दक्षिण भारतीय ब्राह्माण कलश यात्रा में हुए शामिल।

परंपरागत वाद्ययंत्रों और वेदमंत्रों के गुंजित स्वरों के बीच काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंची कलशयात्रा

VARANASI

विश्व कल्याणार्थ श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के कुंभाभिषेक कार्यक्रमों के क्रम में मंगलवार को दशाश्वमेध घाट से कलश यात्रा निकाली गयी। बड़ी संख्या में दक्षिण भारतीय ब्राह्माण कलश यात्रा में शामिल हुए। ब्राह्माणों ने कलश में गंगाजल भरा और परंपरागत वाद्ययंत्रों और वेदमंत्रों के गुंजित स्वरों के बीच काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचे। कलश को यज्ञशाला में स्थापित किया। विशेष अनुष्ठान के लिए पूजन स्थल पर भगवान शंकर और मां पावर्ती की भव्य प्रतिमा को विराजमान कराया गया। यहां पर गणपति होम्, वास्तु शांति, मिरुथ संकीर्तम, अंगुरापनम, रक्षाबंधनम, घटास्थापनम के साथ प्रथम कला पूजन की प्रकिया पूरी की गयी। इस अवसर पर मुख्य यजमान सुब्बू सुंदरम, मंदिर के सीईओ विशाल सिंह, केवी रमन, श्रीकांत मिश्रा, शशि भूषण त्रिपाठी आदि मौजूद रहे।

मुख्य आयोजन आज से

कुंभाभिषेक कार्यक्रम का मुख्य आयोजन बुधवार से शुरू होगा जिसमें द्वितीय कला पूजन और शाम का तृतीय कला पूजन की प्रकिया होगी। 200 दक्षिण भारतीय ब्राह्माण अनुष्ठान को संपन्न करायेंगे। गुरुवार को प्रात: कला पूजन और शाम को महाभिषेक किया जायेगा। इसके पूर्व सोमवार को दक्षिण भारतीय बाह्मण पं। पिल्लई गुरकल के आचार्यत्व में 21 वैदिकों ने ज्ञानवापी स्थित यज्ञशाला के निकट विधि पूर्वक कुंभाभिषेक का संकल्प लिया था। चार जुलाई को द्वितीय कला पूजन होगा। जबकि महाअभिषेक पांच जुलाई की शाम होगा। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार देवालयों को पवित्र करने के लिए कुंभाभिषेक किया जाता है। यह परंपरा दक्षिण भारत में अधिक प्रचलित है। दक्षिण भारतीय पंरपरा के अनुसार किसी भी मंदिर के जीर्णोद्धार या सुंदरीकरण से पहले कुंभाभिषेक की शास्त्रीय परंपरा का निर्वाह किया जाता है।