- मार्केट में देशी उत्पादों के बाद अब दवाईयों का भारी टोटा
- डेंगू और चिकनगुनिया की दवाओं में आई 50 फीसदी की कमी
- फ्लूड, ग्लूकोज, इंजेक्शन और एंटीबायटिक में आई भारी कमी
Meerut । मेरठ समेत समूचा वेस्ट यूपी पूरी तरह से डेंगू और चिकनगुनिया की चपेट में है। अस्पतालों में जहां मरीजों के लिए बेड कम पड़ गए हैं, वहीं इसका सीधा असर दवाओं की उपलब्धता पर भी पड़ रहा है। हाल यह है कि सरकारी अस्पतालों में न केवल आवश्यक दवाओं का स्टॉक कम पड़ गया है, बल्कि मार्केट में बुखार की दवाओं के ऑर्डर पूरे नहीं हो पा रहे हैं।
50 प्रतिशत शॉर्टेज
मेरठ, मुजफ्फरनगर, नोएडा व गाजियाबाद समेत वेस्ट यूपी में चिकनगुनिया और डेंगू के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। जिसकी वजह से मार्केट में दवाओं की शॉर्टेज हो रही है। वेस्ट यूपी के सबसे बड़े थोक दवा मार्केट खैर नगर में भी आवश्यक दवाओं का अकाल पड़ा है। ड्रग एंड केमिस्ट एसोसिएशन के महामंत्री रजनीश कौशल ने बताया कि मरीजों की संख्या लगातार बढने के कारण दवाओं में शॉर्टेज होने लगी है। कई कंपनियां होने के बाद भी मांग को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने बताया कि रिटेलर्स को तो क्या, कंपनियों को भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि बीमारी इतनी बढ़ जाएगी। मौजूदा समय में पूरे वेस्टर्न यूपी के अंदर 50 फीसदी तक दवाओं की शॉर्टेज हो गई है।
पूरे नहीं हो रहे ऑर्डर
मेडिकल स्टोर संचालक रवीश कुमार ने बताया कि दो दिन के ऑर्डर के बाद ही उन्हें मिल रही है। उन्होंने बताया कि ओरआरएस और इलेक्ट्रॉल जैसे ड्रिंक पाउडर या तो स्टॉक से खत्म हो गए हैं। या फिर खत्म होने की कगार पर हैं। इनके ऑर्डर लगातार दिए जा रहे हैं। ताकि जल्द से जल्द लोगों की परेशानियों को कम किया जा सके। रजनीश कौशल ने बताया कि पब्लिक एडवांस रुपया देकर इन दवाओं की बुकिंग कराकर जा रही है। ताकि स्टॉक में आते ही उन्हें पहले दवाएं मिल सके।
अस्पतालों में इन दवाओं का टोटा
-पैरासीटामोल टैब
-आईवी (इंटर वेन) फ्लूड
-वैक्सीन टैब
-पैरासीटा इंजेक्शन
-ओआरएस
-ऑफ्लोक्सिन आईवी
-एंटी बायोटिक इंजेक्शन की भारी कमी है।
60 प्रतिशत बढ़ गई बिक्री
-एंटी बायोटिक
-पैरासिटामोल
-आईवी सेट
-कैनुला व स्प्रिट
10 करोड़ का कारोबार
दवा मार्केट एक्सपर्ट की मानें तो बुखार की दवाओं की बिक्री में चार गुना इजाफा हुआ है। ऐसे में जहां जिले का रोजाना दवा करोबार 2 से 2.50 करोड़ का रहता है। अब यह आंकड़ा बढ़कर 10 करोड़ तक पहुंच गया है।
ऐसे हो रही डिमांड पूरी
ड्रग एसोसिएशन के महामंत्री रजनीश कौशल ने बताया कि डॉक्टर जो दवाई प्रिस्क्राइब कर रहे हैं, वो दवाई मार्केट में उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में अन्य कंपनियों की दवाई मंगवाकर डिमांड पूरी की जा रही है।
डिमांड के साथ कुछ दवाओं की कमी होना स्वाभाविक है। समय रहते दवाओं की इस डिमांड को पूर्ण कर लिया जाता है। आवश्यक दवाओं का पूरा ध्यान रखा जाता है।
-डॉ। सुनील कुमार गुप्ता, एसआईसी
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अस्पताल फुल, बढ़ रहे बुखार के मरीज
-डेंगू के 109 तो चिकनगुनिया के मरीज हुए 335
-जानलेवा बुखार को रोकने में नाकाम साबित हो रहा स्वास्थ विभाग
-शहर में रोजाना बढ़ रही बुखार के मरीजों की संख्या, लगाए कैंप
मेरठ। शहर में बुखार के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू के 4 नए केसों की पुष्टि की, जबकि चिकनगुनिया के 27 नए मामले सामने आए। इसके साथ ही जिले में डेंगू के मरीजों की संख्या 109 और चिकनगुनिया की 335 हो गई।
बढ़ रहे बुखार के मरीज
शहर में बुखार के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। यही कारण है कि जिला अस्पताल से लेकर प्राइवेट हॉस्पिटल तक फुल नजर आ रहे हैं। जबकि जानलेवा बुखार के सामने स्वास्थ्य विभाग के सारे दावे और इंतजाम बौने साबित हो रहे हैं। शहर को मच्छरों से छुटकारा दिलाने के लिए न तो स्वास्थ्य विभाग के पास कोई प्लान है और न ही कोई पुख्ता इंतजाम। नतीजा यह है कि शहर में न तो एंटी लार्वा का स्प्रे किया जा रहा है और न ही गली मोहल्लों में फॉगिंग।
31 कैंपों में बुखार के 445 मरीज
शहर में बढ़ रही बुखार के मरीजों की संख्या को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने जिले में स्वास्थ्य कैंप लगा रहा है। गुरुवार को शहर में 15 और गांवों में 16 जगहों पर हेल्थ कैंप लगाया। इन कैंपों में बुखार के मरीजों की जांच की। जिला मलेरिया अधिकारी डॉ। योगेश सारस्वत ने बताया कि गुरुवार को शहर में कुल 1270 मरीजों की जांच की गई, जिनमें 115 लोगों को बुखार पाया गया। जबकि 24 मरीजों की स्लाइड बनाई गई। वहीं देहात में 16 जगह कैंप लगाकर 1350 मरीजों की जांच की गई, इनमें बुखार के 330 मरीज पाए गए। 230 मरीजों की स्लाइड बनाई गई।
बुखार के मरीजों में अभी बढोतरी दर्ज की जा रही है। हालांकि विभाग की ओर से पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। शहर और गांवों में हेल्थ कैंप लगाकर बुखार के मरीजों का चेकअप और स्लाइड बनाई जा रही है।
-डॉ। योगेश सारस्वत, डीएमओ