डॉक्टर्स बोले, रेमडेसिविर इंजेक्शन के पीछे न भागे मरीज के परिजन

जब डॉक्टर, मरीज का ऑब्जर्वेशन कर रिकमंड करें, तभी जरूरी लगवाना

Meerut। कोरोना वायरस के संक्रमित गंभीर मरीज बिना रेमडेसिविर इंजेक्शन के भी ठीक हो रहे हैं। डॉक्टर्स का कहना है की मरीज को बचाने के लिए तीमारदार खुद ही इसके पीछे भाग रहे हैं। जिसकी वजह से इतनी अव्यवस्थाएं हो रही हैं। तीमारदारों को चाहिए कि बिना डॉक्टर की एडवाइज के इस इंजेक्शन के पीछे न भागे।

सोशल मीडिया पर डिमांड

इन दिनों सोशल मीडिया पर भी रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर डिमांड बहुत हाई है। लोग ट्वीटर हैंडल पर प्रधानमंत्री से लेकर जिले के प्रशासनिक अधिकारी और जनप्रतिनिधियों को टैग कर इसकी डिमांड कर रहे हैं। मगर बाजार में भी इंजेक्शन की उपलब्धता बहुत कम है, जिसकी वजह से इसकी कालाबाजारी कि कई खबरें भी बहुत तेजी से सामने आ रही हैं।

तीमारदार कर रहे डिमांड

डॉक्टर्स का कहना है की पहली वेव के दौरान रेमडेसिविर का प्रयोग किया गया था और इसके परिणाम भी बेहतर दिखाई दिए थे। दूसरी वेव बहुत तेजी से फैली और मरीज अचानक से ही गंभीर रूप से इसकी चपेट में आ गए। मरीजों की बिगड़ती हालत को देखकर तीमारदार डॉक्टर से यह दवा लिखने को कह रहे हैं।

गंभीर मरीजों के लिए जरूरत

डॉक्टर बताते हैं की रेमडेसिविर एंटीवायरल ड्रग है और सिटी स्कोर 19 या उससे ज्यादा होने पर ही डॉक्टर इसको रिकमंड करते हैं। डॉक्टर का यह भी कहना है की हर मरीज की स्थिति अलग होती है और उसकी रिपोर्ट और ऑब्जर्वेशन के बाद ही कोई भी दवाई रिकमंड की जाती है। कुछ बहुत गंभीर मरीजों में ही इस दवाई का उपयोग किया जा सकता है हर मरीज को इसकी जरूरत नहीं हैं।

अस्पताल में एडमिट कोविड-19 के बहुत क्रिटीकल पेशेंट्स बिना रेमडेसिविर के ही ठीक हुए हैं। अधिकतर केसेज में मरीज के अटेंडेंट ही रेमडेसिविर इंजेक्शन मरीज को लगवाने की जिद कर रहे हैं।

डॉ। जितेंद्रवीर चिकारा, डायरेक्टर, फ्यूचर प्लस अस्पताल

डॉक्टर, मरीज की कंडीशन और उसकी बॉडी ऑब्सर्वेशन के हिसाब से ही दवाई रिकमंड करता है। रेमडेसिविर हर मरीज के लिए नहीं है। दवाई को उपलब्ध करवाने को डॉक्टर्स का प्रिस्क्रिप्शन और रिपोर्ट मांगी जा रही है।

डॉ। अखिलेश मोहन, सीएमओ, मेरठ