वाराणसी (ब्यूरो)काशी हिंदू विश्वविद्यालय के परिसर स्थित सर सुंदरलाल अस्पताल के हृदय रोग विभाग के ऑपरेशन थिएटर में 6 साल से चल रही फार्मेसी की एक दुकान को लेकर विभागाध्यक्ष प्रोओम शंकर और एमएस केके गुप्ता के बीच ठन गई हैप्रोओम शंकर का आरोप है कि दुकान के लिए न तो उस समय के विभागाध्यक्ष की अनुमति ली गई और न ही इनके पास ड्रग लाइसेंस है, वहीं बीएचयू प्रबंधन ने जारी विज्ञप्ति में कहा कि अस्पताल में दवा की दुकान को संचालित करने के लिए विभागाध्यक्ष की अनुमति लेना अनिवार्य नहीं है.

हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर ओम शंकर ने इस मामले को लेकर बकायदा बीएचयू प्रशासन से लिखित में जानकारी भी मांगी थी, लेकिन 15 दिन से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी बीएचयू प्रबंधन ने इसकी पुष्टि नहीं कीहालांकि एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कुछ बिंदुओं में जानकारी दी गई, जिसमें यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि अमृत फार्मेसी पर जो आरोप लगाए जा रहे हैं वो सही है या गलत.

उठ रहे हैैं सवाल

कॉर्डियोलॉजी विभाग में संचालित अमृत फार्मेसी को लेकर बीएचयू प्रबंधन ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कियाइसमें एक बिंदु में बताया गया है कि कार्डियोलॉजी विभाग के परिसर में कोई भी दुकान संचालित नहीं है, जबकि एक अन्य बिंदु में बताया गया कि कैथ लैब में अमृत फार्मेसी की ओर से वर्ष 2016 से ही स्टंट और बैलूनों की श्रृंखला का रखरखाव किया जाता हैइन दोनों बिंदुओं को पढऩे के बाद बीएचयू प्रबंधन के जारी विज्ञप्ति पर सवाल उठ रहे हैं.

पहले था ब्लड बैैंक का विवाद

प्रोओम शंकर ने हाल ही में एक पत्र जारी कर एमएस केके गुप्ता के पूर्व कारनामों से अवगत करायाजारी पत्र में दी गई जानकारी के मुताबिक चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर केके गुप्ता पर वर्ष 2016 में ब्लड बैंक में हेराफेरी करने का आरोप लगा था, जिसकी जांच हुई थीआरोप था कि उस ब्लड बैंक के पास लाइसेंस तक नहीं थाअधिकारियों द्वारा जारी किए जाने वाले आदेशों की भी खुलेआम अवहेलना का मामला उठा थाजांच में सामने आया था कि सरकारी मानकों के हिसाब से ब्लड बैंक का संचालन पैथोलॉजी विभाग द्वारा किया जाना चाहिए, जबकि केके गुप्ता मेडिसिन विभाग के चिकित्सक हैं और उनके पास पैथोलॉजी की कोई डिग्री भी नहीं हैजांच समिति की ओर से जुटाए सबूतों के आधार पर केके गुप्ता को ब्लड बैंक इंचार्च के पद से हटा दिया था.

हृदय रोग विभाग में अवैध तरीके से दवाइयों की बिक्री की जा रही है, जिसके लिए मैंने बीएचयू प्रशासन को पत्र भी लिखा हैसाथ ही केके गुप्ता के कारनामों से भी अवगत कराया है, लेकिन अब तक मेरे पास बीएचयू प्रशासन का कोई जवाब नहीं आया है.

-प्रोफेसर ओम शंकर, एचओडी, हृदय रोग विभाग

बीएचयू के संपूर्ण परिसर में ट्रामा सेंटर तथा बरकछा भी शामिल हैकिसी भी प्रकार की कोई भी दुकान टेंडर प्रक्रिया करके ही खोली जाती है, जिसमें सभी इच्छित प्रतिभागियों को खुली निविदा के तहत सहभागिता करने का अधिकार रहता है तथा संपूर्ण प्रक्रिया उचित समिति गठित करके पारदर्शी तरीके से पूर्ण की जाती है.

- केके गुप्ता, एमएस, बीएचयू अस्पताल