मेरठ (ब्यूरो)। सीसीएस यूनिवर्सिटी के 35 वें दीक्षांत समारोह में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने 203 मेधावियों को पदक प्रदान कर सम्मानित किया। इस मौके पर राज्यपाल ने छात्र और छात्राओं को आगे चल कर व्यक्तित्व और राष्ट्र के निर्माण में योगदान देने को कहा। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस प्रेक्षागृह में आयोजित दीक्षांत समारोह में उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने कहाकि शिक्षा व्यक्ति के सर्वांगीण विकास का काम करती है। इससे व्यक्तित्व के अलावा राष्ट्र का भी विकास होता है। वीसी प्रो। संगीता शुक्ला ने सीसीएसयू की उपलब्धियों को बताया। उन्होंने कहा कि सीसीएसयू ने शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए कई विदेशी यूनिवर्सिटी से समझौता किया है। मौके पर पदक वितरित करने के बाद राज्यपाल ने बेटियों को पढऩे का हिम्मत रखने का संदेश दिया। यहीं नहीं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने दहेज मांगने वालों को भिखारी कहा और ऐसे लोगों के यहां बेटियों का विवाह नहीं करना चाहिए।

दहेज प्रथा करें बंद
राज्यपाल ने नोएडा में स्कूटी की मांग पूरी न होने पर बहू को जलाने की घटना का जिक्र किया। उन्होंने बेटियों से आह्वान किया कि जो परिवार दहेज मांगे वहां विवाह करने से साफ मना कर दें। उन्होंने माता-पिता से कहा कि जो परिवार अभी से भिखारी की तरह मांग कर रहा है वह आगे चल कर और क्या-क्या मांग करेंगे। इसलिए इन दहेज के लोभियों से बेटियां खुद ही विवाह से मना करें। बेटियों को हिम्मत दिखानी होगी।

संस्कृति से कराया परिचित
उन्होंने कहाकि मेरठ और आसपास का क्षेत्र हमारी संस्कृति का अहम हिस्सा है। यह क्षेत्र रामायण महाभारत से जुड़ा होने के साथ ही पंज प्यारों में से एक का स्थान है। स्वतंत्रता संग्राम यहीं से हुआ और पूरे देश तक पहुंचा। उन्होंने खेलों को भी केंद्रित किया। राज्यपाल ने कहा सीसीएसयू ने नैक में ए डबल प्लस प्राप्त किया। एशियन और वल्र्ड रैंकिंग की 12 यूनिवर्सिटी काम कर रही है। जून और जुलाई में इसका रिजल्ट आएगा। साउथ एशियन में 219 वा स्थान मिला है। इस क्षेत्र में 4 हजार यूनिवर्सिटी है। पड़ोसी देश की यूनिवर्सिटी हमारे यहां की यूनिवर्सिटी से जुड़ रही हैं। एशिया रैंकिंग में 13 हजार यूनिवर्सिटी में सीसीएसयू का 701 नंबर है। रिसर्च का स्तर बढ़ा है। रैंकिंग दिशा में कदम बढ़ाए है। इसके लिए बधाई है। छात्रों की प्रगति ने माता का हाथ है।

भेदभाव बंद करें अभिभावक
राज्यपाल ने अभिभावकों से कहा कि बेटे और बेटियों में भेदभाव बंद करें। बेटियों को सरकारी स्कूल और बेटों को निजी स्कूलों में मोटी फीस देकर पढऩा गलत है। अगर माता पिता ही ऐसा भेदभाव करेंगे तो समाज से क्या अपेक्षा कर सकेंगे। बेटे और बेटियों में भेदभाव बंद करें। बेटियों को सरकारी स्कूल और बेटों को निजी स्कूलों में मोटी फीस देकर पढऩा गलत है। दीक्षांत समारोह में बेटियां सबसे ज्यादा आगे हैं। छात्राएं इस बार ज्यादा पास हुई। छात्र 36 प्रतिशत और छात्राएं 81 प्रतिशत पास हुई। छात्राओं ने 72 प्रतिशत पदक भी हासिल किए। यही आपके भेदभाव का नतीजा है बेटियां फिर भी आगे है।

देवरिया में हुए नरसंहार पर भी कहा
राज्यपाल ने प्रदेश में दो परिवारों के बीच जमीन को लेकर हुई लड़ाई में छह लोगों की हत्या के मामले का जिक्र किया।समाज को ऐसे कृत्यों से बाहर निकलने की जरूरत है। आपसी सहयोग की जरूरत है। यह शिक्षा से ही आता है। शिक्षा हमें सदाचार और प्रेम सिखाती है।

रतन टाटा का दिया उदाहरण
उन्होंने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि सफल होने के बाद समाज और देश को नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने रतन टाटा का उदाहरण देते हुए बताया कि वह समूह दुनिया में सबसे ज्यादा दान देता है। राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों को युवाओं को साक्षात्कार के लिए तैयार करने का आह्वान किया। साथ ही सीसीएसयू को क्यूएस रैंकिंग मिलने पर बधाई दी।

