रोडवेज बसों में बिना बिल का माल होगा जब्त

टैक्स निर्धारण और पेनल्टी के बाद होगा निस्तारण

Meerut। यात्रियों की सुविधा के लिए चलाई जाने वाली रोडवेज बस अब जीएसटी और ई-वे बिल से बचने वाले कारोबारियों और व्यापारियों के लिए सुलभ साधन बन चुकी हैं। अधिकतर बसों में कंडक्टर से लेकर बस चालक लंबे समय से बिना बिल के माल की डिलीवरी का काम कर रहे हैं। इससे न सिर्फ रोडवेज बल्कि वाणिज्य कर विभाग को हर माह लाखों रुपये के टैक्स की चपत लग रही है। मगर अब इस टैक्स की चोरी पर लगाम के लिए रोडवेज माल जब्त कर माल भेजने वाले समेत चालक परिचालक पर एक्शन लेने का मन बना रहा है। इस प्रक्रिया के तहत वाणिज्य कर विभाग को भी माल की सूचना दी जाएगी। मगर तब तक जब्त माल रोडवेज के पास रहेगा।

कमाई का जरिया बने पार्सल

रोडवेज बसों में माल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने की एवज में बस के ड्राइवर या कंडक्टर माल के वजन के हिसाब से बकायदा डिलीवरी चार्ज वसूलते हैं। डिलीवरी में छोटी से छोटी चीज के लिए कम से कम पचास रुपये से लेकर बड़े पार्सल के लिए 500 रुपये तक वसूले जाते हैं। अधिकतर बसों में इस तरह के पार्सल ड्राइवर की सीट के पास या बस के केबिन में ही रखे जाते हैं।

अवैध पार्सल होगा जब्त

सोहराबगेट या भैंसाली डिपो से चलने वाली अधिकतर रोडवेज बसों में ड्राइवर व कंडक्टर बस डिपो परिसर में ही पार्सल को खुलेआम बस में रखवा लेते हैं। इसके अलावा बीच सफर में भी जगह-जगह बस रोककर पार्सल बस में रखे जाते हैं। हालांकि पार्सल डिलीवरी के लिए रोडवेज ने पार्सल बुकिंग व्यवस्था बनाई हुई है लेकिन उसमें किराया अधिक होता है और टैक्स से बचने के लिए सीधा कंडक्टर से संपर्क कर पार्सल बस में रखवा दिया जाता है। इससे बस के ड्राइवर और कंडक्टर को भी कमाई करने का मौका मिल जाता है। अब ऐसे पार्सल को रोडवेज का फ्लाइंग स्कवायड बीच सफर में चेक करेगा और जो पार्सल बिना बिल या कहें कि बुकिंग के मिलेगा उसे जब्त कर लिया जाएगा।

ऐसे हो रहा टैक्स चोरी का खेल

शहर के बाहर से 50 हजार रुपये से ज्यादा का सामान मंगवाने पर उसके लिए ई-वे बिल जनरेट करने का सिस्टम है। ई-वे बिल बनाने के साथ ही सामान जीएसटी के दायरे में आ जाता है। इसमें सामान की कैटेगरी वाइज 5, 12 और 18 फीसदी जीएसटी लगता है। इससे चीजें महंगी हो जाती है। इसी की चोरी के लिए रोडवेज बसों के माध्यम से पार्सल में महंगे सामान मंगवाने का खेल चल रहा है। जानकारों का दावा है कि इससे कारोबारियों को कुछ सामानों में तो 25 हजार से एक लाख रुपये तक टैक्स बच रहा है। बिना टैक्स वाला माल भी कीमत कम होने के कारण जल्दी खप जाता है।

रोडवेज बसों के माध्यम से बिना बुकिंग के किसी भी प्रकार के पार्सल की डिलीवरी अवैध है। बिना बिल माल को जब्त कर उसका सही किराया वसूला किया जाएगा। यह माल ज्यादा होगा तो वाणिज्य कर विभाग को भी सूचित किया जाएगा। जिससे वह भी माल की जांच कर अपने टैक्स का निर्धारण कर सकें।

नीरज सक्सेना, आरएम