- देश में सबसे पहले यूपी में शुरू होने जा रहा है वेब बेस्ड क्राइम मैपिंग सिस्टम

- थाने वार क्राइम स्पॉट होंगे चिह्नित, पता चलेगा कि किस टाइम होता है कौन सा क्राइम

Meerut : प्रदेश की पुलिस ने क्राइम को कंट्रोल करने के लिए हाईटेक चोला पहन लिया है। वेब बेस्ड क्राइम मैपिंग सिस्टम के जरिए यह अब आसानी से पता लगाया जा सकेगा कि किस क्षेत्र में किस तरह का क्राइम सबसे ज्यादा होता है और किस टाइम पर। इससे पुलिस एक स्पेसिफिक टाइम पर स्पेसिफिक जगह पर सुनियोजित तरीके से फोकस करेगी। ताकि क्राइम पर लगाम लगाया जा सके, पूरे देश में यूपी पहला प्रदेश होगा जो हाईटेक सिस्टम लागू करने जा रहा है।

पहले फेज में चार जोन

गुरुवार को मेरठ जोन के सभी जिलों की पुलिस के लिए एक कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें पीएसी पूर्वी जोन के आईजी आशुतोष पांडेय, आईजी क्राइम डॉ। राम कृष्ण स्वर्णकार, डीआईजी मेरठ लक्ष्मी सिंह, डीआईजी सहारनपुर अशोक कुमार राघव ने पुलिसकर्मियों को इस सिस्टम की कार्यप्रणाली के बारे में विस्तार से बताया। आईजी आशुतोष पांडेय ने बताया कि सबसे पहले आगरा जोन में इस पर ट्रायल शुरू किया गया। फिर कानपुर में इस पर परफेक्शन हासिल किया गया। यहां पर इसके लिए सॉफ्टेवयर डेवलप किया गया और इसे गूगल पर अपलोड किया गया। पिछले डेढ़ साल से कानपुर में इसे सफलतापूर्वक काम किया गया। पहले फेज में एक अप्रैल से कानपुर समेत, मेरठ, बरेली और आगरा जोन में लागू कर दिया जाएगा।

इस तरह से काम करता है सिस्टम

इस सिस्टम के तहत जिले के सभी थानावार डाटा जुटाया जाता है। हर थानाक्षेत्र से यह पता लगाया जाता है कि कौन-कौन से क्राइम प्रोन इलाके हैं। किस टाइम पर ये क्राइम ज्यादा होते हैं। किस तरह का क्राइम ज्यादा होता है। क्राइम होने का मुख्य कारण क्या है। पिछले तीन वर्ष का डाटा तैयार किया जाता है। हर क्राइम का लैटीट्यूड और लॉन्गीट्यूड तैयार कर ही यह डाटा तैयार किया जाता है। इसके बाद जो एनालाइसिस टूल हाथ लगता है उसे गूगल मैप पर अपलोड कर दिया जाता है। कानपुर की टेक्नो फ्रेंड कंपनी ने ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया है जो इन डाटा को गूगल पर अपलोड करता है और ऑटोमैटिक कुछ ही मिनटों में क्राइम प्रोन स्पॉट उभर कर आ जाते हैं। हर स्पॉट की क्राइम की डिटेल महज एक क्लिक पर सामने आ जाती है।

क्राइम होने से पहले होगा डिटेक्ट

आईजी आशुतोष पांडेय ने बताया कि पुलिस हमेशा क्राइम के प्रिवेंशन पर ध्यान देती है, लेकिन इस सिस्टम की मदद से हर थाने के एसओ के पास एक ऐसा टूल होगा जो क्राइम को डिटेक्ट करने में मदद करेगा। इसके बाद क्राइम होने से पहले ही उसे सही समय पर फोर्स डिप्लॉय कर प्रिवेंट किया जा सकेगा। इसके लिए सबसे जरूरी है कि क्राइम से संबंधित हर छोटी से छोटी घटना की सूचना थाने में दर्ज हो। डीजीपी के आदेश पर इसकी मॉनीटरिंग जोन के आईजी करेंगे। स्पष्टीकरण भी उन्हीं से मांगा जाएगा। हर जोन के आईजी को यह निर्देश दिया गया है कि वे अपने जोन के मीडिया की खबरों का संज्ञान लें और देखें थाने को उसकी जानकारी है कि नहीं।