-सिटी में अंडरग्राउंड केबलिंग सहित कई सिविक वर्क के लिए खोदी गई सड़कें बढ़ा रही है मुसीबतें

- उड़ रही मिट्टी और धूल के कारण बढ़ रहे हैं सांस के रोगी

-शहर की आबोहवा की हुई जांच में चौंकाने वाला हुआ खुलासा

-शहर की हवा मानक से छह गुना अधिक प्रदूषित

VARANASI (22 Oct ):

शहर की हवा जहरीली होती जा रही है। खस्ताहाल सड़कों की मरम्मत व सीवर बिछाने के लिए जगह-जगह चल रही खोदाई व सड़क चौड़ीकरण जैसे काम के चलते शहर की हवा जहरीली होती जा रही है। अधिकतर सड़कों पर टू व्हीलर्स व फोर व्हीलर्स वाहनों के निकलते ही धूल का गुबार उठता है। नाक, मुंह से थोक के भाव धूल सीधे शरीर के अंदर पहुंच रही है। एक एनजीओ द्वारा शहर की आबोहवा की जांच हुई तो मिश्रित धूल के कणों के बारे में चौंकाने वाला खुलासा हुआ। शहर की हवा विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक से लगभग छह गुना अधिक प्रदूषित है।

शरीर में जा रहा जहर

एनवायरनमेंट संरक्षण के लिए काम करने वाली एनजीओ के मुताबिक बनारस शहर में ख्ब् घंटे में अधिकतम पार्टिकुलेट मैटर ख्.भ् की सघनता क्ब्भ् यूजी / एम फ् के साथ दर्ज की गई। यह डब्लूएचओ के मानक से भ्.8 गुना अधिक है। धूल में सिलिका, लेड और रेत जैसे खतरनाक तत्व मौजूद हैं, जिसके चलते लोग कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से ग्रसित हो सकते हैं। अगर इनकी मात्रा ज्यादा हुई तो उनका हार्ट फेल हो सकता है। लगातार आंखों में धूल के जाने से रोशनी भी जा सकती है। शहर की अधिकतर सड़कें घटिया निर्माण के चलते बारिश में उखड़ चुकी हैं।

घरों में जम जाती है परत

शहर में धूल के चलते प्रभावित इलाकों के निवासी न केवल गंदगी से जूझ रहे हैं बल्कि बीमार भी पड़ रहे हैं। गोलगड्डा निवासी नवीन सिंह ने बताया कि उनके घर में एक दिन के अंदर ही इतनी मोटी धूल की परत जम जाती है मानो घर में महीनों से सफाई न हुई हो।

इन इलाकों में गंभीर समस्या

सिटी के गोलगड्डा और पीलीकोठी इलाके में आईडीपीएस प्रोजेक्ट के तहत अंडरग्राउंड केबलिंग का काम चल रहा है। बीते जून से सड़कें खुदी हुई हैं। बीच में मानसून के चलते काम रुका हुआ था। उस समय बारिश के चलते धूल नमी से दबी रही। मानसून के जाते ही तेज धूप निकलनी शुरू हुई तो हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। कमोबेश यही हालात पांडेयपुर, पहडि़या, कमच्छा, गुरुधाम, खोजवां, बौलियाबाग, संस्कृत यूनिवर्सिटी, जीटी रोड, लहरतारा, महमूरगंज और मंडुवाडीह इलाकों में भी है।

धूल के कारण बाहर निकलना दूभर हो गया है। यहां तक कि घरों में आ रही धूल-मिट्टी से इलाके में खांसी और सांस की बीमारी होने का खतरा मंडराने लगा है। लगता है, अब तो घरों के अंदर भी मास्क लगाकर रहना पड़ेगा।

नवीन सिंह, निवासी, गोलगड्डा

शहर में काम करने वाली एजेंसियां कम से कम सड़कों पर पानी का नियमित छिड़काव तो करा दें। आगे का वाहन गुजरने के बाद पीछे चलने वालों की आंखों और नाक में मिट्टी आ जाती है जिससे आंखों में जलन व सांस लेने में दिक्कत आती है।

आशुतोष मणि त्रिपाठी, निवासी, हरिनगर

धूल में मौजूद सिलिका और लेड सांस के साथ फेफड़ों में जाकर उसे इन्फेक्टेड करते हैं। इससे लोगों में काम करने की क्षमता घट जाती है। वायरल का सीजन है ऐसे में धूल से होने एलर्जी की बीमारी को गंभीर बना देती है।

डॉ। वीपी सिंह, चेस्ट स्पेशलिस्ट

धूल से सबसे अधिक असर बच्चों पर पड़ता है। सड़क पर उड़ रही धूल से पहले से ही अस्थमा से पीडि़त पेशेंट्स की हालत और गंभीर हो जाती है। धूल से बचने के लिए मास्क लगाकर निकलें। सांस लेने में ज्यादा दिक्कत हो तो तुरन्त डॉक्टर से सलाह लें।

डॉ। पी चंद्रा, एलर्जी स्पेशलिस्ट