डॉक्टर्स के यहां कतार

डेंटल क्लीनिकों समेत सरकारी अस्पतालों में दांतों के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। दांतों की ट्रीटमेंट लंबा है। सिटी के बड़े डाक्टर्स के यहां पर अगले पंद्रह दिनों तक नए मरीज का रजिस्टे्रशन नहीं है। प्राइवेट डॉक्टर्स के पास न जाने के पीछे बहुत सारे लोग वजह बड़ा खर्चा बताते हैं मगर ये लोग पैसे बचाने के लिए सरकारी अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में तो हाल और भी बुरा है।

क्यों होती है बीमारी

मुंह और दांतों की तमाम बीमारियों के पीछे एक बड़ी वजह हमारा लापरवाह लाइफ स्टाइल है और खानपान है। स्टिकी फूड हमारे खानपान का अहम हिस्सा है और इसे खाने के बाद हम दांत साफ नहीं करते। हम हेल्दी रहने के लिए रात में दूध तो जरूर पीते हैं मगर उसके बाद ब्रश करना जरूरी नहीं समझते। मुंह से आने वाली बदबू को हम बीमारी की शुरुआत ही नहीं मानते.ये हैं बीमारी की जड़

- गुटखा और सिगरेट

- कोल्ड ड्रिंक्स, चाय-कॉफी

 - मीठा खाना

- ब्रश और कुल्ला न करना

- फास्ट फूड

- फैटी फूडघेरती हैं ये बीमारियां

- दांतों में कीड़ा लगना

- पाइरिया

- ठंडी-गर्म चीज का दांतों में लगना

 - मुंह से बदबू

- दांतों का टेढ़ा-मेढ़ा होना

- मुंह का कैंसर

- मुंह में छाले होना

- मसूड़ों की समस्या

अपनाएं ब्रशिंग का सही तरीका

दांतों की बीमारियां होने पर बार-बार ब्रश करने से भी कोई खास फायदा तब तक नहीं हो पाता है। जब तक ब्रश करने का सही तरीका न मालूम हो। डेंटिस्ट्स ब्रश करने का सही तरीका बताते हुए कहते हैं कि दांतों पर ब्रश करते समय ब्रश को गोल घुमाना चाहिए। ब्रश हमेशा हल्के हाथ से ही करना चाहिए। लेकिन कई ऐसी बीमारियां है जो बार-बार ब्रश करने से भी नहीं जा सकती हैं। इन बीमारियों के लिए जरुरी है कि ट्रीटमेंट कराया जाए।

नसों का ट्रीटमेंट रुट कनाल

जबड़े की नसों कमजोर होने रुट कनाल ट्रीटमेंट दिया जाता है। रुट कनाल का ट्रीटमेंट महंगा होने के साथ-साथ लंबे समय का भी है। रुट कनाल के पेशेंट का इलाज छह माह से लेकर एक साल तक भी चल जाता है। इस बीमारी में नसों का इलाज कर सफाई करने के बाद कमजोर जबड़े को मजबूत किया जाता है। इस बीमारी के कारण जो दांत कमजोर हो जाते हैं उनका ट्रीटमेंट करने के बाद कैप आदि से सुरक्षा किया जाता है.इन बातों का रखें ख्याल

- हमेशा मुंह की सही से सफाई करनी चाहिए।

- रात को सोने से पहले ब्रश जरूर करना चाहिए।

- मुंह में बदबू आती है तो इसे संजीदगी से लें और डॉक्टर से कंसल्ट करें।

- बच्चे के दूध के दांत निकलने के बाद डॉक्टर से जरूरी मिलें। क्योंकि डॉक्टर की बताई हुई प्रिकॉशन से उसके दांत टेढ़े-मेढ़े नहीं निकलेंगे।

- सही ब्रश चुनना बेहद जरूरी है। ब्रश खरीदते समय ध्यान दें कि ब्रश आगे से प्वाइंटेड हो ताकि मुंह के हर कोने में जा सके। उसके ब्रिसेल्स सॉफ्ट होने चाहिए। ब्रश का नैक फ्लैक्सिबल होना चाहिए और ब्रश की उम्र 2 से 3 महीने होनी चाहिए।

90 परसेंट बच्चे दांतों की समस्या हैं पीड़ित

सिटी के नब्बे फीसदी बच्चे दांत से जुड़ी किसी न किसी बीमारी की चपेट में हैं। डॉक्टर्स की मानें तो स्कूल जाने की उम्र में ही बच्चों को दांतों की समस्या शुरू होती है। कैविटी और दांत का टूटना इसमें बहुत कॉमन प्रॉब्लम है। हाल ही में एक कंपनी ने स्कूल्स के रुटीन हेल्थ चेकअप के आंकड़ों से ये निष्कर्ष निकाला है। 63 परसेंट दांतों की समस्या को करते हैं नजर अंदाज दांत के डाक्टर्स के पास अब कई दिन का एडवांस एप्वाइंटमेंट है। 74 फीसदी लोगों को कैविटी के बारे में जानकारी है, लेकिन उनमें से 63 फीसदी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। 74 फीसदी को मसूड़ों में सूजन-दर्द का अहसास है, लेकिन इनमें से 66 फीसदी को डॉक्टर की जरूरत महसूस नहीं होती।