मेरठ (ब्यूरो) । जीएसटी बचाने के लिए छोटे व्यापारियों के लिए रोडवेज बसें सबसे मुफीद साधन थीं। हालांकि, अब शहर में इलेक्ट्रिक बसों को संचालित किया जा रहा है। ऐसे में अब उन्हें भी माल ढुलाई का साधन बना दिया गया है। स्थिति यह है कि शहर में संचालित इलेक्ट्रिक बसों में लगातार कॉमर्शियल सामान की ढुलाई बढ़ती जा रही है। इससें बसों में सफर करने वाले यात्रियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

ट्वीट से बताई प्रॉब्लम
इस समस्या पर शहरवासियों ने नाराजगी जताई है। इस मामले में जागरुक नागरिक अंकित अधाना ने परिवहन विभाग को टवीट किया है। उन्होंने बसों में होने वाली मॉल ढुलाई की जांच की मांग की है।

अधिकतम पांच क्विंटल सामान का नियम
गौरतलब है कि परिवहन विभाग के नियम के अनुसार 50 किलो वजन पर यात्री को किराये का 50 प्रतिशत, 25 किलो वजन पर यात्री को किराये का 25 प्रतिशत अतिरिक्त देना होता है। लेकिन सामान क्या है इसकी जानकारी देते हुए बकायदा टिकट कटाना होता है। परिवहन निगम ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि एक बस में अधिकतम 5 क्विंटल सामान लादा जा सकेगा। इसके अलावा गैस सिलिंडर, मिट्टी का तेल, डीजल, पेट्रोल, शराब की बोतल, चमड़ा, मीट, अंडा, सीमेंट, सरिया, पेंट आदि ले जाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध है।

यात्रियों को परेशानी न हो
साथ ही यह भी नियम है कि कि ऐसा कोई सामान नहीं रखा जाएगा, जिससे बस में सफर करने वाले यात्रियों को परेशानी हो। लेकिन इन सब नियमों को ताक पर रखकर चालक परिचालक कुछ अतिरिक्त पैसों के लालच में व्यापारिक माल बसों में रखवा लेते हैं।

प्रवर्तन दल की मिलीभगत
नियम होने के बाद भी इलेक्ट्रिक बसों में प्रवर्तन दलों की मिलीभगत के चलते इस माल की जांच तक बसों के अंदर नही की जाती है। यात्रियों की सीट पर या फिर बस के फर्श पर बड़ी बड़ी पेटियां रख कर जगह घेर ली जाती है। इससे यात्रियों को परेशानी भी होती है और बस की सीट तक खराब हो जाती है। प्रवर्तन दल केवल बेटिकट यात्रियों की धरपकड़ करने तक सीमित रहता है।

जिले की इलेक्ट्रिक बसों में यात्रियों से ज्यादा समान से भरे बक्से सफर करते हैं। जिन्हें टिकट के बिना ही परिचालक अलग से रूपए लेकर ले जाता है। इन सामान की जांच होनी चाहिए।
अंकित अधाना

रोडवेज बसों में यह आम सी बात है कि बड़े बडे पैकेट फर्श पर या सीटों पर रखकर यात्रियों की जगह घेर ली जाती है। अब इलेक्ट्रिक बसों में भी यह खेल शुरू हो गया है।
दिवाकर सैनी

यह पैकेट हादसों का कारण भी बन सकते हैं। इनकी जांच नही होती कि इनके अंदर क्या है इनके लिए कोई नियम पालन नही होता। कम से कम परिचालक को माल की जानकारी भी लेनी चाहिए।
अंशु गोस्वामी

अनाधिकृत रुप से बिना टिकट लिए माल ले जाना पूरी तरह से प्रतिबंधित है। इसके के लिए चालक परिचालकों को सख्त निर्देश दिए हुए हैं कि किसी प्रकार से अवैध माल का ट्रांसपोर्ट ना करें।
विपिन सक्सेना, एआरएम सिटी ट्रांसपोर्ट