विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर योजना में विध्वंस की खबरें महज कोरी अफवाह: वीडीए

(ब्रेकिंग न्यूज)

- बना मूल स्वरूप में छेड़छाड़ के मंदिर परिक्षेत्र समेत पक्के महाल का होना है सुंदरीकरण

- पुरातत्व विभाग संग मिलकर कराया जाएगा पुराने मंदिरों, भवनों, धरोहरों का जीर्णोद्धार

abhishek.tripathi@inext.co.in

VARANASI:

विश्वनाथ मंदिर कॉरीडोर योजना क्षेत्र में तोड़फोड़ नहीं बल्कि मंदिर परिक्षेत्र तथा इससे सटे पक्के महाल के वजूद को बनाए रखने के लिए है। 600 करोड़ रुपये की इस योजना का मकसद विश्वनाथ मंदिर, इसके साथ काशी खंड में वर्णित आस-पास के अन्य मंदिरों के स्थापत्य का जीर्णोद्धार व सुंदरीकरण, उनके सम्पर्क मार्ग को अतिक्रमणविहीन करना तथा परिक्षेत्र के समस्त मकानों के मूल स्वरूप को बनाये रखना है, जिसके लिए बनारस को पहचाना जाता है।

भ्रम फैला रहे कुछ लोग

विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह की माने तो बिना कॉरीडोर योजना को समझे ही इसका विरोध किया जा रहा है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट से विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि मंदिर ट्रस्ट, वीडीए और प्रशासन हर किसी को ये समझाने के लिए तैयार बैठा है कि हम इस योजना में क्या करने जा रहे हैं और कैसे करने जा रहे हैं। लेकिन कुछ लोगों ने भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है। मंदिर के आस-पास के लोगों में ये अफवाह फैलाई जा रही है कि मंदिर परिक्षेत्र के सभी मकानों का जबरन अधिग्रहण होगा, उन्हें तोड़कर मैदान बनाया जाएगा, पुराने ऐतिहासिक भवनों को नेस्तनाबूद किया जाएगा आदि।

नया रास्ता न कोई पाथवे

विश्वनाथ मंदिर कॉरीडोर में किसी नए रास्ते या पाथवे का प्रस्ताव नहीं है। विशाल सिंह ने बताया कि काफी लोग चर्चा कर रहे हैं कि मंदिर से गंगा तट तक खुला मैदान बन जाएगा। ये सोचना भी बेहद हास्यास्पद है। उन्होंने बताया कि कॉरीडोर योजना में सभी पुराने मंदिरों, भवनों, गलियों के मूल स्वरूप और उनके स्थापत्य को बरकरार रखते हुए उनकी मरम्मत और सुंदरीकरण का प्लान है। मंदिरों के बीच के सम्पर्क मार्ग को अतिक्रमण विहीन करते हुए हेरिटेज लाइट से सुंदर बनाने की योजना ही मूल उद्देश्य है। यह काम मंदिर परिक्षेत्र ही नहीं बल्कि पक्के महाल की सभी गलियों में किया जाना है।

कहां हैं काशी खंड के 23 मंदिर?

(द अदर साइड)

मुख्य कार्यपालक अधिकारी के मुताबिक काशी खंड में विश्वनाथ मंदिर के पास 23 देवी-देवताओं के मंदिरों को उल्लेख है जिसमें से कुछ ही ज्ञात हैं। इनमें ढुंढीराज गणेश, शनिदेव, मां अन्नपूर्णा, नीलकंठ, विशालाक्षी, मां काली को सभी जानते हैं मगर बहुत से मंदिरों का पता नहीं। कॉरीडोर योजना में अन्य मंदिरों को चिह्नित करने, उन्हें अतिक्रमणमुक्त करने के साथ उनके सम्पर्क मार्ग को दुरुस्त किया जाएगा। इस कॉरीडोर योजना का उद्देश्य है कि देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु विश्वनाथ मंदिर सहित अन्य मंदिरों को देखे और दर्शन के साथ गंगा तट तक पहुंचे।

पुरातत्व की टीम भी होगी साथ

कॉरीडोर योजना के तहत पौराणिक भवनों और मंदिरों को धरोहर के तौर पर विकसित करने की भी योजना है। उन्हें मूल स्वरूप देने के लिए पुरातत्व विभाग के एक्सपर्ट की टीम भी योजना में साथ होगी। संबंधित भवनों व मंदिर की उम्र का पता लगाया जाएगा और भविष्य में उनकी देखरेख में उनकी विशिष्टता बरकरार रखी जाएगी।

अफवाह न फैलाएं, न ध्यान दें

मुख्य कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह ने शहर की जनता से अपील की है कि मंदिर परिक्षेत्र को लेकर किसी तरह की अफवाहों पर ध्यान न दें। ना ही ऐसी अफवाहों को जुबानी या सोशल मीडिया के जरिये फैलाएं। योजना के संबंध में यदि किसी को कोई जानकारी चाहिए तो वह कार्यालय में या फिर मोबाइल नम्बर 7518102803 पर शंकाओं का समाधान कर सकता है।

ये सब होगा कॉरीडोर योजना में

(फार योर इंफार्मेशन)

- विश्वनाथ मंदिर व आस-पास के क्षेत्र में भवनों, गलियों, मंदिरों का मूल स्वरूप व स्थापत्य को बरकरार रखा जाएगा।

- पुराने तथा जर्जर मंदिरों व भवनों का पुरातत्व सर्वेक्षण विशेषज्ञों के निर्देशन में विशेष मरम्मत कराई जाएगी।

- काशी खण्ड में वर्णित 23 अन्य पौराणिक शिव तथा अन्य देवी देवताओं के मंदिर, विग्रह को चिह्नित किया जाएगा।

- इनमें से कई मंदिर व विग्रह अब भवनों, दुकानों तथा धर्मशालाओं से घिरे हैं जहां तक मार्ग सुगम किया जाएगा।

- गलियों के प्राचीन मूल स्वरूप को स्थापित करने के लिए अतिक्रमण चिह्नित कर उन्हें हटाया जाएगा।

- सभी मंदिरों को एक परिपथ के तौर पर जोड़ा जाएगा और इनके सुंदरीकरण के लिए विशेष प्रयास होंगे।