माता होती है पहली गुरु
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि मेडल लेकर घर पहुंचने पर सभी सबसे पहले अपनी माता के गले में मेडल बनाएं और उनके पैर छुए। क्योंकि पहले गुरु पिता नहीं बल्कि माता होती है। राज्यपाल ने कहा मां की हमारे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है।

चौधरी चरण सिंह की फोटो ढूंढते रहे लोग
चौधरी चरण सिंह के नेताजी सुभाष चन्द्र बोस प्रेक्षागृह में मंच पर हमेशा लगी रहने वाली पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की फोटो को वहां से हटा कर मंच के बाहर दीवार पर लगा दी गई। हर कोई चौधरी साहब की फोटो ढूंढता रहा।

पर्यावरण का दिया संदेश
सचिव आयुष मंत्रालय पद्मश्री राजेश कोटेचा ने कहाकि 21वीं सदी की बीमारी की जग जीतने के लिए रोग की रोकथाम, निगरानी, देखरेख, नियंत्रण और शमन के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के लिए दृष्टिकोण की आवश्यकता है।दुनिया आयुर्वेद, योग और अन्य पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के महत्व को फिर से समझ रही है। इसी का परिणाम है कि डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन (जीसीटीएम), जो कि दुनिया में पारंपरिक चिकित्सा का अपनी तरह का पहला केंद्र होगा, उसे भारत में स्थापित किया जा रहा है। हाल ही में, पहला वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा शिखर सम्मेलन गांधीनगर में आयोजित किया गया था और शिखर सम्मेलन के विचार-विमर्श से मुख्यधारा की स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में पारंपरिक चिकित्सा के एकीकरण को बढ़ावा मिला है। आशा है कि इससे ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन के दायरे को आकार देने और 2025-2034 के लिए डब्ल्यूएचओ के रणनीतिक दस्तावेज को तैयार करने में महत्वपूर्ण मदद मिलेगी।

दायित्व का बोध कराया
विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने कहा कि शिक्षा मानव जीवन का सर्वागीण विकास करती है। उन्होंने कहा शिक्षा समाज के प्रति दायित्व का बोध कराती है तथा शिक्षा ऐसे मानव का निर्माण करती है जो समाज और राष्ट्र के प्रति समर्पण का भाव रखता हो। उन्होने कहा कि जल है तो कल है, जल है तो जीवन है इसलिए जल की एक-एक बूंद को बचाना चाहिए। उन्होने कहा कि आज विश्व के खेल जगत में भारत का नाम हो रहा है।

कम्युनिटी रेडियों का उद़घाटन
कुलाधिपति ने यूनिवर्सिटी में कर्मचारियों के लिए बनने वाले आवासों का शिलान्यास एवं कम्युनिटी रेडियों का भी शुभारंभ किया। इस कम्युनिटी रेडियों के जरिए स्टूडेंट्स को तमाम जानकारियां प्रदान की जाएगी।

डेंटल डॉक्टर बनने की चाहत
कुलाधिपति स्वर्ण पदक विजेता प्रियंका मिश्रा का कहना है कि मेरा सपना डेंटल का अच्छा डॉक्टर बनना है। इसलिए मैनें चिकित्सा के क्षेत्र में पढ़ाई की है, आगे मैं इसी विषय पर पीएचडी करना चाहती हूं, मुझे बहुत खुशी हुई कि मुझे मेडल मिला है, मैं चिकित्सा में के क्षेत्र में जिन सुविधाओं की देश में कमी है उनको उपलब्ध करवाने में अपना योगदान देने का प्रयास करूंगी।

आरजू को मिला मेडल
डॉ। शंकर दयाल शर्मा स्वर्ण पदक हासिल करने वाली आरजू ने एमकॉम में बेहतर अंक हासिल किए है। उनका कहना है कि वो आगे देश की इक्नोमिक्स को लेकर लेकर रिसर्च करने वाली है, जिसपर वो पहले से काम कर रही हैं, पीएचडी कर नाम के आगे डॉक्टर लगाना ही उनके लिए काफी नहीं होगा, इसके लिए वो कुछ ऐसा करना चाहती हैं कि देश में नाम भी रोशन हो जिसका वो पूरा प्रयास करेंगी।

किसानों के लिए करुंगा काम
चौधरी चरण सिंह स्मृति प्रतिभा पुरस्कार पाने वाले दीपक कुमार ने बीएससी एग्रीकल्चर में बेहतर अंक हासिल किए है। उनका सपना है कि किसानों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाना, तकनीकी संसाधनों से हर किसान को जोडऩा और किसानों की समस्याओं को समाप्त करने के लिए एक यूनियन बनाने की भी तैयारी है। इसके साथ ही एक अच्छे प्रोफेसर बनना चाहते हैं।

कृषि को लेकर जागरुकता
चौधरी चरण सिह स्मृति प्रतिभा पुरस्कार पाने वाले हिमांशु सैनी ने बताया कि उनको कृषि को लेकर जागरुकता लानी है, इसके लिए वो काम कर रहे हैं। आगे वो प्रोफेसर बनना चाहते है और गांव गांव के किसानों को जागरुक करना चाहते हैं, और उनको बताना चाहते है कि अब एग्रीकल्चर भी एक अच्छे करियर के रुप में उभरकर आया है।