-बीएचयू में तीन दिवसीय अखिल भारतीय राजनीति विज्ञान परिषद के 56वें अधिवेशन का शुभारंभ

-वक्ताओं ने की राजनीति विज्ञान में नए सिद्धांतों के प्रतिपादन की वकालत varanasi@inext.co.in

VARANASI

राजनीति विज्ञानियों को चाहिए कि वे वर्तमान परिस्थितियों के संदर्भ में नये सिद्धांतों का प्रतिपादन करें। हमारे संविधान के माध्यम से ही भारत महाशक्ति बन सकता है। मौलिक अधिकार का उल्लेख हमारे संविधान की आत्मा है। यह बातें रविवार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह ने बीएचयू के स्वतंत्रता भवन में व्यक्त किये। वह पॉलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट की ओर से आयोजित अखिल भारतीय राजनीति विज्ञान परिषद के भ्म्वें अधिवेशन में बतौर चीफ गेस्ट बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकारों को चाहिए कि वह विषय विशेषज्ञों को ही अपने मंत्री पद पर नियुक्त करें। जिससे विकास को सही दिशा मिल सके।

व्यवहारिक पक्ष ी जरूरी

परिषद के चेयरमैन प्रो। गोपाल रेड्डी ने कहा कि राजनीति विज्ञानियों को सैद्धांतिक पक्षों के साथ व्यवहारिक पक्ष पर भी ध्यान देने की जरूरत है। परिषद के जनरल सेक्रेटरी प्रो। संजीव ने परिषद की मजबूती पर बल दिया। अध्यक्षता करते हुए वीसी प्रो। गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने कहा कि लगातार बदल रही परिस्थितियों में राजनीति विज्ञान में नये सिद्धांतों को लाना जरूरी हो गया है। झारखंड के पशुपालन राज्य मंत्री रणधीर कुमार सिंह ने कहा कि अगर भारत को विश्व गुरु बनाने में राजनीति विज्ञान के विद्वान बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।

क्म् सेशन में पढ़े जाएंगे भ्म्0 पेपर

आयोजन सचिव प्रो। कौशल किशोर मिश्र ने बताया कि तीन दिवसीय अधिवेशन में क्म् सत्र चलेंगे। इस दौरान कुल भ्म्0 रिसर्च पेपर पढ़े जाएंगे। अधिवेशन के विभिन्न सत्रों में बिहार चुनाव, साम्प्रदायिकता असहिष्णुता, गाय की राजनीति, पुरस्कार लौटाने की राजनीति, विकास की राजनीति, लोकतंत्र जैसे विषयों पर भी चचार्1 होगी।

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नहीं आये गृहमंत्री

राजनीति विज्ञान परिषद के अधिवेशन का उद्घाटन केंद्रीय गृह राज्यमंत्री राजनाथ सिंह को करना था मगर वह नहीं आ सके। उनके अलावा केंद्रीय राज्य मंत्री महेश शर्मा और रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा भी अधिवेशन में नहीं पहुंच सके।