धड़ल्ले से बिक रहा ड्रग
शहर के मेडिकल स्टोर्स पर प्रतिबंधित नशे के इंजेक्शन, टेबलेट, कैप्सूल आदि धड़ल्ले से बिक रहे हैं तो वहीं सुनसान स्थानों पर प्रतिबंधित ड्रग की मंडी सजती है।

ये हैं प्रमुख अड्डे
ड्रग यूजर गु्रप में रहते हैं और शहर के सुनसान इलाके इनके हॉट स्पॉट हैं। घंटाघर, टाउनहॉल, माल गोदाम, ओडियन सिनेमा, कंकरखेड़ा, अशोक की लॉट, महताब के सामने का मैदान, नौचंदी ग्राउंड, पीवीएस मॉल के आसपास एवं खेल के मैदान में ये दो-चार के गु्रप में मौजूद रहते हैं।

ऐसे करेंगे पहचान
- ड्रग एडिक्ट को पानी से डर लगता है, नहाते नहीं हैं। गंदे रहते हैं, जिससे स्किन के साथ-साथ बीमारियां भी पनप जाती हैं।
- भूख नहीं लगती, आमतौर पर खाना न खाने से ड्रग एडिक्ट शारीरिक रूप से कमजोर होते हैं।
- मनोरोगी होते हैं, याददाश्त कमजोर हो जाती है।
- बार-बार एक ही जगह पर इंजेक्शन लगाने से घाव हो जाता है, ड्रग एडिक्ट घाव में ही इंजेक्शन लगा लेते हैं।

आसान नहीं हैं काउंसलिंग
ड्रग एडिक्ट आसानी से काउंसलिंग के लिए एग्री नहीं होते हैं। समाज से दूरी बनाए ये लोग आमतौर पर परिवार में असहज स्थिति में रहते हैं। बीमारी की जांच के लिए यूजर को जांच केंद्र तक ले जाना भी मुश्किल काम है।

टीनएजर्स भी
आमतौर पर ड्रग एडिक्ट वे होते हैं जो पहले कोई दूसरा नशा करते हैं और धीरे-धीरे नशे की आदत बढ़ने से इंजेक्शन लेने लगते हैं। मिडिल और लोअर क्लास के बीच जड़ जमाए इस बीमारी ने अब पैर पसारना शुरू कर दिया है। टीनएजर्स के साथ-साथ वूमेन और एलीट क्लास भी आईडीयू बन रहे हैं। स्कूल गोइंग ग‌र्ल्स, हॉस्टलर्स में भी नशे के इंजेक्शन और ड्रग को यूज करने का क्रेज बढ़ा है।

मैरीड कपल ड्रग एडिक्ट
शहर में तीन मैरीड कपल ड्रग एडिक्ट हैं। हसबैंड-वाइफ दोनों नशे के लिए इंजेक्शन ले रहे हैं, कई केसेज ऐसे भी हैं जिनमें वूमेन आईडेन्टीफाई हुई हैं। कॉलेज गोइंग, हॉस्टलर ग‌र्ल्स के केस भी सामने आए हैं।

जागरूक कर रही 'आशी'
टॉरगेटिव इंटरवेंशन प्रोग्राम के तहत नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन, उप्र एड्स कंट्रोल सोसाइटी से वित्तपोषित संस्था एसोसिएशन फॉर सोशल हेल्थ इन इंडिया (आशी) मेरठ में आईडीयू को जागरुक करने का काम कर ही है। संस्था ने शहर के विभिन्न वर्गो में 500 से अधिक ड्रग एडिक्ट चिह्नित किए है, जिसमें से 17 एचआईवी पॉजिटिव हैं। संस्था रोजाना आईडीयू में 200 नई सिरिंज बांटने का काम कर रही है। संस्था डी-एडिक्शन सेंटर में ड्रग एडिक्ट को नई जिंदगी देने का काम कर रही है।

ओएसटी से जगाई आस
ओपिएट सब्स्सीट्यूट थेरेपी ने ड्रग एडिक्ट के मामले में रोशनी का काम किया है। मेरठ के जिला अस्पताल में एक माह पूर्व मई में ओएसटी सेंटर खुला है। इस सेंटर पर आईडी यूजर को नशे ओपिएट की गोली दी जाती है। ओरली यूज में आने वाली यह गोली सब्स्सीट्यूट के तौर पर आईडी यूजर को दी जाती है।

ये हैं ड्रग
ड्रग: अफीम, कोकीन, हेरोइन, चरस, गांजा, भांग, डोडा पाउडर आदि ड्रग बाजार में मौजूद हैं।
इंजेक्शन: मॉरफिन, फोर्टविन, फेनॉरगन, डायजापॉम, एविल आदि इंजेक्शन आईडी यूजर प्रयोग में लाते हैं।
मेडिसिन: डायजापाम, ट्राइका आदि नशे की गोलियों के अलावा एंटी पायरेटिक-एंटी इन्फ्लामेट्री, कफ सीरप को नशे के तौर पर प्रयोग में ला रहे हैं।
फ्लूड: सालूशन, फ्लूड, स्प्रिट को रूमाल में लगाकर सूंघते हैं।

प्रतिबंध के बावजूद ड्रग एडिक्ट को आसानी से नशे के इन्जेक्शन एवं अन्य सामग्री मिल रही है। ऐसा संज्ञान में आया है। ऐसे मेडिकल स्टोर्स को चिह्नित किया जाएगा और उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही होगी।
-डॉ। रमेश चंद्रा, सीएमओ

बड़ी संख्या में ड्रग एडिक्ट शहर में मौजूद हैं। पूर्व में अभियान चलाकर इन्हें खदेड़ा गया है। रेंज ऑफिस में एक हेल्पलाइन भी है। ड्रग सप्लायर के खिलाफ जल्द ही एक अभियान चलाया जाएगा।
-लक्ष्मी सिंह, डीआईजी, मेरठ