-सिटी में रूल्स का पालन नहीं करते हैं ऑटो चालक

-रोक के बावजूद जहां चाहते हैं वहां से लेते हैं सवारी

-भीड़ भरी सड़कों पर सवारी के लिए ऑटो रोकने से लगता है जाम

VARANASI

Scene-1

गिरजाघर चौराहे से ऑटो लेकर निकला चालक बेनिया की ओर बढ़ता है। हर दस कदम पर ऑटो रोककर लोगों को बिठाने के लिए आवाज लगाता है। जैसे ही वह ऑटो रोकता है पीछे चल रहे वाहन भी मजबूरन रुक जाते हैं। टै्रफिक को ऐसे रोकते-रोकते ऑटो बेनियाबाग पहुंचता है लेकिन अपने पीछे जाम की प्रॉब्लम क्रिएट कर जाता है। बीच रास्ते से वह सवारी भरता है।

Scene-2

दुर्गाकुंड पर सवारी नहीं मिलने पर ऑटो चालक कैंट की ओर बढ़ता है रास्ते में जहां उसे कोई नजर आता है ऑटो रोक लेता है और उन्हें ऑटो में बिठाने के लिए गुहार लगाता है। भेलूपुर जाते-जाते सवारी से ऑटो भर गया। उसकी तो जेब भर गयी लेकिन उसकी वजह से राहगीरों को भारी परेशानी होती है।

ये दोनों सीन यह बताने के लिए काफी हैं कि इस शहर में नियम-कानून का कोई मायने नहीं है। कुछ दिनों पहले ही शहर के आला अधिकारियों ने ऑटो चालकों संग मीटिंग के दौरान आदेश दिया था कि वो सिर्फ ऑटो स्टैण्ड से सवारियों को बिठायेंगे। बीच रास्ते में अगर बिठाया तो ऑटो चालक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सिटी में यह आदेश हवा-हवाई साबित हो रहा है। इसका पालन कराने के लिए कोई गंभीर नहीं है। ऑटो चालक रोड पर कितनी मनमानी करते हैं ये देखने वाला भी कोई नहीं है।

नियम इनके ठेंगे पर

-ऑटो चालकों की मनमानी पर लगाम नहीं लग रहा है।

-तीन की जगह है चार को बिठाने की अनुमति है लेकिन पांच और कई बार छह सवारी तक बिठाते हैं।

-सिटी में साढ़े पांच हजार ऑटो को चलाने की परमीशन है लेकिन इससे दोगुने ऑटो शहर की सड़कों पर दौड़ रहे हैं।

-फिटनेस की तो बात नहीं करनी है, ढेरों अनफिट ऑटो धड़ल्ले से दौड़ लगा रहे हैं।

-ऑटो चालकों को वर्दी और नाम लिखा बैज लगाने का नियम बनाया गया है वो भी पालन नहीं करते हैं

-जहां से मन किया सवारी उठाया और जहां चाहा वहां उतार देते हैं।

-प्रेशर हॉर्न का इस्तेमाल करते हैं फुल साउंड पर म्यूजिक बजाते हैं।

-किराया निर्धारित जरूर है लेकिन मनमाना किराया वसूलते हैं।

-फ्यूल का रेट बढ़ने पर ऑटो का किराया बढ़ जाता है, कम होने पर घटता नहीं है।