Hastinapur : पर्यावरण प्रहरी जलीय जीव कछुआ के सरंक्षण के लिए विश्व प्रकृति निधि एवं वन विभाग के संयुक्त प्रयास से चलाए जा रहे अभियान में गुरुवार को परियोजना के तीसरे चरण की खेप को गंगा नदी में आजाद कर दिया गया। विलुप्ति के कगार पर पहुंचे रहे कछुए को गंगा नदी के किनारे हैचरी बनाकर उनके अंडों को एकत्र कर उनसे बच्चे निकलने के पश्चात सामाजिक वानिकी प्रशिक्षण केंद्र में बनाए गए अत्याधुनिक तालाब में विशेषज्ञों की देखरेख में कछुओं को रखा गया था।

कुछुओं को बचाने की पहल

गंगा नदी के जल को अविरल, निर्मल एवं स्वच्छ रखने के लिए पर्यावरण के प्रहरी जलीय जीव कछुआ के संरक्षण की योजना विश्व प्रकृति निधि एवं वन विभाग के संयुक्त प्रयास से वर्ष 2012 में प्रारंभ की गई थी। गुरुवार को कछुओं को अत्याधुनिक तालाब से मखदूमपुर गंगा घाट पर एसपी देहात एमएम बेग, डीएफओ मनीष मित्तल, डब्ल्यू डब्ल्यू एफ के सीनियर कोऑर्डिनेटर असगर नवाब एवं आसपास गांवों के लोगों के समक्ष 419 कछुओं को गंगा नदी में छोड़ा गया। यह दृश्य देखकर कई बार गंगा का तट तालियों की गडगडाहट से गूंज उठा।

सबको दायित्व निभाना होगा

डीएफओ ने कहा कि योजना डब्ल्यू डब्ल्यू एफ एवं वन विभाग के संयुक्त प्रयास से चलाई जा रही है। अभी तक योजना के परिणाम सकारात्मक आ रहे हैं। यदि आगे भी ऐसा रहा तो इसे जारी रखेंगे। इसके लिए हम सभी को आगे आकर अपना दायित्व निभाना चाहिए। कोऑर्डिनेटर असगर नवाब ने ग्राम प्रधानों व अन्य लोगों के जलीय जीवों के महत्व बताया। संजीव यादव ने बताया कि विमोचन किए गए कछुओं में सबसे अधिक संख्या अत्यंत संकटग्रस्त प्रजाति बगातुर ढोंगो के प्रजाति के कछुओं की थी।