शब्दों में झलका गर्व
गरिमा चौधरी की मां सतेश चौधरी 2012 ओलंपिक को याद करके बेहद भावुक हो जाती हैं। सतेश बताती हैं कि गरिमा ने भले ही ओलंपिक में मेडल नहीं जीता, लेकिन भारतीय दल के साथ चलते देखना बेहद भावुक पल था। बेटी ने जब कई अंतर्राष्ट्रीय चैंपियनशिप में मेडल जीते तो दिल से खुशी हुई कि मेरी बेटी की वजह से विदेश में तिरंगा लहराया।

अलका का दम
सबसे पहले बात करते हैं रेसलर अलका तोमर की। अलका तोमर ने यूं तो ओलंपिक को छोड़कर हर चैंपियनशिप में तिरंगा फहराने का लम्हा जिया। लेकिन 2006 में विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में जीता उनका ब्रांज मेडल सबसे खास है। पोडियम पर चढ़ते वक्त जब तिरंगा फहराया गया और राष्ट्रगान की धुन बजी, उस लम्हे को बड़ी ही सादगी से गोल्डन गर्ल अलका तोमर ने जिया। उनकी जिदंगी में ये लम्हा हमेशा ही बेहद खास रहा है। ये लम्हा इसीलिए भी खास बन जाता है क्योंकि इस चैंपियनशिप में मेडल जीतने वाली अलका पहली भारतीय महिला हैं.चैंपियनशिनप- विश्व कुश्ती चैंपियनशिप

भुवनेश्वर कुमार
2012 में पाकिस्तान के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में पर्दापण करने वाले भुवनेश्वर कुमार ने अपने छोटे से करियर में बहुत सारे खुशी के लम्हे जिए, लेकिन पिछले वर्ष इंग्लैंड में हुई चैंपियंस ट्रॉफी उनके करियर का हमेशा खास लम्हा रहेगी। फाइनल जीतने के बाद पूरी टीम ने मैदान का तिरंगा लहराते हुए चक्कर लगाया। शर्ट पर बना तिरंगा हमेशा ही भुवनेश्वर सहित पूरी टीम के दिल से जुड़ा रहा। वहीं मैच से पहले राष्ट्रगान गाना और तिरंगा फहराया जाना भुवी ने देखा है।
चैंपियंस ट्रॉफी 2013

गरिमा चौधरी
अंतर्राष्ट्रीय जूडोका गरिमा चौधरी भले ही 2012 लंदन ओलंपिक में मेडल नहीं जीत पाई, लेकिन ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में तिरंगा लेकर भारतीय दल के साथ चलने का सपना गरिमा ने अपने जीवन में सहेज कर रखा है। ये उनके लिए खास लम्हा बनकर रहा। यही नहीं गरिमा ने सीनियर कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में एक बार गोल्ड और एक बार सिल्वर जीतकर भी तिरंगे की शान बढ़ाई। ये लम्हा भी गरिमा के जीवन में खास मायने रखता है।
कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप 2008
कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप 2010

प्रवीण कुमार
प्रवीण कुमार ने यूं तो 2011 विश्व कप विजेता टीम का हिस्सा बनने का मौका गंवा दिया। लेकिन टीम इंडिया की एक बहुत महत्वपूर्ण जीत में प्रवीण कुमार साक्षी रहे हैं। 2008 में टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया में वीबी सीरीज पर कब्जा जमाया था। ये भारत की ऑस्ट्रेलिया में पहली वनडे सीरीज जीत थी। वो लम्हा खास था, तब टीम के सभी खिलाड़ी बेहद खुश थे। तो पूरी टीम ने तिरंगा हाथों में लेकर जश्न मनाया था। साथ ही वहां मौजूद हजारों भारतीयों को भी तिरंगा लहराने का लम्हा दिया।

विशाखा मलिक
वल्र्ड चैंपियनशिप में मेडल जीतना आसान काम नहीं रहता है। वुशू में विशाखा मलिक ने ये कारनामा करके दिखाया है। 2010 में विशाखा ने वल्र्ड वुशू चैंपियनशिप में ब्रांज मेडल जीतकर पूरी दुनिया में नाम कमाया था। तब विशाखा ने स्टेडियम में हजारों भारतीयों को तिरंगा लहराते देखने का मौका दिया। खुद भी अपनी जीत पर विशाखा काफी उत्साहित थी। मेरठ की विशाखा ने पूरे हिंदुस्तान का नाम रोशन किया और गौरवान्वित किया।

विपिन कुमार
विपिन कुमार ने बॉक्सिंग में जो कारनामा करके दिखाया वो अब तक कोई भी मेरठी बॉक्सर नहीं करके दिखा सका था। विपिन ने 2005 में जूनियर वल्र्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में ब्रांज मेडल जीतकर धमाका मचा दिया था। विपिन ने भी तिरंगा लहराने का मौका दिया।  
जूनियर वल्र्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप

मनु अत्री
मनु अत्री भी बैडमिंटन में देश के उभरते सितारे हैं। इंडियन ओपन सीरीज में जहां कई अंतर्राष्ट्रीय खिलाडिय़ों ने भाग लिया। वहां उनके मुंह से जीत छिनकर मनु ने देश को खुश होने का मौका दिया। तिरंगे का मान रखा और शानदार प्रदर्शन किया। मनु ने इस चैंपियनशिप का डबल्स खिताब हासिल किया। मनु के लिए उनकी शर्ट पर तिरंगे का लोगो लगना ही बहुत गर्व की बात है। क्योंकि ये लम्हा हर किसी की जिदंगी में बहुत कम ही आता है।

"बहुत गर्व हो रहा था, जब अपनी आंखों के सामने तिरंगा एक अंग्रेज लहरा रहा था। वो लम्हा मेरी जिंदगी में बेहद खास है।
-अलका तोमर, रेसलर"

"मेरे लिए वो बेहद खास दिन था। वल्र्ड चैंपियनशिप में मेडल बहुत बड़ी बात है। वो दिन मैं कभी नहीं भूल नहीं सकती।
विशाखा मलिक, वुशू प्लेयर"