वाराणसी (ब्यूरो)। परिवार एवं स्वास्थ्य कल्याण मंत्रालय की देखरेख में वाराणसी के शहरी और ग्रामीण इलाकों में बर्थ एवं डेथ सर्टिफिकेट को लेकर सर्वे किया गया, जिसमें 78 बच्चों के पास बर्थ सर्टिफिकेट पाया गया, यानी 22 फीसद बच्चों के पास जन्म का कोई भी प्रणाम-पत्र नहीं है, जिसमें शहर की स्थिति अच्छी है। शहर में 84.4 फीसद बच्चों के पास बर्थ सर्टिफिकेट है, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में यह आंकड़ा 78.2 फीसदी है। हालांकि वर्ष 2015-16 की अपेक्षा में 20 फीसद का सुधार आया है। इसी तरह मृत होने के बाद सिर्फ 47 फीसदी ही लोगों का डेथ सर्टिफिकेट उनके परिवार ने बनवाया है, जिसमें शहरी में लोग बर्थ सर्टिफिकेट को लेकर 61.8 फीसद लोग जागरूक है, जबकि ग्रामीण क्षेत्र यह आंकड़ा 43.2 फीसद है।

ऐसे बनता है बर्थ सर्टिफिकेट
नगरीय सीमा क्षेत्र में बच्चे के जन्म के बाद बर्थ सर्टिफिकेट नगर निगम की ओर से जारी किया जाता है। इसी तरह ग्रामीण क्षेत्र में ब्लाक से। निजी अस्पतालों में बच्चे के जन्म के बाद अस्पताल की ओर से ऑनलाइन आवेदन किया जाता है। 45 दिन की जांच के प्रक्रिया के बाद नगर निगम ही सर्टिफिकेट जारी करता है, लेकिन सरकारी अस्पतालों में जन्म लेने वाले बच्चों का बर्थ सर्टिफिकेट स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी किया जाता है। इसी

लड़कियां नहीं गईं स्कूल
6 वर्ष और उससे अधिक आयु की 63 फीसद लड़कियों ने स्कूल में दाखिला लिया है, जिसमें शहर की 76.2 व ग्रामीण 67.4 फीसद भागेदारी है। हालांकि सरकार ने प्राइमरी से लेकर इंटर तक सरकारी स्कूलों में लड़कियों की शिक्षा फ्री है। बावजूद इसके बनारस की 37 फीसद लड़कियों ने स्कूल का मुंह नहीं देखा है।


सर्वे की अहम जानकारियां
-कुल जनसंख्या का लिंगानुपात (प्रति 1,000 पुरुषों पर महिलाएं) 961 1,036 1,017 995

-पिछले पांच वर्षों में जन्म लेने वाले बच्चों के लिए लिंग अनुपात (प्रति 1,000 पुरुषों पर महिलाएं) 933 943 941 903

-स्वास्थ्य बीमा/वित्तपोषण योजना के अंतर्गत आने वाले किसी सामान्य सदस्य वाले परिवार प्रतिशत 16.8 15.5 15.9 6.1

-स्कूल वर्ष 2019-20 के दौरान प्री-प्राइमरी स्कूल में भाग लेने वाले 5 वर्ष की आयु के बच्चे प्रतिशत 11.9 8.6 9.3