-शहर के 100 सेंटर पर दो शिफ्ट में हुए एग्जाम

-एग्जाम पर लखनऊ से रखी गयी नजर

ज्वाइंट बीएड एंट्रेंस एग्जाम में कैंडीडेट्स को पेपर तो अच्छा लगा। पर फ‌र्स्ट शिफ्ट में हिंदी का पेपर अधिकतर कैंडीडेट्स को परेशान किया। इसके चक्कर में कई कैंडीडेट्स ने कई क्वैश्चन छोड़ दिए। स्टूडेंट्स का कहना था कि हिंदी के सवाल काफी टफ थे। माइनस मार्किग होने की वजह से सही जवाब के ही आनर्स दिए, बाकी को छोड़ना पड़ा। इन सवालों को पढ़ने और समझने में काफी वक्त भी लगा। वहीं जीके समेत अन्य सवाल सरल थे, जिन्हें आसानी से कर दिया गया।

आठ हजार से अधिक नहीं हुए अपीयर

ज्वाइंट बीएड एंट्रेंस एग्जाम शहर में बने 100 सेंटर्स पर शुक्रवार को हुआ। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के तहत 54 सेंटर्स पर फ‌र्स्ट शिफ्ट में 22100 कैंडीडेट्स में से 19826 उपस्थित रहे। जबकि 2274 ने परीक्षा छोड़ दी। वहीं बीएचयू के तहत 36 सेंटर्स पर 17300 में से 15294 अपीयर हुए और 2006 ने परीक्षा छोड़ दिया। इसी प्रकार सेकेंड शिफ्ट में विद्यापीठ के सेंटर पर 22100 कैंडीडेट्स में से 2256 ने परीक्षा छोड़ी तो बीएचयू में 1995 अब्सेंट रहे। जबकि लेट के कारण पहली पाली की परीक्षा न दे पाने वाले कैंडीडेट्स को दूसरी पाली में बैठने का मौका दिया गया था।

लखनऊ से रखी गयी नजर

बीएड प्रवेश परीक्षा की पहली पाली सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक हुआ। जिसमें आसपास के जिलों से भी तमाम अभ्यर्थी परीक्षा के लिए वाराणसी आए थे। सेकेंड शिफ्ट दोपहर दो से शाम पांच बजे तक हुआ। उधर सेंटर ऑब्जर्वर के अलावा सेक्टर मजिस्ट्रेट और पुलिस की टीम भी सुबह से परीक्षा पर नजर लगाए हुए थी। परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी के माध्यम से सीधे लखनऊ से निगरानी कराई जा रही थी। किसी भी सेंटर पर कोई नकलची नहीं पकड़ा गया।

बांटा गया फेसशील्ड व मास्क

सभी एग्जाम सेंटर पर पहुंचे कैंडीडेट्स को फेस शिल्ड, दो पाउच सेनेटाइजर व दो मास्क दिए गए। वहीं परीक्षा केंद्रों पर कोविड प्रोटोकॉल का भी कड़ाई से पालन किया गया। थर्मल स्कैनिंग और सेनेटाइजेशन के बाद ही कैंडीडेट को रूम में जाने दिया गया। रूम में प्रत्येक बेंच पर सिर्फ एक कैंडीडेट को ही बैठाया गया। प्रवेश परीक्षा की नोडल ऑफिसर डॉ। सुनीता पांडेय ने कई सेंटर्स का निरीक्षण किया।

हिंदी का क्वैश्चन टफ रहा। जबकि जीके और करेंट अफेयर में पूछे गए सवाल काफी सरल रहे। जिसके चलते उसको सॉल्व करने में कोई परेशानी नहीं हुई।

अमित सिंह, चंदौली

एग्जाम में माइनस मार्किंग के चलते जिस क्वैश्चन को लेकर कांफिडेंस था उसी को सॉल्व किया। यही वजह है कि जो क्वैश्चन नहीं आ रहे थे, उसको छोड़ दिया। फ‌र्स्ट शिफ्ट में हिंदी की वजह से 85 क्वैश्चन ही सॉल्व किया।

ओम यादव, लोहता

हिंदी का क्वैश्चन यदि टफ न होता तो फ‌र्स्ट शिफ्ट के सभी 100 सवाल सॉल्व कर देती। जीके और करेंट अफेयर्स के तहत तो बहुत आसान क्वैश्चन पूछे गए थे। जिनको सॉल्व करने में देर ही नहीं लगी।

नेहा पाल, लंका

लंग्वेज के चलते 20 से 25 क्वैश्चन छोड़ना पड़ा। अगर नहीं छोड़ती तो माइनस मार्किंग के तहत सही आंसर के जवाब पर मिला मा‌र्क्स भी कट जाता। अन्य सारे पेपर में पूछे गए सवाल सरल रहे।

अर्चना कुमारी, गाजीपुर