-एमडीए में धूल फांक रहे 4540 ध्वस्तीकरण आदेश

-आवास-विकास परिषद में 2000 से अधिक अवैध निर्माण

-कोर्ट के आदेशों को भी दबाए बैठे सरकारी विभाग

Meerut। मेरठ शहर अवैध निर्माणों की पनागाह बन गया है, हाल ही में छावनी क्षेत्र में हुए बंगला नंबर 210बी कांड ने एक बार फिर से अवैध निर्माण प्रकरण को हवा दे दी है। 10 हजार से भी अधिक छोटे-बड़े अवैध निर्माण शहर के गली-मोहल्लों में सिर उठाए खड़े हैं। ये वो निर्माण हैं, जो न केवल संबंधित विभागों की पत्रावलियों में दर्ज हैं, बल्कि इनमें से अधिकांश के ध्वस्तीकरण आदेश भी सालों से धूल फांक रहे हैं।

4540 आदेश पेंडिंग

महानगर में सुनियोजित विकास का दावा करने वाला एमडीए न केवल अवैध निर्माणों से शहर की दरोगाई करता है, बल्कि शहर का शिल्पकार भी समझा जाता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि आज सबसे अधिक अवैध निर्माण एमडीए के अफसरों की सरपरस्ती में ही किया जा रहे हैं। और प्राधिकरण कागजी लीपापोती कर अवैध निर्माण के गोरखधंधे को खूब सींच रहा है। इसका जीता जागता प्रमाण यह है कि अकेले प्राधिकरण में ही 4540 अवैध इमारतों के ध्वस्तीकरण आदेश सालों से धूल फांक रहे हैं। ये तो निर्माण हैं, जो एमडीए ने खुद चिह्नित किए है। जबकि ऐसे न जाने कितने निर्माण हैं, जो प्राधिकरण की फाइलों तक भी नहीं पहुंच पाते।

परिषद में दो हजार

अवैध निर्माणों को हवा देने में एमडीए अकेला नहीं है, बल्कि आवास-विकास परिषद की भी इसमें पूरी भागीदारी है। आवास-विकास क्षेत्र में 2000 हजार से अधिक अवैध निर्माण सरकारी व्यवस्था का मुहं चिढ़ा रहे हैं। ये वो निर्माण हैं, जिनका संज्ञान हाईकोर्ट लेकर अवास-विकास को स्पष्ट रूप से इन दो हजार निर्माणों को ध्वस्त करने के निर्देश दिए थे। लेकिन नतीजा जस का तस है।

अवैध निर्माण के कई मामले कोर्ट में विचाराधीन होने के कारण कार्रवाई नहीं की जा सकती। समय पर पुलिस-फोर्स न मिलना भी एक कारण है। समय-समय पर प्राधिकरण ध्वस्तीकरण अभियान चलाता है।

-राजेश कुमार, वीसी एमडीए

इनसेट

66 हजार पन्नों में दर्ज अवैध निर्माण

शहर में अवैध निर्माणों की क्या स्थिति है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एमडीए में अवैध निर्माणों का रिकार्ड एक नहीं बल्कि 66 हजार पन्नों में दर्ज है। यह खुलासा खुद एमडीए ने एक आरटीआई के जवाब में किया। एमडीए ने स्पष्ट कहा कि अवैध निर्माणों का लेखाजोखा 66 हजार पन्नों में दर्ज है।