मेडिकल एक्सपट्र्स की मानें तो इसके लिए वैक्सीन नहीं, बहुत हद तक वाराणसी के लोग भी जिम्मेदार हैं जो कोविड गाइड लाइन का पालन करने में लापरवाही बरत रहे हैं। यही वजह है कि वैक्सीन लगवाने के बाद भी वे वायरस की चपेट में आ जा रहे हैं।

इम्युनिटी अच्छी तो असर हल्का
वाराणसी में 96 सैंपल की जांच में ओमिक्रॉन के 77 मामले मिल चुके हैं। इस बीच इंसानों के डीएनए पर कई रिसर्च कर चुके बीएचयू के प्रोफेसर ने चौंकाने वाला दावा किया है। उनका कहना है कि वैक्सीनेटेड लोग भी नये वेरिएंट की जद में आ रहे हैं, लेकिन घबराने की बात नहीं है। ओमिक्रॉन का वायरस लोड भले ही डेल्टा की तरह से 15-22 के बीच में है, लेकिन यह फेफड़े में पहुंचकर अपनी संख्या बढ़ा पाने में अक्षम है। वाराणसी के लोगों की इम्युनिटी अच्छी होने के कारण नये वेरिएंट का असर हल्का है।

पांच दिन में ठीक हो रहे लोग
नये वेरिएंट ओमिक्रॉन ने खतरनाक डेल्टा वेरिएंट के कहर पर स्टॉप लगा दिया है। जिन लोगों में भी ओमिक्रॉन का असर है वे चार से 5 दिन के अंदर ठीक भी हो रहे हैं। सर्दी, हल्का फीवर और खांसी या यह भी लक्षण नहीं मिल रहे हैं। मरीज गंभीर नहीं हो रहे हैं। पिछले साल अप्रैल में जब 9 हजार केसेज आ रहे थे, तब करीब 35-40 मौतें भी हो रही थीं। सेकेंड वेव में 50 फीसद लोग अस्पताल में भर्ती हो रहे थे और 20 फीसद के आसपास लोगों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ जा रही थी। अभी हालात वैसे नहीं हुए हैं।

नहीं सुधरे तो बढ़ेंगे मरीज
वाराणसी में स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार 97 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है। इसके बावजूद केस क्यों बढ़ रहे हैं के सवाल पर बीएचयू के प्रो। ज्ञानेश्वर चौबे बताते हैं कि यह काशीवासियों की लापरवाही का नतीजा है। लगातार मरीज मिलने के बाद भी लोग कोरोना संक्रमण को लेकर एहतियात नहीं बरत रहे हैं। भीड़ में जाने से बचने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। मास्क पहनने से परहेज कर रहे हैं। ऐसे में संक्रमण को आखिर कैसे रोका जा सकता है। संक्रमण को रोकना है तो सबको इसे लेकर अवेयर होना होगा।

केस-1
सुंदरपुर की रहने वाली 40 वर्षीय महिला ने कोविडशील्ड की पहली डोज 16 जुलाई व दूसरी डोज अक्टूबर में लगवाई थी। बावजूद इसके वह तीन दिन पहले कोरोना पॉजिटिव हो गईं।

केस-2
बीएलडब्ल्यू के रहने वाले 46 वर्षीय डाक्टर ने कोरोना से बचाव के लिए कोविडशील्ड की दोनों डोज लगवाई है। तीन दिन पहले वह संक्रमित हो गए। इनके साथ ड्यूटी करने वाली टीम भी संक्रमित हो गई।

केस-3
महमूरगंज के रहने वाले वाले 35 वर्षीय युवक ने दो महीने पहले 28 दिन के अंतराल पर को-वैक्सीन की दोनों डोज ली थी। हल्की खांसी आने पर तीन दिन पहले जांच कराया तो वह भी संक्रमित मिला।

केस-4
सामने घाट की रहने वाली 50 वर्षीय महिला ने कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन की दोनों डोज ली थी। वह बुटिक पर बैठते समय ऑल टाइम मास्क भी लगाती थी। लेकिन दो दिन पहले वह भी संक्रमित मिली।

अस्पताल जाने की नौबत नहीं आ रही
अभी तक आए केसेज से यही लग रहा है कि हमारी नेचुरल और एक्वायर इम्युनिटी ओमिक्रॉन को झेलने में सक्षम है। यही वजह है कि लोग चार से पांच दिन में ठीक हो जा रहे हैं। अस्पताल जाने की नौबत नहीं आ रही है।
-प्रो। ज्ञानेश्वर चौबे, बीएचयू

डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रॉन का असर काफी माइल्ड है। यह कहा जा सकता है कि इसका असर बहुत दिन तक शरीर में नहीं रह पा रहा है। फिलहाल, ओमिक्रॉन का भारतीयों पर क्या असर पड़ रहा है यह जानने में अभी और समय लगेगा।
-प्रो। रोयना सिंह, इंचार्ज, एमआरयू लैब, बीएचयू

डेल्टा वेरिएंट से ग्रस्त होने पर मरीज को तेज बुखार होता है। यह कई दिन तक नहीं उतरता। वहीं, ओमिक्रॉन में फीवर की कोई खास समस्या नहीं है। लोग अनावश्यक मन में भ्रांति न पालें।
-प्रो। सौरभ सिंह, इंजार्च, ट्रामा सेंटर