वाराणसी (ब्यूरो)बढ़ती महंगाई से लोगों के घर का बजट पहले से बिगड़ा हुआ है और अब दवाइयां भी लोगों का दिवाला निकाल रही हैवर्ष 2020 में आई महामारी कोविड-19 के बाद से लोगों की सेहत जो बिगड़ी, उससे अभी भी लोग उबर नहीं पाए हैंकोरोना के बाद से ही हर माह कोई न कोई बीमारी आमजनमानस को घेरी हुई हैकभी डेंगू-मलेरिया और चिकनगुनिया तो कभी वायरल फीवर तो फिर कभी सर्दी-खांसी और डायरिया व अन्य बीमारियों के चलते शहर के करीब-करीब हर घर में इन बीमारियों को लेकर अलग से बजट तैयार हो गया है.

केस-1

सोनारपुरा में रहने वाले संदीप कुमार की ज्वाइंट फैमिली में करीब 13 मेंबर हैंइसमें 6 बच्चे शामिल हंैकोरोना के पहले तक सब कुछ ठीक था, लेकिन उसके बाद से हर समय कोई न कोई बीमार रहता हैपैरेंट्स भी काफी ओल्ड हो चुके है, इसलिए उन्हें भी कई सारी बीमारियां घेर ली हैहमेशा अस्पताल में जांच और दवाओं पर होने वाले खर्च को देखा जाए तो 12 से 15 हजार रुपये सिर्फ इलाज पर खर्च हो जा रहा है.

केस-2

पेशे से प्राइवेट बैंककर्मी सिगरा निवासी राकेश रस्तोगी की फैमिली में 5 मेंबर हंै। 40 हजार सेलरी में ही घर का पूरा बजट मेंटेन करते हैंलेकिन कोरोना के बाद से कुछ लोग आए दिन बीमारियों की गिरफ्त में रह रहे हैंहर समय अस्पताल में जांच और इलाज पर हजारों रुपए खर्च होते हैइससे काफी कुछ डिसबैलेंस हो गया था, इसलिए अब स्वास्थ्य को लेकर अलग से बजट बनाना पड़ गया हैयह तो सिर्फ दो केस एग्जाम्पल भर हैंबनारस में ऐसे लाखों लोग हैं, जिनके घरों में अब दवा और इलाज का खर्च काफी बढ़ गया है.

कोरोना के बाद बढ़ गई कई बीमारी

चिकित्सकों के मुताबिक यह सच है कि कोरोना के बाद से लोगों की इम्यूनिटी कमजोर हो चुकी हैजो लोग पहले से किसी न किसी बीमारी से परेशान थे, उनकी समस्या कोरोना के बाद और ज्यादा बढ़ गई हैइसके साथ ही जो स्वस्थ थे, उन्हें भी अब कोई न कोई बीमारी घेर ली हैवहीं जिन लोगों को कोरोना हुआ था, उनमें भी कोई ज्वाइंट पेन, गठिया, थॉयराइड, सांस, दमा, अस्थमा हार्ट, स्कीन समेत इस तरह की न जाने कितनी बीमारियों से परेशान हैंहैरानी की बात ये भी है कि कोरोना का टीका लेने वाले भी इन बीमारियों से बच नहीं पा रहे हैंजो भी इन बीमारियों की चपेट में आ रहा है, वो इससे फिर कभी उबर नहीं पा रहा

समर सेशन में फैली बीमारी हावी

तीन माह पहले बनारस में फैली रहस्यमयी बुखार और वायरल इंफेक्शन से सिटी के हर घर में तीन से चार लोग बीमार हुए थेडेंगू-मलेरिया, चिकनगुनिया जैसी बीमारी के शिकार हुए लोग इतने परेशान हुए कि उन्हें ठीक होने में महीनों लग गएजो लोग चिकनगुनिया और ज्वाइंट पेन के शिकार हुए, उन लोगों को तो ठीक होने में तीन से चार माह लग गएआज भी तमाम ऐसे लोग हैं, जो ज्वाइंट पेन से पीडि़त है, उनकी लाइफ अब दवा पर ही चल रही हैइसके अलावा अलग-अलग घरों में कोई टीबी, हार्ट, सर्वाइकल, स्कीन डिसिज के साथ मौसमी व अन्य बीमारी से परेशान हैइस पर हर माह हजारों रुपए खर्च हो रहे हैं.

चार महीने पहले मुझे चिकनगुनिया हुआ था, जिससे मैं तीन महीने तक परेशान थीअभी भी पूरी तरह से इस समस्या से उबर नहीं सकी हूंइसके अलावा भी दूसरी बीमारी का इलाज करा रही हूंये सब कोरोना के बाद ही हुआ हैकभी-कभी मुझे यह आभास होता है कि ये सब कोविड वैक्सीन लगने की वजह से हो रहा हैइन बीमारियों के इलाज पर हर माह 15 हजार से ज्यादा का खर्च आ रहा हैये खर्च अब फिक्स हो चुका है.

डॉअंशु शुक्ला, प्रोफेसर, बीएचयू

मेरी ज्वाइंट फैमिली हैघर में जिस तरह से मेंबर्स हैं उसी तरह से बीमारियां भी आ गई हंैकोविड के बाद से ऐसा लगता है कि सबका शरीर खोखला हो चुका हैहर महीने कोई न कोई किसी न किसी बीमारी से परेशान ही रहता हैपहले जहां दवा पर महीने में हजार रुपये का खर्च था, वो अब 15 से 20 हजार तक पहुंच चुका हैजो होना ही हैइसलिए अब स्वास्थ के लिए भी अलग से बजट फिक्स कर दिया है.

डॉसपना भूषण, एसोसिएट प्रोफेसर वीकेएम

कोरोना महामारी के बाद सेहत की हालत काफी खराब हो गई हैकोविड वैक्सीनेशन के बाद लगा था कि हम सेफ हो चुके हैं, लेकिन सेफ होने बजाए और भी कई सारी बीमारियों के शिकार हो गए हैैंहमेशा घर के मेंबर किसी न किसी नई बीमारी से परेशान होते रहते हैंइस पर हर माह 10 से 12 हजार रुपये खर्च हो ही जाते हैंइसलिए अब इस खर्च को पहले ही अलग कर देते हैं.

अंशु मिश्रा, बिजनेसमैन

कोरोना ने लोगों की बॉडी को खोखला कर दिया हैयह जरूरी नहीं है कि जिसे कोरोना हुआ है सिर्फ वहीं बीमारियों की गिरफ्त में आ रहा है, जो लोग स्वस्थ थे उन पर भी कोरोना का प्रभाव पड़ा जरूर हैलोगों की इम्यूनिटी पावर डैमेज होने के कारण उनमें नई-नई बीमारियां काफी जल्दी अपी गिरफ्त में ले रही है.

डॉएसके अग्रवाल, पूर्व एचओडी, टीबी एंड चेस्ट डिपार्टमेंट, बीएचयू