- गुलाबी ठंड के साथ ही शुरू हो गया है लुटेरों को उत्पात, चोलापुर में डॉक्टर के यहां हुई लूट में अब तक नहीं सुराग

- बावरिया और कच्छा बनियान गैंग को भी रोकने के लिए नहीं बनी है अब तक कोई स्ट्रैटजी

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गुलाबी ठंड की दस्तक के साथ रात के अंधेरे में लुटेरों और चोरों का उत्पात बढ़ता जा रहा है और पुलिस इनको रोक पाने में फेल है। पिछले दिनों चोलापुर के धरसौना में हुई 30 लाख रुपये की लूट के मामले में भी पुलिस अब तक कुछ भी पता नहीं लगा पाई है। जिसके बाद अब आउटर इलाकों में रहने वाले लोग खौफ में जीने पर मजबूर हैं क्योंकि ये मौसम है बावरिया और कच्छा बनियान गिरोह के उन खूंखार लूटेरों का जो अपने मंसूबे को पूरा करने के लिए किसी हद तक जा सकते हैं। इसके बाद भी अब तक पुलिस इनको लेकर सुस्त पड़ी है।

हर बार रहते हैं एक्टिव

बावरिया और कच्छा बनियान गैंग उन लुटेरे गिरोह में शुमार है जो बड़ा ही क्रूर होता है। पिछले साल ही चंदौली में बावरिया गैंग ने एक घर में हमलाकर लाखों की लूटपाट की थी। इससे पहले चौबेपुर में हुई एक डकैती के बाद इस गिरोह के सक्रिय होने की बात कही जा रही थी। जिसके बाद पुलिस ने ऑपरेशन चक्रव्यूह समेत कई दूसरे कैंपेन चलाकर लोगों को इन लुटेरों से बचने के उपाय बताये थे लेकिन इस बार ठंड शुरू होने के बाद भी पुलिस इन शातिर लुटेरों के गैंग को रोकने के लिए अब तक कोई प्लैन नहीं बना रही है।

ये भी हो गए हैं हाईटेक

बदलते वक्त के साथ अब बावरिया गिरोह भी हाईटेक हो गया है। पुलिसिया सूत्रों की मानें तो पहले हाथों में लोहे की रॉड या लाठी लेकर चलने वाले गैंग के मेम्बर अब मोबाइल फोन और आधुनिक असलहे लेकर चलने लगे हैं। पहले पूरे बदन पर तेल लगा कर हाथों में डंडे लेकर वारदातों को अंजाम देते थे और भागने के लिए ट्रेनों का सहारा लेते थे लेकिन अब अन्य सदस्यों से सम्पर्क में रहने के लिए मोबाइल फोन और वारदात के बाद फरार होने के लिए अपने ट्रक या मेटाडोर का यूज करने लगे हैं।

ये है इन गैंग का काम का तरीका

- बावरिया और कच्छा बनियान गिरोह वारदात को अंजाम देने के लिए कुछ अलग तरह से काम करता है

- गैंग के मेम्बर कहीं एक जगह रुकते नहीं हैं

- ट्रक, मैजिक या मेटाडोर लेकर गैंग चलता है

- ये गैंग हाईवे पर खुले में बने घरों को ही निशाना बनाता हैं

- गैंग के मेम्बर जादू-टोना पर बहुत विश्वास रखते हैं और वारदात को अंजाम देने से पहले टोना- टोटका करते हैं

- घुमंतू जाति के होने के कारण ये गैंग कभी पश्चिमी उत्तर प्रदेश तो कभी पूर्वी उत्तर प्रदेश में आतंक का फैलाने का काम करता है

- इस गैंग में महिलाएं भी होती हैं इनका काम होता है वारदात से पहले घर की रेकी करना

- बर्तन बेचने से लेकर चादर और कपड़े बेचने की फेरी लेकर निकली महिलाएं घरों को सेलेक्ट कर अपने मर्दो को देती हैं जानकारी

आपको भी रहना होगा अलर्ट

- ठंड की दस्तक के साथ ये गैंग एक्टिव होता है

- नवंबर और दिसम्बर ही इस गैंग का बेस्ट सीजन है क्राइम करने के लिए

- इसलिए जरूरी है कि हम भी अलर्ट रहें

- इसके लिए हो सके तो पूरा परिवार एक कमरे न सोए

- आहट मिलने पर पूछताछ करने के बाद ही कमरे का दरवाजा न खोलें

- सीढि़यों पर अगर दरवाजे हैं तो बंद रखें

- घर के आसपास अगर कोई खाली प्लॉट है तो वहां पर्याप्त रोशनी रखें

- किसी भी आशंका पर कंट्रोल रूम व संबंधित थाने को सूचना दें