के टॉयलेट, पब्लिक व कम्यूनिटी टॉयलेट सीवर लाइन या सेप्टिक टैंक से जुड़े होने चाहिए।

खुले में गंदगी फैलाने वालों के करने होंगे चालान।

किसी भी टॉयलेट से ओपन डिस्चार्ज नहीं होना चाहिए

सीवर के वेस्ट को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पर शोधित करना होगा।

जिन शहरों में सीवर लाइन नहीं है, वहां पर वेस्ट को बिना शोधित किए खुले में नहीं डाल सकते।

नगर निगम की टीम की मेहनत के चलते हमने खामियों को दूर कर ओडीएफ डबल प्लस को प्राप्त किया है। इसके बाद टीम शहर को गार्बेज फ्री बनाने में जुट गई है। हमारा यह दावा भी पूरा होगा।

डॉ। गजेंद्र सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी