मेरठ (ब्यूरो)। शहर में डॉग बाइट के मामले बढ़ रहे हैं। हालत यह है कि शहर के कई इलाकों में स्ट्रीट डॉग और पिटबुल जैसे खतरनाक प्रजाति के डॉग का आतंक बढ़ गया है। वैसे तो एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम के तहत नगर निगम ने परतापुर में एक नसबंदी सेंटर खोला था, लेकिन वह भी शोपीस के अलावा कुछ भी नहीं है। हालत यह है कि औसतन प्रतिदिन करीब 107 लोग डॉग बाइट का शिकार हो रहे हैैं। बावजूद इसके, निगम की ओर से कोई सार्थक कदम नहीं उठाए गए हैं।

सोशल मीडिया पर कराया सर्वे
शहर के डॉग बाइट के बढ़ते मामले अब शहरवासियों की सबसे बड़ी प्रॉब्लम बन गए हैं। ऐसे में दैनिक जागरण आई नेक्सट ने सोशल मीडिया पर एक सर्वे कराया। इसमें करीब 200 लोगों ने पार्टिसिपेट किया। इसमें 90 फीसदी लोगों ने कहाकि नगर निगम की लापरवाही के कारण डॉग बाइट के मामले बढ़ रहे हैं।

38,860 डॉग बाइट के शिकार
हालत यह है कि शहर में डॉग बाइट के मामले लगातार सामने आ रहे हैैं। पूरे जिले में रजिस्टर्ड डॉग बाइट के आंकड़ों की बात करें तो बीते साल के मुकाबले इस साल यह मामले पांच हजार से ज्यादा बढ़ गए हैैं। बीते वर्ष 33,166 डॉग बाइट के मामले सामने आए थे। जबकि इस वर्ष अभी तक 38,860 लोग डॉग बाइट के शिकार हुए हैैं। यानि प्रतिदिन करीब 107 लोग डॉग बाइट का शिकार हो रहे हैैं। डॉग बाइट के शिकार लोगों में छोटे बच्चों की संख्या अधिक है।

नसबंदी केवल खानापूर्ति
वैसे तो दो साल पहले एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया की टीम के सदस्य ने निरीक्षण कर परतापुर बराल के शंकर नगर फेज दो में एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर फाइनल किया था। डेढ़ साल पहले कुत्तों की नसबंदी का अभियान भी शुरू किया। नगर निगम के मुताबिक अभी तक करीब 17 हजार से अधिक कुत्तों की नसबंदी की चुकी है। मगर इस दावे में दम नजर नहीं आता क्योंकि निगम के 90 वार्डों में कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

नहीं पूरा हो रहा टारगेट
पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी डॉ। हरपाल सिंह के अनुसार प्रतिमाह 1000 कुत्तों की नसबंदी व एंटी रेबीज वैक्सिनेशन का लक्ष्य रखा गया है। साल में 12000 कुत्तों की नसबंदी की जानी थी लेकिन ड़ेढ साल में यह संख्या 15000 तक पहुंच सकी है। जबकि एक अनुमान के मुताबिक नगर निगम क्षेत्र में आवारा कुत्तों की संख्या करीब 50,000 होगी।