- रेल बजट में प्रभु ने वेस्ट यूपी को नहीं दी कोई सौगात

- रेल बजट में आम आदमी की समस्याएं फिर जस की तस

- सहारनपुर तक दोहरी करण का काम पहले हो चुका शुरू

- इस बजट से न समस्या ही गई, न ही खुशियां मिल पाई

Meerut: रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने गुरुवार को रेल बजट पेश कर दिया। आम और खास को जो उम्मीदें इस रेल बजट से थीं, शायद प्रभु उन पर खरे नहीं उतर पाए। वेस्ट की बात करें तो प्रभु ने सभी को निराश किया। वेस्ट में मेरठ की बात करें तो यहां के लिए जो उम्मीदें थीं धरी की धरी रह गई। हालांकि इस रेल बजट में यात्रियों पर किराए का बोझ नहीं बढ़ा, लेकिन किसी को कुछ खास भी नहीं मिला। प्रतिनिधियों के हवाले से जो मांगे रखी गई थीं, उनमें जरा भी काम नजर नहीं आया। इसी के साथ प्रभु इस रेल बजट को पब्लिक ने एकदम नकार दिया।

हमारी उम्मीदें

- मेरठ वाया हस्तिनापुर से पानीपत तक रेलवे लाइन बिछाई जाने की मांग लंबे समय से रही, जिसके लिए हर बार प्रतिनिधि हामी भरते हैं और जब रेल बजट आता है तो सब कुछ जस का तस ही रहता है। एक बार फिर वही पुरानी कहानी दोहराई गई, मेरठ से हस्तिनापुर की बात कहीं नहीं आई।

- मेरठ-सहारनपुर रेलवे लाइन के दोहरीकरण एवं विद्युतीकरण की बात करें तो मुजफ्फरनगर तक पहले ही दोहरीकरण का काम चल रहा है। सहारनपुर तक इसकी व्यवस्था होने जा रही है, लेकिन यहां भी नया कुछ नहीं हुआ। कोई नई ट्रेन नहीं मिल पाई।

- मेरठ से दिल्ली के बीच एक्सप्रेस ट्रेन की बात करें तो यह बहुत कम है। ट्रेन के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। जबकि यहां से दिल्ली के लिए हजारों लोग जाते हैं। जिनके लिए सफर काफी कठिन होता है। बजट में यहां भी कोई राहत नहीं मिली।

- मेरठ से दिल्ली जाने वाली शटल ट्रेन में डिब्बे बढ़ाए जाने की बात थी, लेकिन इसमें कुछ नहीं किया गया। सीन जस का तस है। उम्मीदों पर फिर पानी फिर गया।

- मेरठ से आगरा के लिए इंटरसिटी एक्सप्रेस चलाने की मांग उठती रही है। आगरा से मेरठ का खासा लिंक है। लोगों का आना जाना अधिक होता है। रेल बजट में इसके लिए कोई व्यवस्था नहीं रही।

- मेरठ से दिल्ली के बीच सेक्शन स्टेशनों के विकास की बातचीत चल रही थी, लेकिन इस रेल बजट में फिलहाल कुछ हाथ नही आया। प्लेटफार्म जैसे थे वैसे ही रहेंगे।

- यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा पर ध्यान देने की बात की जा रही थी। प्रभु के बजट में महिला कोच में सीसीटीवी की व्यवस्था की गई है। इससे सुरक्षा कैसे होगी। पुलिस वालों की व्यवस्था भी जरूरी है। सुरक्षा के नाम पर हर बार झंडी दिखाई जाती है, लेकिन होता कुछ नहीं है।

- मेरठ से चलने वाली किसी भी ट्रेन का नाम मेरठ क्रांति रखे जाने को लेकर हर चुनाव में प्रतिनिधि मुद्दा लेकर आते हैं। लेकिन इस क्रांति धरा से चलने वाली किसी भी ट्रेन का नाम क्रांति नहीं रखा गया। इस बजट में भी ऐसा कुछ नहीं हुआ।

