-नरिया तिराहे के पास मुन्ना बजरंगी ने एके 47 से कराई थी गोलियों की बरसात

-विद्यापीठ के छात्रसंघ अध्यक्ष सहित चार की हुई थी मौत

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उत्तर प्रदेश में दहशत का दूसरा नाम रहे मुन्ना बजरंगी की हुई हत्या ने अपराध जगत को हिलाकर रख दिया है। छह अप्रैल 1997 को मुन्ना बजरंगी ने बनारस में पहली बार एके 47 से गोलियां बरसाकर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के नवनिर्वाचित अध्यक्ष राम प्रकाश पांडेय बाबा, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष सुनील राय, भोनू मल्लाह सहित चार की जानें ले ली थीं। नरिया तिराहे के समीप जैन धर्मशाला के पास हुई गोलीबारी में चश्मदीद रहे तत्कालीन पूर्वाचल यूनिवर्सिटी व हरिश्चंद्र पीजी कॉलेज के छात्रसंघ अध्यक्ष राजेंद्र त्रिवेदी को 18 गोलियां लगी थीं। एक माह तक बीएचयू हॉस्पिटल में राजेंद्र त्रिवेदी एडमिट थे। मुन्ना बजरंगी की मौत के बाद आचार्य पं। राजेंद्र त्रिवेदी ने डीजे आई नेक्स्ट को बताया कि उस काली रात को बीएचयू में एडमिट पूर्व विधायक सत्यप्रकाश सोनकर को देखकर सभी लौट रहे थे। पूर्व अध्यक्ष सुनील राय की मारुति में ही सवार था। अचानक जैन धर्मशाला के पास कार पहुंचते ही गोलियों की बरसात होने लगी। जिसमें मुझे 18 गोलियां लगी थीं, बाबा विश्वनाथ का शुक्र था कि बच गया। वह मंजर आज भी याद आता है तो रोम-रोम हिल जाता है।

पिता की कमी महसूस करेंगे बजरंगी के बच्चे

जरायम की दुनिया में मुन्ना बजरंगी ने कइयों के माथे से सिंधूर पोछा था तो कई बहनों से भाइयों का प्यार छीना और कई बच्चों को अनाथ भी बनाया। मुन्ना बजरंगी की गोलियों से प्राण त्यागे विद्यापीठ छात्रसंघ के अध्यक्ष सुनील राय और अनिल राय के परिवार में मुन्ना के मौत पर खुशी की लहर है। काशी विद्यापीठ के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष सुनील राय केभतीजे और अनिल राय के बेटे प्रशांत राय ने डीजे आई नेक्स्ट से कहा कि 'अब बजरंगी के बच्चे महसूस करेंगे कि पिता का नहीं होना कैसा लगता है। प्रशांत ने बताया कि छह अप्रैल 1996 में मुन्ना बजरंगी ने बीएचयू के पीछे नरिया में चाचा सुनील राय सहित चार की एके 47 से गोली बरसाकर हत्या कर दी थी। इसके बाद पिता अनिल राय की राजनीति में बढ़ते जनाधार को मुन्ना बजरंगी के करीबी बर्दाश्त नहीं कर सके और दिसंबर 2002 में मलदहिया में पिता की गोली मारकर हत्या करा दी थी।