- स्मार्ट सिटी की तीसरी लिस्ट में भी नहीं आया मेरठ का नाम
- केंद्र सरकार की ओर से जारी सूची में मेरठ का नाम नहीं
- सरकारी विभागों में तालमेल न होने से विकास में बाधा
Meerut । केंद्र सरकार ने मंगलवार को स्मार्ट सिटी की तीसरी लिस्ट जारी की। जिसमें मेरठ का नाम नहीं आ सका। यूपी के कानपुर, आगरा और बनारस का चयन हुआ। सरकारी विभागों के आपसी तालमेल नहीं होने से भी मेरठ स्मार्ट सिटी की लिस्ट में आने से चूक है।
1530 करोड़ का प्रपोजल
नगर निगम ने स्मार्ट सिटी के लिए केंद्र सरकार के सामने 1530 करोड़ रुपये का प्रपोजल बनाकर दिया था। पहले नगर निगम ने मेरठ स्मार्ट सिटी का प्रपोजल 930 करोड़ रुपये का बनाया था। जिसको केंद्र सरकार ने नामंजूर करते हुए प्रपोजल का बढ़ाने के लिए कहा था। जिस पर दोबारा से नगर निगम ने प्रपोजल को 1530 करोड़ रुपये किया।
पांच लाख वोटिंग
मेरठ का स्मार्ट सिटी बनाने के लिए आम जनता से वोटिंग कराई थी। इसके लिए वेबसाइट, मिस्ड कॉल, और मेनुअल फार्म भरवाए गए थे। जिससे वोटिंग का आंकड़ा पांच लाख से अधिक पहुंच गया था। वोटिंग के लिए नगर निगम, पार्षद, नेता, व सामाजिक संगठनों द्वारा शहर में जगह-जगह कैंप लगाए गए थे।
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100 अंकों का था प्रोजेक्ट
सिटी प्रोफाइल- 30 अंक
गत तीन वर्षो में शहर में जनसुविधा व नगर निगम की आय के क्षेत्र में सुधार कार्य व जनता की वोटिंग को रखा गया था।
एरिया बेस्ट डवलपमेंट- 55 अंक
शहर के विकास के लिए तैयार की गई योजना, री डवलपमेंट, रेट्रोफिटिंग सहित अनेक योजनाओं को रखा गया था।
पैन सिटी प्रोजेक्ट- 15 अंक इस पार्ट में पैन सिटी का प्रोजेक्ट रखा गया था।
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20 दिन में तैयार किया प्रोजेक्ट
मेरठ को स्मार्ट सिटी का प्रोजेक्ट तैयार करने के लिए बीस दिन का समय दिया गया था। जिसके लिए गुजरात की कंसलटेंट कंपनी को नियुक्त किया था।
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स्मार्ट सिटी की राह में पांच बड़ी बाधाएं
अतिक्रमण-
एक सितंबर से नगर निगम ने बेगमपुल से अतिक्रमण अभियान शुरू किया था, लेकिन पुलिस न होने के कारण तीन दिन बाद ही अभियान को बंद कर दिया गया। वहीं अतिक्रमण दोबारा से हो गया।
जाम-
शहर में जाम एक मुख्य समस्या है। सभी मुख्य चौराहों पर जाम रहता है। पुलिस वाले खड़े रहते है और लोगों को पसीना निकलता है।
गंदगी-
गंदगी शहर के लिए बड़ी समस्या है। तीन हजार से अधिक कर्मचारी पूरे शहर को साफ नहीं कर पाते हैं। शहर में रोजाना 10 मीट्रिक टन से अधिक कूड़ा निकलता है।
सड़क-
शहर की सड़कों को बुरा हाल है। मुख्य सड़कें टूटी हुई पड़ी है। हाल ही हुई बारिश से करोड़ों की सड़के पानी में बह गई। इस ओर न तो नगर निगम और न ही पीडब्ल्यूडी ध्यान देता है।
जलभराव-
हल्की बारिश होते ही शहर में पानी में डूब जाता है। नालों का गंदा पानी सड़कों पर आ जाता है। हालात यह है कि घुटनो-घुटनो पानी भर जाता है।
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इस सूची में मेरठ का नाम आने की पूरी उम्मीद थी। बहुत कम समय में हमने बहुत अच्छा प्रपोजल तैयार किया था। अभी और सूची आनी है। मेरठ स्मार्ट सिटी जरूर बनेगा।
-हरिकांत अहलूवालिया महापौर
स्मार्ट सिटी के लिए मेरठ की दावेदारी बहुत मजबूत थी। हमें उम्मीद थी कि इस सूची में मेरठ का नाम जरूर आएगा। अभी केवल यूपी की तीन शहर चुने गए है। 9 शहरों को और चुना जाना है। मेरठ का नाम अगली सूची में जरूर आ जाएगा।
-डीकेएस कुशवाहा नगर आयुक्त
उन्होने पूरी कोशिश की है कि मेरठ स्मार्ट सिटी बने, लेकिन नगर निगम की कमी के कारण इस बार मेरठ स्मार्ट सिटी की लिस्ट में नहंी आ सका है। अगली बार जरूर मेरठ का नाम स्मार्ट सिटी की लिस्ट में होगा।
-लक्ष्मीकांत वाजपेयी, विधायक शहर
किन्ही कारणों से मेरठ स्मार्ट सिटी लिस्ट से बाहर हुआ है। कोशिश की जाएगी कि अगली लिस्ट में मेरठ का नाम जरूर आए।
-राजेन्द्र अग्रवाल, सांसद मेरठ
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स्मार्ट सिटी के लिए पूरे शहर ने बहुत मेहनत की थी। लोगों से वोटिंग कराई गई थी। लेकिन इस बार मेरठ का नाम नहीं आ सका। रायबरेली से लाख गुना अच्छा मेरठ है। इसीलिए मेरठ स्मार्ट सिटी जरूर बनेगा। इस बार न सही आगे आने वाली सूचियों में मेरठ का नाम जरूर आएगा।
-शेखर त्यागी
स्मार्ट सिटी के लिए मेरठ का नाम नहीं आया थोड़ा दुख तो हुआ। अन्य शहरों के मुकाबले मेरठ को प्रोजेक्ट बनाने के लिए बहुत कम समय मिला। यदि और समय मिलता तो और अच्छे से प्रोजेक्ट तैयार किया जा सकता था।
-विवेक त्यागी
शहर को स्मार्ट सिटी बनाने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया जिसका बहुत ही दुख है।
-अभिषेक,
शहर के स्मार्ट सिटी की खबर न मिलने से बहुत ही मायूसी मिली है। सरकार को इसके लिए कुछ करना चाहिए था।
-सोनू
अगर हमारे सांसद जोर लगाते तो शहर को स्मार्ट सिटी बनाया जा सकता था, लेकिन बदकिस्मती से हमारे शहर का नाम नहीं आया है।
-अंशुल
मेरठ शहर स्मार्ट सिटी बनेगा इसका सपना सजाया हुआ था। हमें सांसद से बहुत उम्मीदें थी लेकिन उन्होंने हमारे सपने चूर कर दिए है।
-सन्नी