मेरठ (ब्यूरो)। असोड़ा हाउस स्थित जैन मंदिर में अभिषेक और शांतिधारा हुई। इसमें सौधर्म इंद्र बनने का सौभाग्य श्रीपाल, सुदेश, रतन और महेश के परिवार को मिला। वहीं कुबेर इंद्र का सौभाग्य उमेश चंद और ममता जैन परिवार को मिला। शांतिधारा के बाद पूजन विधान संपन्न हुआ। इस अवसर पर मुनिश्री ज्ञानानंद महाराज ने मंगल प्रवचन में भक्तों को पौधरोपण के बहाने मोक्ष का मार्ग बताया। इसके साथ ही उन्होंने भक्तों को पौधरोपण करने के लिए अपील भी की।

पौधरोपण का महत्व बताया
उन्होंने कहाकि आप जो पौधरोपण करते हैं। पौधे को गमले में रखकर उसमें खाद, पानी, मिट्टी डालकर रखा जाता है। समय-समय पर उसमें पानी भी देते हैं। यदि उसमें कोई घासफूस आ जाए, तो उसे भी हम निकाल कर फेंक देते थे। फिर उसमें किसी मूर्ति, बिंब, प्रतिमा को रखकर उसकी वंदना, परिक्रमा भी करते हैं। गमले में मौजूद पौधे के नीचे जड़ें बढ़ती चली जाती है। वह गमले के नीचे जाने का रास्ता खुद तैयार कर लेती और उसमें से निकलकर राशन की खोज करती है। उन्हें जहां राशन मिलेगा वे वहीं चली जाती है। उन्होंने कहा कि उन जड़ों के पास ऐसी कौन सी बुद्धि होती है, जो अपना आहार खुद खोज लेती है। ये सब प्रतिकूलता और अनुकूलता कहलाता है।

कठिनाइयों को पार सकते हैं
उन्होंने कहा कि जहां हमारी वेदना शांत होगी वहां किसी भी कठिनाई को हम पार कर सकते हैं। इसी प्रकार दुखी संसार का प्राणी खोजता-खोजता निकलता है। वह सोचता है कि कहां जाएं। इस प्रकार अगर जाना हो तो मंदिर की ओर चले जाओ। उससे भी आगे जा सकते हो। यदि नहीं जाना है, तो अपने में आ जाओ। क्योंकि मंदिर में विराजमान भगवान पराए नहीं हैं। महाराज ने कहा कि इसी प्रकार हमें भी बोध हो जाता है कि गमले को छोड़ दो, फिर सोचते हैं कि हम छोड़कर कहां जाएंगे, तो जब तक तैयार ना हो जाओ गमला मत छोड़ो, लेकिन उसमें राशन पानी डालते जाओ।

गमले को सींचते रहो
उन्होंने कहा कि इस जीवन में मुक्ति ना सही, लेकिन आगे भी मुक्ति का रास्ता नहीं खुलेगा।इसलिए उस गमले को सींचते रहें, लेकिन नीचे जाने का रास्ता भी बनाकर रखो। जब आपकी भक्ति रूपी जड़े नीचे जाएंगी, तभी आपको विकास का द्वार मिलेगा।

इनका रहा सहयोग
मंदिर परिसर में गंधर्व जैन, अनमोल जैन, अंजना जैन, ममता जैन, अनिल जैन, रेखा जैन, पारस जैन, अर्ह जैन, आर्जव जैन, रचित जैन आदि उपस्थित रहे।