वाराणसी (ब्यूरो)अगर आप के बच्चे की आंख के पीछे सफेद चमक है तो तत्काल सतर्क हो जाएं, क्योंकि अनदेखी से बच्चे को कैंसर हो सकता हैइस बीमारी का नाम रेटिनो ब्लास्टोमा है, जिसमें जन्म से पांच वर्ष तक के बच्चे प्रभावित होते हैंइसका पता लंबे समय बाद ही चल पाता हैसमय पर ट्रीटमेंट नहीं मिला तो कैंसर आप्टिक नर्व के माध्यम से पूरे मस्तिष्क में फैल जाता हैदरअसल, रेटिनो ब्लास्टोमा के मरीजों की संख्या बढ़ रही हैबीएचयू में पिछले आठ साल में जहां 294 मरीज सामने आए हैैं, वहीं इस साल 10 बच्चों का रजिस्ट्रेशन हो चुका है.

वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित सर सुंदरलाल अस्पताल के आई कैंसर विशेषज्ञ डॉआरपी मौर्य ने बताया कि सोमवार को नेत्र विभाग में विश्व रेटिनो ब्लास्टोमा जागरूकता दिवस मनाया गयारेटिनो ब्लास्टोमा एक जेनेटिक डिजीज हैइसमें रेटिना के सेल्स डिविजन यानी कोशिकाओं का विकास करने वाले जींस संख्या 13 में दिक्कत आ जाती हैइससे सेल डिविजन काफी तेजी से होने लगता हैरेटिना में कैंसर बन जाता हैइसका एक-चौथाई असर नेक्स्ट जनरेशन में चला जाता है.

8 साल में रेटिनो ब्लास्टोमा के 294 मरीज

डॉमौर्य ने बताया कि रेटिनो ब्लास्टोमा के 61.2 फीसदी मरीज लड़के थेवहीं 69.7 प्रतिशत बच्चे 2 वर्ष से कम उम्र के थे। 57.8 फीसदी रोगी एडवांस स्टेज में बीएचयू में इलाज के लिए आएबता दें कि अब तक पिछले 8 साल में रेटिनो ब्लास्टोमा के 294 मरीज बीएचयू के रोगी नेत्र और बालरोग विभाग में आए हैं.

वर्ष पेशेंट

2014 36

2015 44

2016 54

2017 56

2018 46

2019 20

2020 08

2021 22

2022 में अबतक 10 बच्चों का रजिस्ट्रेशन हो चुका है.

क्या है रेटिनो ब्लास्टोमा

बीएचयू के आई कैंसर विशेषज्ञ डॉआरपी मौर्य के अनुसार 56 फीसदी बच्चों की आंख में कैटस आई रिफ्लेक्स (ल्यूकोकोरिया) ही शुरुआती लक्षण होता हैइसमें आंख की पुतली के पीछे बिल्ली की आंख की तरह सफेद या पीली चमक दिखने लगती है। 20 प्रतिशत बच्चों की आंखों में तिरक्षापन आ जाता हैकैंसर बढऩे के साथ आंख बाहर की तरफ निकल जाती है, जिसे प्रोप्स्टोसिस कहते हैंसमय पर ट्रीटमेंट नहीं मिला तो कैंसर आप्टिक नर्व के माध्यम से पूरे मस्तिष्क में फैल जाता है.

बच्चों में हो ये दिक्कत तो नेत्र विशेषज्ञ को दिखाएं

-आंख के पीछे की सफेद चमक को तत्काल पहचानें.

-समय से नेत्र कैंसर विशेषज्ञ से आंखों की गहन जांच कराएं.

-पारिवारिक छानबीन जरूरी हैबच्चे के माता-पिता और सगे भाई-बहन की भी आंखों की जांच कराएं.

-इलाज के बाद दोबारा नियमित फालोअप जांच जरूर कराएं.

-इलाज के बाद बच्चा सामान्य जीवनयापन कर सकता है.