19 साल की उम्र

खैर वो घटना ऐसी थी, जिसने मेरी और बहन की नहीं, पूरे परिवार की जिंदगी को बर्बाद करके रख दिया। तेजाब की घटना के दौरान मेरी उम्र तो 28 साल थी, लेकिन भावना सिर्फ 19 साल की थी। एक 19 साल की लड़की के मन में कितने अरमान होते हैं, ये बताने की जरुरत नहीं। खैर मेरे हाथ और पेट ही जले थे, लेकिन भावना का चेहरा पूरा खराब हो गया था। इस लड़की की पूरी जिंदगी ही बदल गई थी। दिमाग पूरा ब्लैंक हो गया था।

पिता का उठ गया सहारा

घटना को तीन साल बीत चुके थे। भावना भी हॉस्पिटल से लौट चुकी थी। मैं और पिताजी अकेले थे। केस शुरू हो गया। 22 अगस्त 2008 को कोर्ट में पहली तारीख थी। पापा काफी डिप्रेशन में थे। आखिर दोनों बहनों की जिंदगी कैसे कटेगी? कोर्ट और कचहरी के चक्कर कैसे काटे जाएंगे? समाज को दोनों बहने कैसे फेस करेंगी? भावना का इलाज कैसे होगा? इसी सोच में पहली हियरिंग से लौटने के बाद पापा को ब्रेन हैम्रेज हो गया। 30 अगस्त को पापा हाथ भी सिर से उठ गया।

बच्चे डर जाते हैं

जब मैं भावना को डॉक्टर के पास लेकर जाने के लिए घर से निकलती थी तो आसपास पड़ोस के लोग ताना देते थे कि इसे घर से बाहर न निकाला करो। बच्चे डर जाते हैं। कोई मदद करने सामने नहीं आता, लेकिन ताना मारने और भला बुरा कहने को सब आगे होते थे। यहां तक की रिश्तेदारों तक ने नाता तोड़ दिया था। भावना की अब तक आठ सर्जरी हो चुकी हैं। अब तो माता जी भी अपाहिज हो चुकी हैं।

रहती है पति से अलग  

आपको बता दें कि भावना और प्रतिमा दोनों ही अपने पति से अलग रहती हैं। जी हां, प्रतिमा तो तब से अपनी मां और बहन के साथ रह रही है, जब से ये हादसा हुआ है। प्रतिमा एक बेटी होने के साथ-साथ बेटे होने का फर्ज निभा रही है। वहीं भावना की शादी 15 फरवरी 2013 को श्याम नाम के लड़के से अहमदाबाद में हुई थी। लेकिन अहमदाबाद का एटमॉस्फेयर सूट न होने की वजह से उसे यहीं वापस आना पड़ा। अपने घर का गुजारा करने के लिए दोनों बहने और मां स्टिंचिंग का काम करती हैं।

नहीं मिले पांच लाख

जब ये घटना घटी तो मौजूदा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेई ने पांच लाख रुपए दिलाने का वादा किया था। यहां तक की रिटन में भी दिया था, लेकिन वो रुपए आज तक उन्हें नहीं मिले। प्रतिमा बताती हैं कि मैं और मेरी मां लखनऊ गए थे, तो वहां हमसे मेयर या किसी मंत्री की सिफारिश लाने को कहा गया।

दुकानों पर रजिस्टर बांटे

तेजाब का रिकॉर्ड पर रखने के लिए सोमवार को संकल्प संस्था ने कंकरखेड़ा और सदर मार्केट में रजिस्टर डिस्ट्रीब्यूट किए। कई दुकानदारों ने इसका समर्थन भी किया तो कुछ ने इसका रीजन पूछा.  संकल्प की पे्रसीडेंट अतुल शर्मा ने बताया कि हमने रजिस्टर में सभी कॉलम में बनाए हैं। हमने दुकानों से कह दिया कि है कि हम हफ्तेभर बाद रजिस्टर चेक करेंगे। मंगलवार को हम दूसरी मार्केट में जाएंगे।