मेरठ ब्यूरो। संयम का अर्थ सावधानी व विवेकपूर्ण क्रिया और असंयम का अर्थ असावधानी और विवेकहीन क्रिया होता है। हमारे जीवन में संयम बहुत ही जरुरी है, संयम जीवन का अनिवार्य अंग होना चाहिए। अगर जीवन में संयम नहीं है तो हमारा जीवन बैलेंस नहीं होगा, संयम रखने से ही हम जीवन में आगे बढ़ सकते हैं, अगर हम संयम से काम नहीं लेंगे तो जल्दबाजी में सभी काम बिगड़ सकते हैं।
संयम के मार्ग पर बढ़ें
उन्होनें कहा कि जैनेश्वरी दीक्षा लेने का अर्थ संयम के मार्ग पर बढऩा है, संयम धारण करने वाला संसार की 84 लाख योनियों के भटकाव से बच जाता है। जीवन में मोक्ष की प्राप्ति के लिए वह सही मार्ग पर चलने के लिए संयम को ही महत्वपूर्ण बिंदु बताया गया। अपने तन-मन धन को स्वस्थ सुरक्षित एवं जीवन से प्यार रखना ही संयम है .जो व्य1ित संयम को धारण नहीं करता वह मृत के समान है ।

संयम आत्म अध्ययन को वह खुराक है जिसे पाने के बाद मनुष्य का जीवन रोगहीन हो जाता है। जीवन में गौरव गरिमा की वृद्धि के लिए संयम का पालन करना जन-जन के लिए आवश्यक ही नहीं अति अनिवार्य भी है। संयम से ही जीवन में ख़ुशी प्राप्त होती है और जीवन आनंदमय हो जाता है.अगर मनुष्य संयम को धारण नहीं करता तो वह जीवन के हर मोड़ पर दुखो का सामना करता हुआ नजर आता है। यदि मानव में संयम स्थिर हो जाए तो वह आलसी भी हो जाता है। आचार्य श्री ने कहा कि जैन धर्म के सिद्धांतों को विज्ञानी लोग भी खंडित नहीं कर पाए, आचार्य श्री के पावन सानिध्य में गणधर विधान दीक्षार्थी सुरेश भइया के द्वारा संपन्न किया गया। संजय जैन ने बताया कि आज शारदा रोड स्थित महावीर भवन में भव्य जैनेश्वरी दीक्षा कार्यक्रम आयोजित होगा। आचार्य श्री निर्भय सागर जी के द्वारा संघस्थ सुरेश भइया को क्षुल्लक दीक्षा प्रदान की जाएगी। दीक्षार्थी की बिनौली यात्रा कमला नगर जैन मंदिर से शुरू होकर महावीर जयंती भवन शारदा रोड पहुंचेगी.इसके बाद दीक्षा कार्यक्रम शुरू होगा। मौके पर धर्मचंद जैन, अभी जैन, आलोक जैन, लोकेश जैन, चिन्मय जैन व राकेश जैन मौजूद रहे।