ऐसे आए हाथ
डालमपुर थाना जानी के किसान सोहनपाल पुत्र नत्थू से सिवाल खास जानी के वार्ड नंबर नौ का शहजाद पुत्र हमीद, इसी वार्ड का दिलशाद पुत्र हमीद और वार्ड नंबर चार का इमरान भैंस खरीदने गए थे। शहजाद के पास एक-एक हजार के बीस नोट थे, दिलशाद के पास 25 और इमरान के पास भी 25 नोट थे। सोहनपाल को जब ये नोट दिए गए तो उसने इनकी पहचान कर ली। ये नोट नकली थे। सोहनपाल की सूचना पर पुलिस ने इन तीनों को गिरफ्तार कर लिया। साथ ही इनके पास मिले सत्तर हजार रुपए के नोट भी कब्जे में ले लिए.

मास्टर माइंड गुम
पुलिस के अनुसार पकड़े गए ये लोग इससे पहले भी नकली नोटों से पशुओं की खरीदारी करते रहे हैं। इन लोगों ने पूछताछ के बाद बताया कि सिवाल खास के शादाब पुत्र फैयाज कुरैशी से ये नोट लिए थे। जिसको एक हजार रुपए के नोट के बदले चार सौ रुपए दिए जाते हैं। कुछ दिन पहले इन लोगों ने चालीस हजार रुपए देकर एक लाख रुपए लिए थे। इससे पहले भी कई बार ये नकली नोट ले चुके हैं। एक बार पंद्रह हजार रुपए और एक बार बीस हजार रुपए के नोट लिए हैं। एक हजार रुपए के नोट से इनको अधिक मुनाफा होता है। इसके चलते ये बड़े नोट ही लेते हैं। जिसको गांवों में किसान पता नहीं कर पाते। इसका फायदा उठाकर ये लोग नोट चला देते हैं.

"इन लोगों से पूछताछ की गई है। सिवाल खास के एक व्यक्ति का नाम बताया है। जब तक वह नहीं मिलेगा आगे की जानकारी नहीं मिल सकती। इसके लिए टीमें लगा दी गई हैं। जल्द ही गिरफ्तार कर आगे की कार्रवाई की जाएगी."
- ओंकार सिंह, एसएसपी

एनसीआर में बढ़ी एंट्री
एनसीआरबी के अनुसार वर्ष 2009 से लेकर जून 2012 तक करीब 88 करोड़ रुपए के नकली नोट बरामद किए गए थे। एनसीआर के गाजियाबाद में 22 अप्रैल को कौशांबी बस अड्डे से नौ लोग और सात लाख रुपए की फेक करंसी और 27 अप्रैल को कौशांबी बस अड्डे से ही पांच लाख नब्बे हजार रुपए के नकली नोट पकड़े गए थे। इनका लिंक भी पाकिस्तान से ही जुड़ा था। जो पाकिस्तान से बांग्लादेश और नेपाल के रास्ते से फेक करंसी लेकर इंडिया में आते हैं। इस फेक करंसी को इंडिया तक पहुंचाने का काम करता है इकबाल काना.

इस पर नहीं जाती नजर
वेस्ट यूपी में मेरठ जोन के मुजफ्फरनगर जिले का एक खूंखार अपराधी इकबाल काना का इकबाल आज भी बुलंद है। जिसका साम्राज्य वेस्ट के जिलों में फैला है। इंडिया में आने वाली फेक करंसी और हथियारों की सप्लाई से इसका लिंक रहता है। खुफिया पुलिस को भी इकबाल काना के बारे में पता नहीं चलता। फेक करंसी, हथियार और नशे का सामान काना बड़े स्तर पर सप्लाई करता है। हाल में एनसीआर में पकड़ी गई फेक करंसी से भी उसके तार जुड़े थे, लेकिन पुलिस उस तक कभी नहीं पहुंच पाती।

फेक करंसी, हथियार और नशे का धंधा
पाकिस्तान पहुंचा इकबाल काना तभी से फेक करंसी, पिस्टल और नशे का धंधा जोरों से चला रहा है। काना ने वेस्ट के जिलों में अपने सप्लायर्स का जाल बिछा रखा है। सहारनपुर, बरेली, अलीगढ़, गाजियाबाद, मेरठ, मुजफ्फरनगर, बागपत, बुलंदशहर सहित वेस्ट के अधिकतर जिलों में इकबाल काना के गुर्गे काम कर रहे हैं। जो पाकिस्तान से नेपाल होते हुए फेक करंसी और नशीला पदार्थ लेकर इंडिया पहुंचते हैं। इनमें कुछ सप्लायर नेपाल से बिहार और फिर वहां से वेस्ट में आते हैं.