- मेरठ से दिल्ली के लिए हर घंटे ट्रेन की सुविधा की मांग की जा रही थी। जीतने वाले हमारे प्रतिनिधियों ने इसको आगे बढ़ाने का वादा किया था। लेकिन यहां तो ट्रेन ही नहीं मिली, हर घंटे कैसे ट्रेन जाएगी।

- सहारनपुर, देहरादून, अंबाला के लिए नई ट्रेनें व संचालन में तेजी की बात भी प्रभु के रेल बजट में कुछ नजर नहीं आया। मेरठ से वाया सहारनपुर, देहरादून होते हुए अंबाला के लिए जाना तय नहीं हुआ। फिर वाया दिल्ली होकर चंडीगढ़ से जाना पड़ेगा।

- मेरठ से दिल्ली के लिए ईएमयू के संचालन की बात हर बार उठती है। इसके बाद भी आज तक कुछ नहीं हुआ। एक बार फिर उम्मीदों पर पानी फिर गया। मेरठ को कुछ नहीं मिला।

- स्टेशन पर सफाई और बैठने की पर्याप्त व्यवस्था की बात करें तो फिलहाल स्टेशन पर कुछ व्यवस्था है। सफाई भी पिछले कुछ सालों से अच्छी है। लेकिन यहां लेडीज के लिए समस्याएं अब भी काफी हैं। रेल बजट में भी सफाई अभियान की बात हुई है, आगे देखना है होता क्या है।

- ट्रेनों में यात्रियों की सुरक्षा का मुद्दा हर बार बॉक्स से बाहर नहीं आता। जीआरपी और महिला कांस्टेबल की बात हो रही थी, लेकिन इस बार तो सीसीटीवी कैमरे के अलावा कुछ नहीं हुआ। अव्यवस्था जस की तस है।

- यात्रियों से टीटीई और जीआरपी जवानों द्वारा की जाने वाली अवैध वसूली बंद होना फिलहाल संभव नहीं दिखता। भले ही प्रभु ने व्हील चेयर, जनरल टिकट और रिजर्वेशन की व्यवस्था ऑनलाइन की हो, लेकिन दलालों का बोलबाला खत्म करने पर बात नहीं हुई।

जनता ने बताया आईवाश

रेल बजट के बाद हम जनता से बात करने स्टेशन पर पहुंचे। हमने इस बजट को लेकर स्टेशन पर मौजूद यात्रियों से बातचीत की तो लोगों ने बजट को झुनझुना बता दिया। वेस्ट की झोली में कुछ नहीं आया। न नई ट्रेन आई और न ही किसी पुरानी मांग का निस्तारण हुआ।

रेल बजट से उम्मीदें थीं, लेकिन वेस्ट के लिए तो कुछ भी नहीं मिला। मेरठ से सहारनपुर के लिए रेल पटरी दोहरीकरण का काम तो बहुत जरूरी है। इस पर जल्दी काम होना चाहिए। सुरक्षा, साफ सफाई को लेकर कुछ नहीं हुआ।

- प्रवीण सैनी

जो रेल बजट से उम्मीदें थीं, उसके अनुसार तो कुछ भी नहीं मिला। कोई नई ट्रेन नहीं दी गई। किसी गाड़ी में डिब्बा नहीं बढ़ाया गया। सबसे अधिक पैसेंजर डिब्बों में मारामारी रहती है। जिनको बढ़ाया जाना चाहिए था और वही नहीं हुआ।

- मोहम्मद आदिल

इस रेल बजट से किसी का कोई फायदा नहीं हुआ। सब कुछ जस का तस है। सहारनपुर तक दोहरीकरण के बारे में भी कोई खास बात इस बजट में नहीं हुई। क्योंकि उस पर पहले ही काम चल रहा है। बाकी अव्यवस्था अब भी वैसी ही है।

- अशोक कुमार

वेस्ट यूपी हमेशा ही उपेक्षित रखा जाता है। इस बजट में भी वेस्ट की उपेक्षा की गई है। यह पूरा बजट बहकाने वाला है। लोग कहते हैं अच्छे दिन आने वाले हैं। यह दूसरा बजट था, जिससे सिद्ध हो गया, कितने अच्छे दिन आएंगे।

