-शहर में ढूंढे नहीं मिलते हैं पार्क, जो हैं भी काफी दयनीय है उनकी कंडीशन

-इंसान के बजाय जानवरों से रहते हैं गुलजार

VARANASI : इस शहर की आबोहवा दिन ब दिन जहरीली हो रही है। गिने-चुने स्थानों को छोड़ दें तो सांस लेने के लिए ताजी हवा का इंतजाम नहीं के बराबर है। सरकारी रिकॉर्ड तो बतातें है कि यहां हर तरफ हरे-भरे पेड़, गमकते फूल मौजूद हैं। हकीकत इससे बिल्कुल जुदा है। कभी हरियाली से लदे जंगल वाला शहर कंक्रीट के जंगल में बदल रहा है। हरियाली के नाम पर अब सिर्फ पार्क बचे हैं। देखरेख के अभाव में वे भी बदहाल हो चुके हैं। पार्को में इंसान के बजाय जानवर लोटते रहते हैं। इन्हें देखकर अंदाजा लगाना मुश्किल है कि यह पार्क हैं।

वक्त ने कर दिया बदहाल

नगर निगम के उद्यान विभाग रिकॉर्ड के मुताबिक शहर में सवा सौ पार्क मौजूद हैं। एक वक्त था जब शहर की खूबसूरती को निखारने में यह अहम भूमिका निभाते थे। बदलते वक्त ने इनकी किस्मत बदल दी। कुछ गिनती के पार्क को छोड़कर शहर के अन्य पार्क बदहाल हो चुके हैं। इनमें मौजूद रही हरियाली खत्म हो चुकी है। आसपास के माहौल को खुशबूदार बनाने वाले फूल अब इनमें नहीं है। नगर निगम अपनी मौजूदगी का एहसास कराने के लिए साल में एक-दो बार पौधे लगवा देता है। रख-रखाव के अभाव में कुछ दिनों में ही उनका वजूद खत्म हो जाता है।

पार्क हैं बदहाल

-शास्त्री नगर स्थित पार्क

-डुमरावबाग स्थित पार्क

-शिवाला स्थित रत्नाकर पार्क

-कबीर नगर स्थित पार्क

-रवीन्द्रपुरी स्थित पार्क

-रेवड़ी तालाब स्थित पार्क

-दशाश्वमेध स्थित चितरंजन पार्क

-गुरुधाम कॉलोनी स्थित पार्क

-मैदागिन स्थित टाउनहाल मैदान

-बेनियाबाग स्थित राजनारायण पार्क

-सिगरा थाने के सामने मौजूद पार्क

-बड़ी गैबी स्थित पार्क

(इनके साथ ही सिटी के अलग-अलग एरिया में मौजूद पार्क की हालत खस्ता है)

ऐसे में कैसे होगी हरियाली

-नगर निगम के रिकॉर्ड में सवा सौ पार्क दर्ज हैं

-पार्को की देखभाल का जिम्मा निगम के उद्यान विभाग के पास है

-हर साल दस से पंद्रह लाख रुपये पार्को का देखरेख पर खर्च होता है

-एक पार्क की देखरेख के लिए कम से कम तीन के स्टॉफ की जरूरत होती है

-पहले डेढ़ सौ माली थे अब इनकी संख्या भ्भ् है

-एक माली के जिम्मे दो से तीन पार्क की जिम्मेदारी है

-पार्को की सिंचाई के लिए महज दो वाटर टैंकर मौजूद हैं

-इनमें से एक पानी की सप्लाई के लिए बुक रहता है तो दूसरा टूटा हुआ है

-ज्यादातर पार्को की बाउंड्रीवॉल टूटी है

-पार्को में जानवरों का जमावड़ा लगा रहता है

इनको बनाओ नजीर

ऐसा नहीं कि पार्क शहर में सिर्फ बदहाल पार्क ही हैं। कई ऐसे पार्क हैं जिनका हरियाली हर किसी की दिल जीत लेती है। फूलों की खुशबू पार्क में आने वालों को दीवाना बना देती है। इन पार्को को खूबसूरत बनाने में नगर निगम की भूमिका कम पर्यावरण प्रेमियों की अधिक है। सिटी की पॉश कालोनियों में मौजूद पार्क की खूबसूरती को कॉलोनी की समितियां बचाए हुए हैं। वहीं कई पार्को को बचाने में सुबह-शाम ताजी हवा की तलाश में आने वाले अहम भूमिका निभाते हैं। वह पार्को कुछ ऐसे सहेजते हैं जैसे उनकी अमानत है। इसका फायदा उन्हें ताजी हवा बेहतरी माहौल के रूप में मिल रहा है।

कई पार्क अच्छे हैं

- महमूरगंज के गिरी नगर स्थित अपना पार्क

-मैदागिन स्थित कम्पनी बाग पार्क

-सिगरा स्थित शहीद उद्यान पार्क

-दुर्गाकुण्ड स्थित आनंद बाग पार्क

-श्रीनगर कॉलोनी स्थित पार्क

-दीनदयाल नगर कॉलोनी स्थित पार्क

-मानस नगर कॉलोनी स्थित पार्क

खुद की कोशिश से किया कमाल

-पार्क को मेंटेन रखने वालों ने नगर निगम के की ओर देखना जरूरी नहीं समझा

-कॉलोनी में मौजूद पार्क को समितियों ने अपने बल-बूते संवारे हैं

-कम्पनी बाग पार्क को संवारने में मॉर्निग वॉकर्स की अहम भूमिका है

-शहीद उद्यान में सुबह-शाम टहलने वाले इसे मेंटेन रखने में हेल्प करते हैं

-पार्को के लिए कालोनियों समिति ने खुद माली का इंतजाम कर रखा है

-सिंचाई के लिए ट्यूबवेल लगवाया है

-पार्को में पेड़-पौधे लगाने से लेकर उनके सिंचाई आदि पर नजर रखते हैं

-पार्क की खूबसूरती बनाए रखने के लिए बाउंड्री आदि का इंतजाम करते हैं

-सुबह-शाम इन पार्को में वाकर्स और खेलने-कूदने वाले बच्चों की भीड़ रहती है

हर किसी को चाहिए ताजी हवा

गाडि़यों और कल-कारखानों की भीड़ से हवा जहरीली होती जा रही है। यह हवा सांस के साथ हमारे फेफड़े में जाकर हमें बीमार करती है। हेल्दी रहने के लिए हर किसी को ताजी हवा की जरूरत है। पेड़-पौधे वातावरण में मौजूद प्रदूषण को खत्म कर देते हैं। कम से कम सुबह और शाम पेड़-पौधों के आसपास रहकर ताजी हवा में सांस लेना चाहिए।

-डॉ। प्रदीप मिश्रा, जनरल फिजिशियन

हवा में सल्फर, कार्बन मोनो ऑक्साइड समेत तमाम हानिकारक गैसों की मात्रा में तेजी से इजाफा हो रहा है। सिर्फ पेड़-पौधे ही हमें इन जहरीली हवा से बचा सकते हैं। शहर में मौजूद हरे-भरे पेड़ तेजी से कम हो रहे हैं। सभी पार्को में हरियाली बढ़ा दी जाए तो पॉल्यूशन लेवल में काफी कमी आएगी। लोगों को ताजी हवा मिलेगी।

- डॉ। मधुलिका, जनरल फिजिशियन