- कांशीराम आवास योजना में लोगों ने बयां किया अपना दर्द

- पूरे इलाके में मातम जैसा माहौल, विक्टोरिया कांड से की तुलना

sharma.saurabh@inext.co.in

Meerut : कांशीराम आवासीय योजना अग्निकांड ख्ब् घंटे के बाद भी वैसा ही ताजा है, जैसे थोड़ी देर पहले ही घटना घटी हो। न तो रात को नींद आई और न ही गले से निवाला उतरा। अब पता नहीं कितने ही दिन ऐसे ही गुजरेंगे। पूरा इलाका मातम में हैं। लोग आ रहे हैं। देख रहे हैं। ख्00म् में विक्टोरिया अग्निकांड हुआ था, अब ये कांड हो गया। पूरा परिवार ही खत्म हो गया।

नींद और भूख दोनों गायब

कांशीराम आवासीय योजना में केएस ख्08 में रहने वाली मंजू कंसल ने बताया कि इस घटना के बाद पूरा मोहल्ले में ऐसा मातम छाया है कि किसी आंखों में नींद ही नहीं आई। सिर्फ उन पांच मासूम बच्चों की मौत के गम में आंखों से आंसू ही उतर रहे थे। खासकर परवेज की बेटी जोया की सूरत आंखों में तैरती है तो अपने आप ही आंखों में पानी आ जाता है। लोगों के दिल में इतना गम है कि किसी के घर में घटना के बाद चूल्हा नहीं जला। ऐसे में में किसी के गले से कैसे खाना उतर सकता है?

विक्टोरिया कांड की याद

केएस ख्ख्क् में रहने वाली शहाना ने कहा कि हादसा क्या था, भगवान का कहर था। जो सिर्फ एक परवेज के परिवार के ऊपर नहीं सब पर टूटा। ऐसा अग्निकांड तो सिर्फ आखिरी बार विक्टोरिया में ही देखा था। बच्चों के शरीर से मांस ऐसे जमीन पर बिखरा रहा था जैसे शहद बिखर रहा हो। इतनी भयानक मौत किसी को न मिले। जब भी याद आता है तो पूरा तन सिहर जाता है।

मजहबी एकता का परिचय

केटी क्8म् निवासी बीना ने कहा कि कल की घटना के बाद एक बात तो सभी के लिए काफी सुकून वाली थी कि किसी ने मजहब के नाम पर अपने मदद को पांव नहीं खींचे। सभी धर्म एवं संप्रदाय के लोगों ने अपनी ओर से मदद करने का पूरा प्रयास किया। किसी के मन में हिन्दू-मुस्लिम की भावना नहीं थी। इस बात को परवेज के परिवार ने भी माना है। मैं तो कहूंगी इस तरह की भावना सभी के दिल में जगे और सभी धर्म और जाति से ऊपर उठकर एक दूसरे की मदद करें।

औरतों ने दिखाई हिम्मत

केजे क्म्म् निवासी मालती ने बताया कि इस घटना में महिलाओं का एक बड़ा रोल रहा। मैं और आस पड़ोस की सभी महिलाओं ने आग की परवाह न करते हुए महिलाओं और बच्चों को निकालने में काफी मदद की। किसी ने भी इस बात की परवाह नहीं की कि उनके भी हाथ और पांव जल सकते हैं। सभी महिलाओं ने पहले इंसानियत को ऊपर रखते हुए मदद को आगे आई। मालती ने कहा कि अगर हम न करते तों कौन करता। पुलिस और फायर ब्रिगेड की गाडि़यां काफी लेट पहुंची थी। आग न बुझाते तो बाकी बिल्डिंग में आग लगने का काफी खतरा था।

पानी की किल्लत

स्थानीय महिलाओं ने कांशीराम योजना की एक कॉमन प्रॉब्लम भी बताई। उन्होंने पिछले दो दिनों से दिख रहे नगर निगम के पानी की टैंकर को देखते हुए कहा कि दो दिनों से पुलिस वालों के जमावड़े की वजह से पानी के टैंकर आए हैं। वरना यहां पर सुबह और शाम सिर्फ डेढ़-डेढ़ घंटा ही पानी आता है। चौथी मंजिल तक तो पानी का आना मुश्किल होता है। छतों पर लगी पानी की टंकी तो भर भी नहीं पाती।