बीएचयू के विश्वनाथ टेंपल के पार्क को एक नया रूप दिया गया है। यहां अब फूलों की क्यारियों के अलावा फव्वारे आदि की व्यवस्था शुरू की गई है। इससे मंदिर परिसर का एक नया लुक सामने आया है। इसी कैंपस में बर्डकेज बना देने से यहां हर वक्त चिडिय़ों की चहचहाहट गूंजेगी जिससे प्राकृतिक सौंदर्य का एक अलग ही नजारा देखने को मिलेगा। पार्क में चार मीटर चौड़ा और 40 मीटर लंबे बर्डकेज के बनाने की प्लैनिंग है। इसमें विभिन्न प्रजातियों के परिंदे रखे जायेंंगे.
परिंदों के विकास पर होगा ध्यान
बर्डकेज में ऐसे परिंदों को रखने पर विशेष ध्यान होगा जो लुप्त प्राय: हैं और बर्डकेज में ब्रीडिंग कर सकते हैं। केज में रखे जाने वाले परिंदों के डेवलपमेंट को लेकर रिसर्च भी किया जायेगा ताकि उनकी खत्म हो रही नस्ल को संरक्षित किया जा सके। परिंदों को कैद का एहसास न हो इसलिए केज को नैचुरल लुक दिया जायेगा। यहां संरक्षित होने वाले परिंदों में गौरैया, मैना, बुलबुल, लवबर्ड, लालमुनिया, कबूतर, कोयल आदि शामिल हैं। बर्डकेज में परिंदों की संख्या अधिक होने पर उन्हें आकाश में छोड़ दिया जायेगा। इसके अलावा पार्क में कई जगह खुले में कृत्रिम घोंसले भी बनाये जायेंगे.
बॉक्स
वेस्ट मैटीरियल से बनेगा ष्ड्डह्यद्ग
खास बात यह कि इस बर्डकेज को बनाने में बीएचयू में बेकार पड़े लोहे के कबाड़ को काम में लिया जायेगा। इससे बर्डकेज को बनाने में खर्चा भी कम होगा और इन बेकार के सामानों का यूज भी हो जायेगा.
वर्जन--
वीसी डॉ। लालजी सिंह के निर्देश पर परिंदों को बचाने के लिए ये प्लैन बनाया गया है। इससे विश्वनाथ मंदिर के सौंदर्य में भी बढ़ोतरी होगी और लुप्त हो रहे बड्र्स के संरक्षण का उद्देश्य भी पूरा होगा। अगले दो महीने में बर्डकेज बनाने का काम पूरा कर लिया जायेगा.
डॉ। एसपी सिंह, हार्टिकल्चरिस्ट, बीएचयू
VT परिसर अब नये लुक में
बीएचयू के विश्वनाथ टेंपल के पार्क को एक नया रूप दिया गया है। यहां अब फूलों की क्यारियों के अलावा फव्वारे आदि की व्यवस्था शुरू की गई है। इससे मंदिर परिसर का एक नया लुक सामने आया है। इसी कैंपस में बर्डकेज बना देने से यहां हर वक्त चिडिय़ों की चहचहाहट गूंजेगी जिससे प्राकृतिक सौंदर्य का एक अलग ही नजारा देखने को मिलेगा। पार्क में चार मीटर चौड़ा और 40 मीटर लंबे बर्डकेज के बनाने की प्लैनिंग है। इसमें विभिन्न प्रजातियों के परिंदे रखे जायेंंगे.
परिंदों के विकास पर होगा ध्यान
बर्डकेज में ऐसे परिंदों को रखने पर विशेष ध्यान होगा जो लुप्त प्राय: हैं और बर्डकेज में ब्रीडिंग कर सकते हैं। केज में रखे जाने वाले परिंदों के डेवलपमेंट को लेकर रिसर्च भी किया जायेगा ताकि उनकी खत्म हो रही नस्ल को संरक्षित किया जा सके। परिंदों को कैद का एहसास न हो इसलिए केज को नैचुरल लुक दिया जायेगा। यहां संरक्षित होने वाले परिंदों में गौरैया, मैना, बुलबुल, लवबर्ड, लालमुनिया, कबूतर, कोयल आदि शामिल हैं। बर्डकेज में परिंदों की संख्या अधिक होने पर उन्हें आकाश में छोड़ दिया जायेगा। इसके अलावा पार्क में कई जगह खुले में कृत्रिम घोंसले भी बनाये जायेंगे.
वेस्ट मैटीरियल से बनेगा cage
खास बात यह कि इस बर्डकेज को बनाने में बीएचयू में बेकार पड़े लोहे के कबाड़ को काम में लिया जायेगा। इससे बर्डकेज को बनाने में खर्चा भी कम होगा और इन बेकार के सामानों का यूज भी हो जायेगा.
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