-तीन दिवसीय कोजागरी संगीत महोत्सव का शानदार समापन

-रसिक जनों ने गायन वादन और नृत्य रस का किया पान

VARANASI

श्रीमठ की ओर आयोजित तीन दिवसीय कोजागरी संगीत महोत्सव की अंतिम निशा सोमवार को नागरी नाटक मंडली में उपस्थित रसिक गायन, वादन और नृत्य की त्रिवेणी में डूबते-उतराते रहे। उन्होंने कथक नृत्य की बारीकियों को आंखों में सहेजा तो कंठ और तार यंत्रों से निकल रहे स्वरों का श्रवणकर आनंद रस का पान किया। कार्यक्रम की शुरुआत कथक नृत्यांगना सुरभि सिंह टण्डन उनके सहयोगी कलाकारों की प्रस्तुति से हुई। उन्होंने पारम्परिक कथक शैली आमद, थाट,गत, निकास ,उपज अंग ,भाव के साथ-साथ बॉलीबुड के प्रख्यात संगीतकार के एक तालबध

रचना को प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। पं धर्मनाथ मिश्र गायन, सारंगी पर विनोद मिश्र ने संगतकार की भूमिका निभायी।

पं देवाशीष के गायन ने मोहा मन

कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए शास्त्रीय गायक पं देवाशीष डे ने मंच संभाला। उन्होंने रामानंदाचार्य की एक भक्ति रचना से अपनी प्रस्तुति की शुरुआत की। उसके बाद शरद पूर्णिमा को स्मरण में रखकर राग चंद्र प्रभा में बंदिश पेशकर श्रोताओं की वाहवाही बटोरी। महाराज पं महादेव की मिश्र खमाज में निबद्ध प्रख्यात ठुमरी सुनाकर कार्यक्रम का समापन किया। तबले पर पं किशोर मिश्र, हारमोनियम पर जमुना बल्लभ गुजराती एवम तानपुरे पर शुभंकर डे तथा देवांशु डे ने संगत की ।

झंकृत किए मन के तार

अंतिम प्रस्तुति युवा कलाकार पं निलाद्री कुमार की रही। उन्होंने सितार के तारों को छेड़कर लोगों के मन के तारों को झंकृत कर दिया। पं निलाद्री ने शरद पूर्णिमा के अनुरागतम पक्ष को ध्यान में रखते हुए राग तिलक कमोद में आलाप जोड़ एवम झाला की प्रस्तुति की। मिलन श्रृंगार के राग झिंझोटी में झपताल में निबद्ध विलंबित एवम रूपक ताल में निबद्ध रचनाओं श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। कार्यक्रम का समापन पं निलाद्री ने रचना नट भैरव से किया। तबले पर उनका साथ सत्यजीत तवड़कर ने किया। इसके पूर्व तृतीय निशा का शुभारंभ संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो। डॉ। विशम्भर नाथ मिश्र ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में संगीत रसिक उपस्थित थे।