-बीएचयू के ट्रामा सेंटर में पैथालॉजी लैब का मामला

-लैब के टेंडर में करोड़ों के घोटाले का आरोप

-केंद्रीय सतर्कता आयोग व कोर्ट में की गई थी शिकायत

VARANASI

बीएचयू के ट्रामा सेंटर में पैथालॉजी लैब को खोलने के लिए जारी टेंडर में घपलेबाजी कर अपनी पसंदीदा कंपनी के पक्ष में टेंडर का फैसला करने वाले बीएचयू के अधिकारियों की उल्टी गिनती शुरू हो गयी है। टेंडर नियमों में हेराफेरी की शिकायत की जांच करने के लिए गठित टीम ने मंगलवार को बीएचयू पहुंच कर अपना काम शुरू कर दिया है। टीम ने सेंट्रल ऑफिस के समिति कक्ष दो में घंटों दर्जनों फाइलों को खंगाला। एलडी गेस्ट हाऊस में भी इस दौरान वहां के कई आलाधिकारियों से भी इस घोटाले के बारे में जानकारी मांगी गई। इस बात को लेकर पूरे बीएचयू में हड़कंप की स्थिति रही।

बनाया जाना था लैब

सूत्रों के अुनसार ट्रामा सेंटर में पीपीपी मॉडल के तहत डाइग्नोसिस सेंटर बनना था। इसके लिए टेंडर जारी किया गया। पर कुछ अधिकारियों ने अपने पंसद की कंपनी को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से पहले के टेंडर को निरस्त कर नया टेंडर जारी कराया। जिसमें पहले की अपेक्षा नियमों और शर्तो में खासी सहुलियत दी गयी थी। खास बात यह रही कि पसंद की कंपनी के पक्ष में फैसला भी कर दिया गया। इस मनमानी के खिलाफ प्रतिद्वंद्वी कंपनी सीवीसी व हाइकोर्ट में पहुंच गई। इसकी शिकायत केन्द्रीय सतर्कता आयोग से भी की गई। जिसके बाद वीसी प्रो। गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने उक्त टेंडर को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया। साथ ही उन्होंने गड़बड़ी की आशंका पर एक जांच समिति बनाई। यही जांच समिति मामले की जांच कर रही है।