- कांवड़ के दस दिनों में रोडवेज के पैसेंजर हो जाते हैं कम

- एवरेज एक दिन में 33 लाख रुपए का होता है नुकसान

- मेरठ रीजन के 5 डिपो में कुल चलती हैं 769 बसें

- 450 निगम और 319 बसें हैं अनुबंधित

Meerut : जिला प्रशासन एवं पुलिस के अलावा हर डिपार्टमेंट कांवड़ यात्रा को लेकर तैयारी शुरू कर रहा है। लेकिन जो डिपार्टमेंट सबसे ज्यादा नुकसान में होता है वो है रोडवेज। जो इस बार भी घाटा सहने को तैयारी कर रहा है। हर साल की तरह इस बार भी भैंसाली बस अड्डा सोहराब गेट पर शिफ्ट हो जाएगा और रोडवेज पैसेंजर्स की संख्या न के बराबर रह जाएगी। आइए आपको भी बताते हैं कि किस तरह से रोडवेज का गणित बिगड़ जाता है।

भैंसाली हो जाता है बंद

ये बात सभी को पता है कि कांवड़ के दिनों में दिल्ली रोड पूरी तरह से बंद हो जाता है। इस रोड से कोई भी हैवी ट्रैफिक नहीं होकर गुजरता है। ऐसे में दिल्ली रोड स्थित भैंसाली बस अड्डे को सोहराब गेट पर शिफ्ट कर दिया जाता है। जिससे दिल्ली-देहरादून जाने वाले लोगों को या तो कंकरखेड़ा से बस लेनी पड़ती है। जिससे लोगों को परेशानियों का सामना पड़ता है।

ट्रेन से जाने लगते हैं लोग

रोड ब्लॉक कर देने के बाद अधिकतर लोग शॉर्ट रूट के लिए ट्रेन की मदद ज्यादा लेने लगते हैं। अगर पब्लिक को मोदीनगर, मुजफ्फरनगर भी जाना होता है वो ट्रेन पर ही ज्यादा भरोसा करते हैं। भले ट्रेन बस के मुकाबले कुछ मिनट लेट पहुंचाती है। लेकिन इस समस्या से आसानी से बच जाते हैं।

अपने व्हीकल करते हैं इस्तेमाल

कांवड़ के दिनों दिल्ली और हरिद्वार रोड पर भारी वाहनों को इग्नोर किया जाता है। खासकर आखिरी के दिनों में इस तरह की प्लानिंग की जाती है सिर्फ हल्के वाहनों को ही वहां से गुजारा जाता है। ऐसे में पब्लिक अपने वाहनों को प्रिफर करती है। ताकि सीधे और सिंपल रास्ते का इस्तेमाल किया जा सके। इससे एक फायदा ये होता है कि भारी वाहनों के न होने से लोगों को टै्रफिक जाम की समस्या से नहीं जूझना पड़ता है।

ये है नुकसान का गणित

रोडवेज अधिकारियों की मानें तो रीजन के पांच डिपो में कुल 769 बसें चलती हैं। जिनसे एक दिन की कमाई एवरेज 75 लाख रुपए होती है। रोडवेज के गणित के अनुसार सर्विस सबसे अधिक आखिरी के दस दिनों में से 6 दिन एवरेज के हिसाब से प्रतिदिन 25 लाख रुपए घट जाती है। यानि कमाई सिर्फ 50 लाख रुपए रह जाती है। यानि इन छह दिनों में डेढ़ करोड़ रुपए का नुकसान होता है। वहीं चार दिनों में यही घाटा 45 लाख रुपए का होता है। जो चार दिनों का कुल घाटा मिलाकर 1.80 करोड़ हो जाता है। अगर दस दिनों का हिसाब किया जाए तो लगभग 3.30 करोड़ रुपए का घाटा होता है। इस हिसाब से एवरेज दस दिनों का एवरेज घाटा 33 लाख रुपए डेली का होता है।

फीगर स्पीक

- मेरठ रीजन में कुल रोडवेज डिपो 05 (भैंसाली, मेरठ, सोहराब, गढ़मुक्तेश्वर, बड़ौत)।

- रीजन में चलने वाली कुल बसें 769.

- कुल बसों में निगम बसों की संख्या 450.

- कुल बसों में अनुबंधित बसों की संख्या 319.

- बुधवार को रोडवेज को हुई कमाई 85.50 लाख रुपए।

- रोडवेज की एवरेज कमाई 75 लाख रुपए।

- कांवड़ में इस बार आखिरी के दस दिनों में 3.5 करोड़ रुपए नुकसान का अनुमान।

- सबसे अधिक कमाई वाला रूट मेरठ-शामली।

- सबसे अधिक नुकसान वाला रूट भोला-सतवई-मेरठ।

दिल्ली रोड पूरी तरह से बंद हो जाता है। पैसेंजर भी नहीं मिलते हैं। ऐसे में और दिनों के मुकाबले कमाई कम होना लाजिमी है।

- अशोक कुमार, आरएम