- नरेश तालियान

वेस्ट के लिए तो हमेशा ही यह होता है। न सुरक्षा, न ही सुविधा। सबकुछ पुराना ही है। इस बजट में भी कुछ खास नहीं मिला। नई ट्रेन और रेल गाडि़यों में डिब्बों की मांग तो पहले से ही है। लेकिन हुआ कुछ नहीं।

-सोमनाथ

जितना मिलना चाहिए वह कभी नहीं मिलता। 70 फीसदी लोग जनरल क्लास में यात्रा करते हैं, जिनके लिए कोई सुविधा प्रदान नहीं की गई है। एक भी डिब्बा नहीं बढ़ाया गया है। सुविधा के नाम पर बजट एकदम जीरो रहा।

- अमित तालियान

ट्रेनों में सुरक्षा से संबंधित कोई खास व्यवस्था नहीं है। मैं अपनी बेटी के साथ अंबाला जा रही हूं, लेकिन हमेशा डर बना रहता है। कभी ट्रेनों में पुलिस नहीं दिखाई देती। लेडीज कंपार्टमेंट भी जेंट्स घुसे रहते हैं। इस बजट में आम के लिए कोई खास सीन नहीं दिख रहा।

- माला अरोड़ा

सुरक्षा व्यवस्था तो होनी चाहिए। साफ सफाई के लिए हम लोगों की भी जिम्मेदारी बनती है। इसमें सरकार से अधिक यात्रियों को भी सोचना चाहिए। ताकि स्वच्छता बनी रहे। रही बजट की बात तो किसी को कुछ नहीं मिला।

- प्रमोद अरोड़ा

सहारनपुर के लिए सिंगल लाइन है। जहां दोहरीकरण की मांग काफी पहले से उठती रही है। साथ ही इस रूट पर ट्रेनों को बढ़ाए जाने की मांग भी है। जो बहुत जरूरी है। हर बजट में वेस्ट खाली हाथ रहता है। इस बार भी कुछ हाथ नहीं लगा।

- जाकिर हुसैन

इस बजट से कुछ हासिल नहीं हुआ। ट्रेनों की स्थिति पहले जैसी ही है। ना व्यवस्था और ना ही सुरक्षा। सबकुछ ऊपर वाले के हाथ है। ट्रेनों की स्थिति जस की तस है।

- मोहम्मद फैजल

किसी नई ट्रेन का कोई ऐलान नहीं किया गया। जबकि वेस्ट में कई ट्रेन की मांग है। जिससे यात्रियों को सुविधा मिले। बजट फिर छलावा ही रहा।

- मो। नदीम

स्टूडेंट्स रोज दिल्ली पढ़ने जाते हैं। सुबह छह बजे ट्रेन जाती है, इसके बाद ग्यारह बजे आती है। जबकि सभी लोग ग्यारह बजे से पहले ही दिल्ली के लिए निकल जाते हैं। दिल्ली के लिए ट्रेनों की व्यवस्था होनी चाहिए। इस बजट में फिर ठेंगा दिखा दिया गया।

- अंशुल

ट्रेनों में साफ सफाई तो होती ही नहीं है। खाने की बात करें तो बहुत ही बेकार मिलता है। क्ख्0 रुपए में कुछ सही खाने को नहीं मिलता। प्लेटफार्म पर कुछ नहीं मिलता। दवाई और डॉक्टर की तो व्यवस्था ही नहीं है। इस बजट में भी जनता को छला गया है। - विक्रांत गुप्ता

हम तो ठेकेदार के अंडर काम करते हैं। पर स्टेशन पर बुरी हालत है। लेडीज टॉयलेट के लिए कुछ व्यवस्था नहीं है। बहुत सारी समस्याएं स्टेशन पर हैं। बजट में तो हर बार ही ऐसा होता है। मेरठ को कुछ नहीं मिलता।

- सुधीर कुमार, वेंडर