-ज्ञानवापी में था तैनात, फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर कर रहा था नौकरी, डीआईजी ने किया बर्खास्त

-लंबे वक्त से चल रही थी जांच, खिलाड़ी कोटे के बल पर पाई थी नौकरी

VARANASI

खिलाड़ी कोटे के बल पर पुलिस विभाग में फर्जी प्रमाण पत्रों के जरिए नौकरी पाकर लंबे वक्त से खाकी को बदनाम कर रहे एक दरोगा के इस फर्जी खेल को डीआईजी डॉ। संजीव गुप्त ने सोमवार को फेल कर दिया। डीआईजी ने बनारस के कई थानों, चौकियों पर तैनात रहे व वर्तमान में ज्ञानवापी की सुरक्षा में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रहे एसआई वीरेन्द्र मिश्र को जांच में उनके इस फर्जीवाड़े के सही पाये जाने पर बर्खास्त करने केआदेश दिया है। जिसके बाद पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया है।

जांच में हुआ साफ

कुशल खिलाड़ी कोटे से वर्ष क्998 में वीरेंद्र मिश्रा की भर्ती हुई थी लेकिन आरोप था कि फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर नियुक्ति मिली थी। काफी समय से यह मामला लंबित चल रहा था। इन दिनों वीरेन्द्र मिश्रा की तैनाती आजमगढ़ में है लेकिन ज्ञानवापी सुरक्षा से सम्बद्ध होकर ड्यूटी कर रहे थे। डीआईजी के मुताबिक वीरेन्द्र मिश्रा की नियुक्ति के दौरान जो प्रमाणपत्र लगाए गए थे वह क्97भ् के शासनादेश के अनुसार थे। जबकि क्98भ् में इस शासनादेश में संशोधन हो चुका है। इसके बावजूद फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर आवेदन किया गया। बाद में इसकी शिकायत हुई तो जांच के आदेश दिए गए।

पुराने मामले भी आये प्रकाश में

डीआईजी ने बताया कि इस मामले के अलावा एसआई वीरेंद्र मिश्रा के खिलाफ कुछ अन्य प्रकरण भी सामने आने के बाद केस दर्ज कराने के साथ ही जांच सीबीसीआईडी को सौंपी गई थी। मामला कोर्ट तक गया लेकिन वहां से भी जांच कर कार्रवाई के आदेश दिए गए। नियुक्ति अधिकारी होने के नाते डीआईजी ने दारोगा वीरेंद्र मिश्रा के खिलाफ चल रही जांच में इन पर लगे आरोप के सही पाये जाने पर उन्हें बर्खास्त करने का आदेश जारी किया। डीआईजी का कहना है कि जो गलत है उसे सही नहीं कहा जा सकता है। इसलिए ये कार्रवाई संकेत है। जो भी लोग इस तरह के गलत काम कर लाभ ले रहे हैं उनको किसी भी हाल में बख्शा नहीं जायेगा।

जमीन को लेकर भी है विवाद

वीरेन्द्र डीरेका के पास कंचनपुर स्थित एक कॉलोनी में परिवार के साथ रहते हैं। वहां पड़ोस में रहने वाले पुलिस विभाग के एक दूसरे दरोगा के साथ भी उनका विवाद चल रहा है। दोनों पक्षों में कई बार मारपीट भी हो चुकी है और यह प्रकरण मंडुवाडीह थाने तक पहुंच चुका है। जिस दरोगा के साथ वीरेंद्र की तनातनी चल रही है वह इन दिनों दरोग चंदौली में तैनात है और जमीन का प्रकरण कोर्ट में विचाराधीन है। इसके अलावा बर्खास्त दरोगा पर कैंट समेत कई अन्य थानों पर तैनाती के दौरान होटलों व कई अन्य जगहों से वसूली करने का भी आरोप है।