वाराणसी (ब्यूरो)स्मार्ट सिटी वाराणसी की बदनसीबी कहिये या स्वास्थ्य महकमे की सजगता कि जनपद में अभी तक कुल 12 बच्चे कुपोषित मिले हैैंइनकी तादात भविष्य में और बढऩे वाली हैपांडेयपुर स्थित दीन दयाल उपाध्याय चिकित्सालय स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में कुल दस बेड हैं, और इनमें कुल 12 बच्चे भर्ती किए गए हैैंदैनिक जागरण आईनेक्स्ट के रियल्टी चेक में कई बेड में एक से अधिक बच्चों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा हैकुपोषित बच्चों के ये आंकड़े डरा इसलिए रहे हैैं क्योंकि राज्य, केंद्र और महिला बाल विकास विभाग द्वारा पोषण पर लगातार काम और भारी-भरकम बजट खर्च करने के बाद भी जमीनी हकीकत ये हैइनकी तादात फ्यूचर में और बढऩे वाली हैचूंकि स्वास्थ्य महकमा जनपद में कुपोषित बच्चों को खोजने के लिए अभियान चलाया हुआ हैऐसे में सवाल यह उठता है कि कोविड पीरियड में केंद्र और राज्य सरकार द्वारा नियमित रूप से राशन वितरण और आंगनबाड़ी द्वारा पोषक आहार बांटने के बाद भी जनपद के नौनिहालों को कुपोषण मुक्त करने के दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैैंअधिकारी कुपोषित बच्चों की दूसरी सूची भी तैयार कर रखे हैं.

क्यों बढ़ रहे कुपोषण के पेशेंट

दैनिक जागरण आईनेक्ट से एक आंगनबाड़ी प्रभारी ने बताया कि मेरे सेंटर पर कुल 65 बच्चे पंजीकृत हैैंइसमें से सिर्फ 37 बच्चों का शासन से राशन या पोषण आहार आता हैऐसे में सभी बच्चों को एक समान रूप से पोषण आहार के वितरण में दिक्कत आती हैकई बच्चों को पोषक आहार नहीं मिलने से पैरेंट सेंटर पर आकर विवाद करने लगते हैैंमानक के अनुरूप पोषण आहार के नहीं मिलने की शिकायत मैैं अपने उच्च अधिकारियों से की हूं, लेकिन स्थित जस की तस बनी हुई है

जनपद में हुकुलगंज बना कुपोषण जोन

जिला हास्पिटल में भर्ती कुपोषित कुल 12 बच्चों में से पांच बच्चे हुकुलगंज एरिया के विभिन्न वार्डों के हैैंहुकुलगंज स्थित एक आंगनबाड़ी सेंटर की सहायिका शर्मिला ने बताया कि हुकुलगंज में इन पांच बच्चों के अलावा 2 से 4 अन्य बच्चों को चिह्नित किया गया हैजिनकी मानिटरिंग भी की जी चुकी हैइनके परिजनों को समझया गया है, जल्द ही इन कुपोषित बच्चों को जिला हास्पिटल के एनआरसी यानी कुपोषित वार्ड में भर्ती कराया जाएगा.

डीएम भी हो चुके हैैं नाराज

जानकारी के मुताबिक पिछले माह 20 बच्चों के सापेक्ष केवल 14 बच्चे भर्ती कर इलाज किए जाने से वाराणसी जिला अधिकारी कौशलराज शर्मा ने स्वास्थ्य विभाग और बाल विकास परियोजना अधिकारियों के गैर जिम्मेदार रवैया पर कड़ी नाराजगी जताई थी.

खोजे जा रहे कुपोषित बच्चे

जिले में बाल विकास परियोजना अधिकारियों (सीडीपीओ) द्वारा अभियान चलाकर कुपोषण से पीडि़त बच्चों के सेहत में सुधार के लिए एनआरसी तक लाया जा रहा हैयहां इन बच्चों को 14 दिन तक चिकित्सक एवं समस्त स्टाफ की देखरेख में पूरी देखभाल की जाएगीपूरी तरह से स्वस्थ होने के बाद उन्हें एनआरसी से डिस्चार्ज किया जाएगाकुपोषित बच्चों के डिस्चार्ज होने बाद कुपोषित बच्चों की दूसरी सूची भर्ती कराने के लिए तैयार है.

मैैं अपने बच्चे को तीन दिन से यहां भर्ती कराई हूंइलाज चल रहा हैआंगनबाड़ी से मानक के अनुरूप और नियमित रूप से मेरे नौनिहालों को पोषक आहार नहीं मिलता है.

आशिया, कुपोषित बच्चे का मां

सभी बच्चों का इलाज किया जा रहा हैपोषण पुनर्वास केंद्र एक ऐसी सुविधा है, जहां छह माह से पांच वर्ष तक के कुपोषित बच्चों का इलाज किया जाता हैइसमें इलाज के बाद घर लौटने और यदि वह 15 दिन में ही इलाज का फॉलो अप कराने आते है तो उन्हें 140 रुपये मिलते है.

डॉ सौरभ सिंह, प्रभारी, एनआरसी जिला हॉस्पिटल

वर्तमान में एनआरसी में कुल 12 बच्चे भर्ती हैंइसमें दो बच्चों के लिए दो अतिरिक्त बेड बढ़ाकर उन्हें भर्ती किया गया है.

डीके सिंह, डीपीओ, बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग