'मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं जिनके सपनों में जान होती है, सिर्फ पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है' बिना मेहनत और कोशिश के कुछ भी हासिल नहीं होता है। ईमानदारी से काम करने पर मंजिल मिलकर ही रहती है। सफल होने के लिए डिसीजन भी सही लेना पड़ता है। कुछ ऐसा ही मानना है एजुकेशनिस्ट अजीत प्रकाश श्रीवास्तव का। प्रेजेंट में वे राव आईएएस बनारस के डायरेक्टर हैं।

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अजीत प्रकाश पीछे मुड़कर न देखने पर विश्वास करते हैं। एक्साइज डिपार्टमेंट में सीनियर ऑडिटर रहे राजेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव व हाउस वाइफ किरन श्रीवास्तव के घर 8 मार्च 1972 को पैदा हुए अजीत बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा के धनी रहे और उनमें अलग प्रतिभा दिखायी देने लगी थी। अजीत भले ही आज सिविल सर्विसेज में न हों लेकिन उनके पढ़ाए सैकड़ों लोग आज सफल ऑफिसर हैं। उनकी इस सफलता में पेरेंट्स के अलावा सन् 2002 में लाइफ पार्टनर बनीं किरन श्रीवास्तव का भी विशेष योगदान है।

आसान नहीं था सक्सेस पाना

अजीत ने चैलेंजेज के बीच अपनी सफलता का सफर तय किया है। बनारस जैसे टिपिकल शहर में सिविल सर्विसेज के लिए कोचिंग चलाने का डिसीजन किसी चैलेंज से कम नहीं था। लेकिन उन्होंने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपने डिसीजन को सही प्रूव करके दिखाया। 24 दिसंबर सन् 2000 में गिनती के बच्चों से शुरू हुआ उनका कांटों भरा सफर आज वटवृक्ष सरीखा हो गया है। प्रेजेंट में राव आईएस में बनारस ही नहीं, आसपास के डिस्ट्रिक्ट्स के अलावा यहां कई प्रदेशों के स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे हैं।

संकट से भरा रहा सफर

प्रारंभिक शिक्षा इलाहाबाद के गोल्डेन जुबली स्कूल, बाल भारती स्कूल व सरस्वती विद्या मंदिर के बाद बनारस के भारतीय शिक्षा मंदिर इंटर कॉलेज से ग्रहण करने के बाद अजीत ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से बीए व इकोनॉमिक्स से एमए किया। यहां रिसर्च में रजिस्ट्रेशन कराने के साथ ही अजीत सीएमपी डिग्री कॉलेज में सन् 1998 से 2001 तक लेक्चरर रहे। इस दौरान सन् 1996 में अजीत राव आईएएस से भी जुड़ गए। यही नहीं वे खुद सिविल सर्विसेज की तैयारी भी करने लगे। इस प्रतिष्ठित एग्जाम में चार बार अपीयर भी हुए। लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। पापा की तबीयत खराब होने के कारण तैयारी छोड़कर बनारस आ गए। यहां राव आईएएस का बतौर सेंटर हेड शुरुआत की। तभी से वह सिविल सर्विसेज की प्रिपरेशन कर रहे यूथ का कॅरियर संवार रहे हैं। इसमें उनकी पत्‍‌नी किरन भी कंधे से कंधा मिलाकर उनका साथ दे रही हैं। मंजिल तक पहुंचने के इस सफर में प्रो। प्रशांत घोष व राज राजन श्रीवास्तव का भी विशेष योगदान है।

धैर्य ने बनाया रास्ता

तड़क भड़क से दूर अजीत प्रकाश केवल काम में विश्वास रखते हैं। उन्हें परिस्थितियों से लड़ना बखूबी आता है। 18 घंटे डेली काम करने वाले अजीत को टारगेट पूरा करने में मजा आता है। जब तक टारगेट पूरा नहीं हो जाता वह शांत नहीं बैठते। लगन तो उनमें कूट-कूट कर भरा हुआ है। जोश से लबरेज अजीत इस उम्र में भी थकने का नाम नहीं लेते। डेली के काम को सेम डे ही पूरा करने में जुटे रहते हैं। उन्हें परंपरा के साथ ही मॉडर्न टेक्नोलाजी से भी गुरेज नहीं है।

म्यूजिक व गेम के दीवाने

इतनी व्यस्तता के बाद भी अजीत फिल्म, म्यूजिक व गेम के दीवाने हैं। वे अच्छी फिल्म देखना नहीं भूलते। साथ ही म्यूजिक और गेम में भी उनका इंट्रेस्ट है। वो डेली म्यूजिक सुनते हैं। स्कूल में पढ़ाई करने के दौरान ही क्रिकेट व बॉलीबाल को साथी बना चुके अजीत आज तक उसके दीवाने हैं। अपने जमाने में उन्होंने क्रिकेट और बॉलीबाल में खूब हाथ आजमाया। बॉलीबाल के डिस्ट्रिक्ट टीम में भी वो पार्टिसिपेट कर चुके हैं।

जरूरतमंद को दे रहे एजुकेशन

राव आईएएस केवल सिटी व पैसे वालों के बच्चों को ही प्रिपरेशन नहीं करा रहा है, बल्कि आर्मी मैन व किसानों के बच्चों को भी वेटेज के साथ तैयारी कराने का बीड़ा उठा रखा है। इस तरह के बच्चों को सेंटर में हरसंभव हेल्प प्रोवाइड कराया जाता है। अजीत कई सामाजिक संस्थाओं से जुड़कर भी वर्क कर रहे हैं। सोसाइटी में अलग तरह का वर्क करने के लिए उन्हें कई अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है।