मेरठ (ब्यूरो)। श्री 1008 शांतिनाथ दिगंबर जैन पंचायती मंदिर में ज्ञानानंद महाराज ने आत्मशुद्धि का मार्ग बताया। इस अवसर पर मुनि श्री 108 ज्ञानानंद जी महाराज के सानिध्य में 48 दिवसीय श्री भक्तांबर महामंडल विधान पूजन किया गया। जिसमें सुबह शांति धारा एवं अभिषेक हुआ। जिसमें सौधर्म इंद्र एवं कुबेर इंद्र बनने का सौभाग्य कमल जैन-नवीन जैन और अर्पित जैन-आकाश जैन परिवार को प्राप्त हुआ। इसके बाद महाराज ने प्रवचन की शुरूआत की। मुनि श्री 108 ज्ञानानंद महाराज ने श्रद्धालुओं को मंदिर परिसर में संबोधित करते हुए कहा कि जो स्वयं का सामना कर लेता है, वह अपना कल्याण करता है।

मन ही सबसे शक्तिशाली
ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि आत्म साधना के कक्ष में प्रवेश के लिए स्वयं का सामना करना होता है। अवगुणों को हटाना ही आत्म शुद्धि का मार्ग है। जो स्वयं का सामना कर लेता है, वह अपना कल्याण करता है। जीवन में शांति के लिए मन को स्थिर करना पड़ता है। सबसे बडा देवता मन है। मन समाधान भी देता है। हर एक का मन बहुत शक्तिशाली है। उससे हमें समाधान मिल सकता है।

जीवन में धर्म को लाओ
उन्होंने कहा कि मन को स्थिर करने के लिए धर्म को अपने जीवन में लेकर आओ। जिसने मन को स्थिर कर लिया, उसे अनेक प्रकार की शक्तियां प्राप्त होती हैं। उन्होंने कहा कि वैसे मन से बड़ी शक्ति कोई नहीं है। संसार में भगवान की लीला नहीं है, बल्कि यहां लीला विचारों की है। आत्मा का अर्थ हमारे अंदर ही सब कुछ है। उन्होंने कहा कि हम अपने अंदर उपस्थित ज्ञान के द्वारा सब कुछ खोज सकते हैं। उसे खोज लोगे तो आत्मा में आनंद की अनुभूति होने लगेगी। समाधान भी स्वयं मिलने लग जाएंगे। विडंबना यह है कि सब कुछ हमारे पास होते हुए भी हम बाहर भटक रहे हैं। जब मन रूपी शक्ति की अनुभूति होने लगे तो समझ लो कि तुम मोक्ष के निकट हो। हमारा मन सबसे बड़ा मंदिर है। जिस व्यक्ति ने स्वयं को समझा तथा अवलोकन किया, उसी ने जीवन में खुशियां प्राप्त की हैं। हमारे जीवन में लिया हुआ संकल्प बहुत बड़ा परिवर्तन ला सकता है।

ये रहे मौजूद
इस दौरान कार्यक्रम में रमेश जैन, सुभाष जैन, राजेंद्र जैन, अनिल जैन, पंकज जैन, अनीता जैन, विकास जैन, विक्की जैन, श्वेता जैन, सौम्या जैन और रचित जैन आदि उपस्थित रहे। आज यानी बुधवार को शांतिधारा व अभिषेक के बाद भक्तांबर महामंडल विधान कराया जाएगा।