-एमडीए के एसटीपी अब बनेंगे सिंचाई का जरिया

- कृषि बाहुल्य क्षेत्रों में कृषि के काम आएगा खाद व पानी

-एमडीए की सभी योजनाओं में स्थापित हैं एसटीपी

-खाद और पानी की बिक्री से खुलेंगे आय के श्रोत

Meerut: एमडीए की आवासीय योजनाओं में करोड़ों की कीमत से लगाए गए एसटीपी अब खेतीबाड़ी को सींचकर हरा-भरा बनाने का काम करेंगे। इन सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से निकले पानी को जहां सिंचाई के काबिल बनाया जाएगा, वहीं इससे निकलने वाले कार्बन को खाद की शक्ल देकर कृषि आधारित क्षेत्रों में सप्लाई किया जाएगा। एमडीए ने इस प्रोजेक्ट को मूर्त रूप देने के लिए काम करना शुरू कर दिया है।

क्या है एसटीपी

किसी भी आवासीय योजनाओं में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट वहां की गंदगी को डिस्पोज ऑफ करने के लिए लगाया जाता है। इस डिस्पोज मैटीरियल से निकलने वाले हजारों लीटर पानी को इन्हीं प्लांटों में रिसाइकल कर उसको पीने के लायक बनाया जाता है। हालांकि एमडीए के लिए अभी इस तरह की टेक्नोलॉजी दूर की कौड़ी बनी हुई है, लेकिन अब इस पानी को रिसाइकल कर सिंचाई के लिए बनाया जाएगा।

बिकेगा खाद

एमडीए की मानें तो एसटीपी के पानी को सिंचाई के लायक बनाने के अलावा इससे निकलने वाले कार्बन को भी ट्रीट कर कंपोज्ड खाद में तब्दील किया जाएगा। फिर इसको एमडीए के रैपर में कवर कर कृषि बहुल्य क्षेत्रों में बेचा जाएगा। इस तरह से एमडीए को सालाना पांच करोड रुपए की आय का लक्ष्य रखा गया है।

योजनाओं में लगे है एसटीपी

एमडीए की गंगानगर, सैनिक विहार, शताब्दीनगर, श्रद्धापुरी व समेत सभी अठ्ठारह योजनाओं में करोड़ों की कीमत से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किए गए हैं। अभी तक इनसे निकलने वाला पानी गंदे नालों के माध्यम से शहर के बाहर फेंका जा रहा था, जिससे रोजाना हजारों लीटर पानी वेस्ट हो रहा था। एमडीए की शुरुआत से अब इनका आधुनिकीकरण किया जाएगा।

योजनाओं में लगे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में एडवांस टेक्नोलॉजी बेस्ड बनाया जायगा। इससे निकलने वाले को सिंचाई के लिए तैयार किया जाएगा। साथ ही इससे तैयार होने वाले खाद को भी कृषि आधारित क्षेत्रों में सप्लाई किया जाएगा।

-शबीह हैदर, अधिशासी अभियंता एमडीए