वाराणसी (ब्यूरो)न्यूट्रॉन का परीक्षण करने वाली देश पहली यूनिवर्सिटी बीएचयू बनी हैयहां 50 साल पहले बनाया गया बम हाउस फिर से एक्टिव हो गया हैबीएचयू में रिसर्च एंड फिजिक्स डिपार्टमेंट के वैज्ञानिक प्रोअजय कुमार त्यागी ने भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर मुंबई की मदद से न्यूट्रॉन जेनरेटर स्थापित किया है

क्या है न्यूट्रान?

बीएचयू में रिसर्च में लगे वैज्ञानिकों के अनुसार न्यूट्रॉन परमाणु के अंदर उदासीन कार्ड हैइसकी खोज चैडविक ने की थीयह हर जगह व्याप्त हैलेकिन स्पेस में इसका रेडियस काफी खतरनाक होता हैस्पेसक्राफ्ट, सेटेलाइट भेजने के समय अंतरिक्ष में न्यूट्रॉन रेडिएशन की वजह से वस्तुओं के रंग और साइज में बदलाव हो जाता हैआसमान में होने वाली इस प्रतिक्रिया की टेस्टिंग अब बीएचयू में की जा रही है.

50 साल पहले बना था

बम हाउस का भवन 50 साल पहले बीएचयू में बनाया गया थाअब भवन को फिर से एक्टिव किया गया हैबताया जाता है कि 1998 से यह बम हाउस बंद पड़ा थाअब इसी भवन में मशीन इंस्टॉल की गई है.

रेडियस खतरनाक

रिसर्च कर रहे वैज्ञानिकों ने बताया कि जेनरेटर से निकलने वाले न्यूट्रॉन के रेडियस की फ्रिक्वेंशी इतनी तेज होती है कि वह एक मीटर मोटी कंक्रीट की दीवार को भी छेद सकता हैमशीन से उत्सर्जित होने वाली किरणें परमाणु हथियारों के विस्फोट से निकलने वाली रेडिएशन से भी ज्यादा घातक होती हैं.

2009 से कर रहे काम

प्रोअजय कुमार त्यागी ने बताया कि 2.45 एमईवी प्रोडक्टशन कैपीसिटी से युक्त इस जेनरेटर को लाने का प्रयास वह 2009 से कर रहे थेइसमें अब जाकर सफलता मिली हैअभी तक उत्तर भारत के रिसर्चर्स को सैंपल जांच के लिए बाहर भेजना पड़ता था, अब बीएचयू में मेंटिनेंस कॉस्ट पर सैंपल्स की जांच हो सकेगीयही नहीं इससे उत्तर भारत में पाए जाने वाले काम के और दुर्लभ मिनरल्स और धातुओं की खोज भी हो सकेगीअब कोई भी रिसर्चर अपना सैंपल यहां टेस्ट करा सकता हैरिजल्ट उसे तत्काल मिल जाएगाइससे सोनभद्र की रॉक्स में यूरेनियम, थोरियम है या नहीं यह भी पता लगाया जा सकेगा.

न्यूट्रॉन रेडिएशन का उपयोग खाद्य परीक्षण और मिट्टी की नमी की जांच के लिए किया जा सकता हैइसे लेकर कृषि विज्ञान संस्थान और फूड टेक्नोलॉजी विभाग से संपर्क किया जाएगाइस जेनरेटर का उपयोग फूड प्रोसेसिंग और खेती किसानी के लिए भी किया जाएगाइससे जांच में रिजल्ट तत्काल पता चल जाएगा.

प्रोअजय कुमार त्यागी