-निर्जला एकादशी पर गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

-निकली श्री काशी विश्वनाथ कलश यात्रा, गंगा और संगम के जल से हुआ बाबा का अभिषेक

VARANAS

भोले की नगरी काशी गुरुवार को हर हर महादेव के जयकारों से गूंजती रही। अलसुबह से ही गंगा घाट जाने वाले रास्तों पर स्नान करने वालों की भीड़ दिखने लगी थी। मौका था गंगा दशहरा के बाद पड़ने वाले पर्व निर्जला एकादशी का। निर्जल रहकर गंगा स्नान की चाह में भारी संख्या में आसपास व दूसरे शहरों से भी श्रद्धालु काशी पहुंचे थे। यही वजह थी कि राजेन्द्र प्रसाद घाट, दशाश्वमेध घाट समेत अन्य घाट स्नान करने वालों भीड़ से पटे रहे। गंगा स्नान के बाद लोगों ने दान पुण्य भी किया। इस मौके पर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की तरफ से कलश यात्रा भी निकाली गई। जिसमें बाबा विश्वनाथ का कुल क्008 कलशों में भरे जल से अभिषेक किया गया।

जगह जगह बांटा शर्बत

मान्यता है कि निर्जला एकादशी के मौके पर शर्बत बांटने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इसलिए शहर के हर इलाके में लोगों ने शर्बत बांटकर पर्व मनाया। राहगीरों ने भी शर्बत का जमकर मजा लिया। दशाश्वमेध घाट पर बुधवार की देर रात से ही नहाने वालों की भीड़ जुटने लगी थी। सुबह होने तक बड़ी संख्या में लोग घाट पर जुट गए। मटका, पंखा और फल आदि दानकर लोगों ने अपना संकल्प भी पूरा किया।

क्008 कलशों के जल से अभिषेक

निर्जला एकादशी पर गुरुवार को डॉ। राजेंद्र प्रसाद घाट से श्री काशी विश्वनाथ कलश यात्रा भी निकाली गई जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल रहे। सनातन धर्मियों के इस वार्षिक आयोजन में गंगा व प्रयाग संगम पूरित की ओर से क्008 कलशों में भरे जल से बाबा का अभिषेक किया गया। सुबह राजेन्द्र प्रसाद घाट से शुरू हुई भव्य शोभायात्रा में महिलाएं, पुरुष व बच्चे हाथों में जल भरे कलश थामे हर हर महादेव, शंभू, काशी विश्वनाथ का जयघोष करते हुए चल रहे थे। डमरुओं की थाप, शंखनाद व शहनाई की धुन के बीच यात्रा श्री काशी विश्वनाथ दरबार पहुंची और यहां बाबा का जलाभिषेक शुरू हुआ। यात्रा में बर्फ से बना शिवलिंग, नृत्य करते शिव-पार्वती के स्वरूप व नंदी आकर्षण का केन्द्र रहे।