वाराणसी (ब्यूरो)। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के पाठ्यक्रम में भूतविद्या को 2019 में शामिल किया गया। इसके लिए उस साल विज्ञापन भी निकाला गया, लेकिन विभागीय राजनीति के चलते इस कोर्स पर विराम लग गया। बीएचयू के आयुर्वेद संकाय में भूत विद्या यानी साइंस ऑफ पैरानॉर्मल की पढ़ाई के लिए छह महीने का यह सर्टिफिकेट कोर्स 2020 के जनवरी माह में ही शुरू होना था, लेकिन इस बीच कोविड और संकाय खींचतान के चलते अब तक अधर में लटका हुआ है। एकेडमिक काउंसिल की ओर से पास होने के बावजूद अब तक इस कोर्स के लिए 2 साल बाद भी कोई प्लान तैयार नहीं किया जा सका है।
2017 में पहली बार बोर्ड मीटिंग
भूत विद्या कोर्स को शुरू करने के लिए 2017 में आयुर्वेद संकाय के प्रोफेसरों ने एकेडमिक काउंसिल से बोर्ड मीटिंग के साथ-साथ बोर्ड ऑफ स्टडीज की। शुरुआती प्रक्रिया पूरा करने के बाद भूत विद्या कोर्स को एकेडमिक काउंसिल में पास कर दिया गया। कोर्स में चार यूनिट बनाई गई, जिसमें यूनिट ऑफ भूत विद्या, यूनिट ऑफ वाजीकरण, यूनिट ऑफ रसायन और इंटीग्रेटिव मेडिसिन का कोर्स बना। चारो सब्जेक्ट में 6-6 महीने का सेल्फ फाइनेंस सर्टिफिकेट कोर्स की शुरुआत हुई। इसके बाद ये सभी कोर्स बीएचयू के बुलेटिन में आया, जिस पर अब तक ग्रहण लगा हुआ है। अष्टांग आयुर्वेेद के तीन भाग को विकसित करने की दृष्टि से भूत विद्या, वाजीकरण और रसायन। अगर मनुष्य को सौ साल तक स्वस्थ्य रखना हो तो उसके जन्म से ही रसायन चिकित्सा करनी चाहिए। जितने प्रकार के अहार होते हैं वो एक प्रकार से रसायन होते हैं।
2020 के जनवरी में होना था शुरू
भूत विद्या कोर्स को जनवरी में शुरू होना था। इस कोर्स के लिए आयुर्वेद विभाग ने कुल 5 सीट ही रखे थे। इसके लिए विभाग की ओर से विज्ञापन भी जारी किया गया। जिसके बाद विभाग के पास कुल 23 छात्रों ने अप्लाई किया था, जिसमें सिर्फ भूत विद्या कोर्स के लिए 11 छात्रों के आवेदन आए और इसके अलावा इंटीग्रेटिव मेडिसिन कोर्स के लिए भी आवेदन आए। बताया जाता है कि भूत विद्या कोर्स सीखने के लिए ऐलोपैथिक वालों को आयुर्वेदिक में सीखने की ललक थी। छात्रों में ललक सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी देखी गई और 3 विदेशी छात्रों ने भी भूत विद्या कोर्स में आवेदन किया।
भूत विद्या को घोस्ट समझा
विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक भूत विद्या कोर्स को शामिल तो कर लिया गया, लेकिन इसका विरोध शुरुआती दिनों से जारी रहा। लोगों ने तत्कालीन प्रभारी पर तरह-तरह के दबाव बनाने लगे। वहीं, भूत विद्या को घोस्ट विद्या समझ कर इसे वापस तक लेने की मांग करने लगे।
संकाय में शुरू से रहा खींचतान
बीएचयू के आयुर्वेद संकाय के तत्कालीन प्रमुख प्रो। यामिनी भूषण त्रिपाठी बताते हैं कि साइंस ऑफ पैरानार्मल का सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने वाला यह पहला संकाय हैं। संकाय में भूत विद्या की स्वतंत्र इकाई थी। उस समय भूत विद्या पर शोध कर चुके प्रो। वीके द्विवेदी के नेतृत्व में इसका सिलेबस तैयार किया गया था, लेकिन संकाय की खींचतान में अब तक यह पढ़ाई शुरू नहीं हो सका। है। जनवरी से इसकी पढ़ाई शुरू कर दी जाएगी। बताया जाता है कि संकाय प्रमुख बदलने के बाद भूत विद्या कोर्स पर रोक लग गई। जबकि ये नियम विरूद्ध कार्य है। एकेडमिक काउंसिल से पास बीएचयू के आयुर्वेद संकाय में भूत विद्या कोर्स 3 साल से शुरू नहीं हो सका है। यह कोर्स अब भी एकेडमिक काउंसिल से पास है। जबकि एकेडमिक काउंसिल के चेयरमैन वीसी हैं। वर्तमान में यह फैकल्टी लेवल पर बंद है।
आयुर्वेद संकाय में भूत विद्या कोर्स बहुत ही प्रयासों के बाद शुरू किया गया था। इस कोर्स को लेकर छात्रों ने उत्साह भी दिखाया था। देश ही नहीं विदेशों के छात्र भी आए और अब इस कोर्स को शुरू करने की पहल कर रहे हैं।
प्रो। यामिनी भूषण, पूर्व संकाय प्रमुख