-तेजाब हमले में झुलसी पीडि़ता के अपने देश लौट जाने के बाद उठे सवाल

-केस को आगे बढ़ाने में पुलिस को हो सकती है परेशानी

VARANASI

पिछले दिनों एसिड अटैक से बुरी तरह झुलसी रुसी महिला डार्या यूरिवा अपने वतन लौट गई है। उसके वापस अपने देश लौट जाने के बाद अब ये सवाल भी उठने लगा है कि क्या उसका केस कमजोर पड़ जायेगा? कैसे बढ़ेगी इस मामले की जांच आगे और आरोपी को कैसे मिलेगी सजा? ये कुछ ऐसे सवालात हैं जो लोगों के जेहन में इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि जब पीडि़ता मौजूद ही नहीं रहेगी तो कोर्ट में उसकी गैर मौजूदगी में केस आगे कैसे बढ़ेगा। इसका जवाब तलाशने की कोशिश की आई नेक्स्ट ने। हमने कानून के जानकारों से बातचीत कर ये जाना कि अगर डार्या अपने देश लौट चुकी है तो उसकी गैर मौजूदगी में जांच कैसे बढ़ेगी आगे।

बयान पर डिपेंड है मामला

इस मसले पर सीनियर एडवोकेट श्री नाथ त्रिपाठी का कहना है कि ये पुलिस पर डिपेंड करता है कि उसने पीडि़ता का सीआरपीसी की धारा क्म्क् व क्म्ब् के तहत बयान दर्ज किया है या नहीं। अगर पुलिस ने ये बयान दर्ज कर लिए हैं तो पीडि़ता की अभी कोई जरूरत पड़ेगी लेकिन हां, कुछ दिन बाद जब चार्जशीट दाखिल होगी और ट्रायल शुरू होगा तो पीडि़ता को एक बार कोर्ट में बयान देने आना ही होगा। नहीं आने की दशा में कोर्ट जो फैसला ले। वहीं सीनियर लायर नीलकण्ठ तिवारी का कहना है कि ऐसे केसेज में एफआईआर होने के बाद मुकदमा स्टेट गवर्नमेंट लड़ती है। अगर पीडि़त दूसरे देश का है तो एवीडेंस एक्ट की धारा फ्ख् के अ‌र्न्तगत क्म्ब् में दिए गए बयान को ही अंतिम बयान माना जा सकता है और ट्रायल शुरू होने पर इसे ही आधार बनाया जा सकता है।

अगर पीडि़ता का मजिस्ट्रेट के सामने क्म्ब् में बयान हो चुका है तो उसे अभी आने की जरूरत नहीं है। हां, ट्रायल शुरू होने के बाद उसे आना होगा।

श्री नाथ त्रिपाठी, सीनियर एडवोकेट

एफआईआर दर्ज हो चुकी है। जांच चल रही है ऐसी दशा में पुलिस की ओर से कोर्ट में पेश किए जाने वाले प्रूफ मामले को आगे बढ़ाने और मजबूत करने का काम करेंगे। ऐसे में पीडि़ता का दर्ज हुआ बयान ही काफी है। उसकी मौजूदगी जरूरी नहीं है।

हरिशंकर सिंह, सीनियर लायर