-बनारस की गलियों से पर्यटकों को रू-ब-रू कराने के लिए RTO ने बनाया प्लैन

-बड़े टूरिस्ट स्पॉट की तर्ज पर जारी किए जायेंगे बाइक टैक्सी के लिए लाइसेंस

-एक सवारी को बैठाकर गलियों में घूमेगी बाइक टैक्सी

VARANASI

सकरी पतली गलियां जहां पैदल चलना भी मुश्किल है वहां अब टैक्सी चलेगी। क्या हुआ आप चौंक गए पर ये सच है। लेकिन इसके लिए ये गलियां चौड़ी होंगी ऐसा भी कुछ नहीं होने जा रहा है। दरअसल ये टैक्सी बड़ी कार या ऑटो नहीं बल्कि दो पहिये की सवारी बाइक होगी। गुड न्यूज ये है कि बनारस की सकरी गलियों से रू-ब-रू कराने और यहां की स्पेशल चीजों को पर्यटकों तक पहुंचाने के लिए आरटीओ ने ये प्लैन बनाया है। बड़े टूरिस्ट स्पॉट की तर्ज पर बाइक टैक्सी चलाने की पूरी तैयारी हो चुकी है। इसे जल्द ही गलियों में उतारने की तैयारी है।

ट्रैवल कम्पनियों से हुई बात

दरअसल सैलानी बनारस पहुंचने के बाद यहां के घाट व मंदिरों तक कैब से पहुंचकर वहां के खूबसूरत नजारे का लुत्फ तो लेते हैं लेकिन गलियों तक नहीं पहुंच पाते हैं जबकि असल बनारस इन गलियों में ही बसता है। इसलिए आरटीओ ने टूरिज्म डिपार्टमेंट के साथ मिलकर शहर की ठठेरी बाजार जैसी गलियों में बाइक टैक्सी चलाने की प्लैनिंग की है। इसके लिए कई टूर एंड ट्रैवल चलाने वाले लोगों से बातचीत भी हो चुकी है। परिवहन विभाग इन बाइकों को मोटर कैब के नियमों के तहत परमिट जारी करेगा। आरटीओ आरपी द्विवेदी के मुताबिक अन्य स्टेट्स की तर्ज पर बनारस में भी बाइक परमिट देकर उसे किराये पर चलाने की तैयारी है। नियमों के तहत इन बाइकों का रजिस्ट्रेशन कर्मशियल की श्रेणी में होगा। जैसे ऑटो में तीन सवारी का टैक्स लिया जाता है वैसे ही बाइक टैक्सी के लिए एक सवारी का टैक्स लिया जायेगा। इस बाइक टैक्सी के चलने के बाद टूरिस्ट्स को बड़ी राहत मिलेगी।

तंग गलियों में दौड़ेगी बाइक

-बनारस की गलियों में पुरानी इमारतों व मंदिरों को देख सकेंगे सैलानी।

- गलियों में मिलने वाले खाने पीने की चीजों का भी ले सकेंगे लुत्फ।

- पान से लेकर ठंडई भी मिलेगी गली में।

- असल बनारस से मिलने का मिलेगा पूरा मौका।

- गलियों में रहने वालों की लाइफ स्टाइल भी जान सकेंगे टूरिस्ट्स।

दूसरे स्टेट की तर्ज पर बनारस में भी बाइक टैक्सी चलाने की तैयारी है। इसके लिए बड़ी ट्रैवल कम्पनियों से बातचीत हो चुकी है। इंटरेस्टेड लोगों को कमर्शियल लाइसेंस जारी कर इस सुविधा को शुरू किया जायेगा।

आरपी द्विवेदी, आरटीओ