पुलिस के साथ थापर नगर पहुंची बच्चियां, स्कूल बैग और खिलौने लाई

-पुलिस ने डाला दिल्ली में डेरा, विशाल की तलाश में कई जगह छापे

 

Meerut : डॉक्टर शालिनी की मौत के प्रकरण में पुलिस अभी खाली हाथ है। आरोपी पति डॉ। विशाल और उसकी मां विनीता अभी फरार हैं जबकि दंपति की दोनों बेटियां अब अपने नाना के पास हैं। बच्चियों ने गुरुवार को पुलिस के साथ थापर नगर स्थित घर जाकर स्कूल बैग, खिलौने और जरूरी कपड़े लिए। कुछ देर के लिए ही सही, घर में भागदौड़ कर बच्चियों ने जरूरी खिलौने और किताबों को साथ रख लिए।

 

बच्चियों को यकीन, आएंगे पापा

थापर नगर स्थित निवास पर आई नेक्स्ट से वार्ता के दौरान डॉक्टर शालिनी की बच्चियों ने बताया कि उनके पापा (विशाल) और दादी एक-दो दिन में आ जाएंगे। वे अभी नानी के घर पर जा रही हैं। आसपास घिरे लोगों ने बच्चियों से पूछा तो परेशान होकर बड़ी बेटी वृनिका ने बताया कि 'हमें नहीं पता हम कहां जाएंगे, कहां रहेंगे.' पापा आएंगे वहीं बताएंगे। अपनी मां के साथ कुछ बुरा होने की आशंका बच्चियों को है किंतु उन्हें बताया गया कि मां इलाज के लिए विदेश गई है। इस दौरान शालिनी के पिता राजेश कोड़ा, बहन शिल्पी और सोनिया, बहनोई आयुष गुप्ता आदि लोग मौजूद थे।

 

घर में नहीं घुसी पुलिस

बच्चियां के साथ थापर नगर स्थित घर में मेडिकल स्टोर संचालक विक्रम सोढ़ा के अलावा पड़ोसी और शालिनी के मायके के लोग मौजूद थे। दरोगा तिलक चंद्र घर के बाहर ही मौजूद रहे। पुलिस ने इस दौरान मकान में घुसने की जहमत नहीं उठाई। सवाल यह है कि संवेदनशील मुद्दे पर पुलिस को अभी तफ्तीश करनी है, मकान में कोई ऐसा सबूत भी पुलिस के हाथ लग सकता है, जो अहम हो। पुलिस ने लैपटॉप, टेबलेट आदि गैजेट्स को भी कब्जे में नहीं लिया है।

 

आगरा से विसरा की रिपोर्ट आने का इंतजार है। पुलिस रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। आरोपी डाक्टर और उसकी मां की धरपकड़ के लिए एक टीम दिल्ली में डेरा डाले हुए है।

-गजेंद्र पाल सिंह यादव

एसओ, थाना सदर

 

 

हमारी शालू बचपन से ही आलराउंडर थी। तीन बहनों से सबसे बड़ी शालू पढ़ाई में तो अव्वल थी ही खेलकूद में भी बहुत मन लगता था। बास्केटवॉल की बड़ी खिलाड़ी थी वो, जूड़ो-कराटे भी वो अपने गु्रप के साथ खेलती थी।

 

अस्पताल ने किया गुमराह

गुरुवार को अरविंदपुरी स्थित अपने निवास पर शालिनी उर्फ शालू के पिता राजेश कोड़ा ने बताया कि अस्पताल प्रशासन उन्हें शालू के इलाज को लेकर गुमराह करता रहा। शालू की तबियत हर पल बिगड़ती जा रही थी जबकि अस्पताल कह रहा था उसकी तबियत स्थिर है। करीब 26 घंटे शालू अस्पताल में रही, इस पूरे घटनाक्रम के दौरान मुझे और मेरे परिजनों को शालू से दूर रखने का प्रयास किया गया।

 

दादी ने कराया था कीर्तन

मां प्रेमलता कोड़ा ने बताया कि शालू ने इंटरमीडिएट करने के बाद एक साल मेडिकल की तैयारी की थी, दूसरी साल शालू का सलेक्शन देहरादून मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस में हो गया। उन्होंने बताया कि इस खुशी में शालू की दादी ने घर पर कीर्तन कराया था। पंजाबी खत्री परिवार में पली-बढ़ी शालू संस्कारी और सुशील थी।

 

उत्पीड़न का लगाया आरोप

कल तक दंपति के संबंधों में तनाव की जानकारी से इनकार कर रहे शालू के परिजन अब मुखर होकर दोनों के रिश्ते में आई कड़वाहट को बयां कर रहे हैं। गुरुवार को परिजनों का कहना था कि विशाल बेटा न होने पर शालू को प्रताडि़त करता था। एक रिश्तेदार ने तो ये भी कहा कि दूसरी बेटी का गर्भपात कराने की कोशिश भी विशाल ने की थी। डॉ। विशाल के विवाहेत्तर संबंधों पर शालू के परिजनों का कहना है कि हालांकि शालू ने कभी खुलकर नहीं बोला किंतु उसकी मौत की बड़ी वजह यही है।