मेरठ (ब्यूरो)। असोड़ा हाउस स्थित जैन मंदिर में अभिषेक व शांतिधारा मुनि ज्ञानानंद महाराज द्वारा कराई गई। जिसमें सौधर्म इंद्र बनने का सौभाग्य रमाकांत जैन-सौरभ जैन-अतुल जैन परिवार को मिला। वहीं कुबेर इंद्र बनने का सौभाग्य राकेश जैन-अंकित जैन परिवार को मिला। जिसके पश्चात् भक्तांबर महामंडल विधान के दौरान पंडित बिरजू एवं संगीतकार पारस द्वारा भक्तांबर सूत्र के 48 अर्घ श्रद्धालुओं से मांडले पर समर्पित करवाए गए।

बीज में ही वृक्ष छिपा
इसके बाद मुनि ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि जिस तरह से बीज में ही वृक्ष छिपा होता है वैसे ही मनुष्य में ईश्वर छिपा हुआ है। उन्होंने कहा कि वृक्ष बनने के लिए बीज को जमीन के साथ मिलना पड़ता है। जब तक वह स्वयं को मिटाने के लिए राजी न हो जाए तब तक वृक्ष का अंकुरण नहीं हो सकता। ऐसे ही हमें परमात्मा बनने के लिए अपने अहंकार का पूरी तरह से त्याग करना होगा।

स्वंय को खत्म कर देते हैैं
जैन मुनि ने कहा कि मनुष्य का जन्म यूं ही नहीं मिलता। कई जन्मों की पुण्य वाणी खर्च करने के बाद ऐसा योग बनता है। उन्होंने कहा कि इतनी लंबी यात्रा करके प्राप्त किए हुए मनुष्य जन्म को लोग बर्बाद कर डालते हैं। बीड़ी, सिगरेट, गुटखा, तंबाकू, मदिरा आदि नशीले पदार्थों का सेवन कर वे स्वयं को खत्म कर देते हैं। यह बहुत बड़ी नासमझी है। उन्होंने कहा कि मनुष्य अपने दुर्लभ मन को भी क्रोध, अहंकार आदि गंदगी से भर देता है और उसकी कीमत को बेकार कर देता है।

वातावरण को भक्तिमय बनाया
जैन मुनि ने कहा कि जो मनुष्य अपने तन मन को खराब करता है, वह राक्षस कहलाता है और जो अपने तन मन का सदुपयोग करता है वह प्रभु महावीर की तरह परमात्मा बनता है। सभा में गुरू ने प्रभु महावीर की स्तुतियां गाकर वातावरण को भक्तिमय बना दिया। प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। महाआरती और मंगल पाठ में काफी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। इस मौके पर विनोद जैन, विपिन जैन, रमेश जैन, अमित जैन, सुधीर जैन, मनोज जैन, प्रतीक जैन, सविता जैन व रचित जैन आदि उपस्थित रहे। रचित जैन ने बताया कि आज सुबह छह बजे से 9.30 बजे तक अभिषेक शांतिधारा व भक्तांबर महामंडल विधान रहेगा। शाम को साढ़े छह बजे आनंद यात्रा रहेगी।